Indian Rupee vs Dollar: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुक्रवार, 12 दिसंबर का दिन काफी उथल-पुथल भरा रहा। करेंसी मार्केट में भारतीय रुपया (Indian Rupee) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सुबह कारोबार की शुरुआत ही कमजोरी के साथ हुई और देखते ही देखते रुपया 90.56 के रिकॉर्ड निचले स्तर (Record Low) को छू गया। आरबीआई के बीच-बचाव के बावजूद रुपये की गिरावट नहीं थमी, जिसने बाजार में चिंता की लकीरें खींच दी हैं।
रिकॉर्ड गिरावट की शुरुआत
कारोबार की शुरुआत में भारतीय रुपया 90.43 के स्तर पर खुला था। गुरुवार को देखी गई गिरावट का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा और रुपया लुढ़कते हुए 90.56 तक जा पहुंचा। हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बीच-बीच में सपोर्ट देने की कोशिश की, लेकिन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारणों का दबाव इतना ज्यादा था कि करेंसी में कमजोरी बनी रही।
ट्रेड डील पर सस्पेंस ने डराया
इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण भारत और अमेरिका के बीच चल रही ‘ट्रेड डील’ (Trade Deal) को लेकर अनिश्चितता है। डील को लेकर बातचीत अपने अंतिम चरण में है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा या प्रगति नहीं दिखी है। एमयूएफजी (MUFG) की रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ से जुड़े मुद्दे अभी सुलझते हुए नहीं दिख रहे हैं। इसी अस्पष्टता ने ट्रेडर्स के बीच सावधानी बढ़ा दी है, जिसका सीधा असर रुपये की सेहत पर पड़ा है।
विदेशी निवेशकों की भारी निकासी
रुपये की कमर तोड़ने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की लगातार बिकवाली ने आग में घी का काम किया है। विदेशी निवेशकों ने गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार से 20.94 करोड़ रुपये की निकासी की। अगर पूरे दिसंबर महीने की बात करें, तो अब तक वे करीब 2.5 अरब डॉलर की इक्विटी और डेट (Debt) बेच चुके हैं। यह लगातार हो रही निकासी रुपये पर भारी दबाव डाल रही है।
आयातकों की डॉलर मांग और ग्लोबल संकेत
ग्लोबल मार्केट में कीमती धातुओं के दाम बढ़ने से आयातकों (Importers) ने डॉलर की खरीद तेज कर दी है, जिससे रुपये पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। डीलरों का कहना है कि आयातकों द्वारा बड़ी मात्रा में डॉलर खरीदने से रुपया और नीचे गया। वहीं, डॉलर इंडेक्स भी शुक्रवार को बढ़कर 98.37 पर पहुंच गया और ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें फ्यूचर्स में 0.67% तक चढ़ गईं। हालांकि, फेडरल रिजर्व के नरम रुख ने डॉलर को थोड़ा नियंत्रित रखा, लेकिन रिस्क सेंटीमेंट अभी भी कमजोर है।
आरबीआई का हस्तक्षेप और बाजार का हाल
गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई ने मोर्चा संभाला। ट्रेडर्स के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने बाजार में हस्तक्षेप किया ताकि रुपये में हो रहे तेज उतार-चढ़ाव को रोका जा सके। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर दबाव बना रहा, तो आरबीआई आगे भी एक्टिव रह सकता है। दिलचस्प बात यह रही कि रुपया कमजोर होने के बावजूद शेयर बाजार ने शुक्रवार को मजबूती के साथ शुरुआत की। हालांकि, इस हफ्ते रुपया करीब 0.5% की गिरावट दर्ज करने की राह पर है।
मुख्य बातें (Key Points)
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भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 90.56 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा।
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भारत-अमेरिका ट्रेड डील में देरी और अनिश्चितता ने बाजार का मूड खराब किया।
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विदेशी निवेशकों ने दिसंबर में अब तक करीब 2.5 अरब डॉलर की निकासी की है।
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आयातकों द्वारा डॉलर की भारी खरीद और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने दबाव बढ़ाया।






