Trump India Tariff News: अमेरिका की राजनीति में एक बार फिर भारत छाया हुआ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैक्स (Tariff) के खिलाफ अब अमेरिका की ही संसद में बगावत के सुर उठने लगे हैं। तीन प्रभावशाली अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के इस फैसले को पलटने के लिए संसद में एक प्रस्ताव पेश कर दिया है, जिससे व्हाइट हाउस में बेचैनी बढ़ गई है। यह प्रस्ताव न केवल भारत के लिए राहत की खबर है, बल्कि ट्रंप की मनमानी पर लगाम लगाने की एक बड़ी कोशिश भी है।
ट्रंप की बढ़ गई टेंशन
शुक्रवार को अमेरिकी संसद (US Congress) में एक नया प्रस्ताव पेश किया गया, जिसने राष्ट्रपति ट्रंप की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह प्रस्ताव तीन प्रमुख सांसदों- डेबरा रॉस, मार्क वेसी और राजा कृष्णमूर्ति द्वारा लाया गया है। इनका मकसद साफ है- भारत पर लगाए गए अनुचित टैक्स को खत्म करना। बता दें कि अगस्त में ट्रंप ने भारतीय सामानों पर पहले 25 फीसदी का टैरिफ और फिर 25 फीसदी की पेनल्टी लगाकर कुल 50 फीसदी का शुल्क थोप दिया था। इसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में तनाव साफ देखा जा रहा था।
सांसदों की मांग- खत्म करो ये टैक्स
इन तीनों सांसदों ने अपने प्रस्ताव में सीधे तौर पर मांग की है कि भारत और ब्राजील पर लगाए गए इन टैरिफ को तुरंत समाप्त किया जाए। सबसे अहम बात यह है कि इस प्रस्ताव में राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों (Emergency Powers) को सीमित करने की बात भी कही गई है। सांसदों का तर्क है कि राष्ट्रपति को मनमाने ढंग से अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का इस्तेमाल करके टैरिफ बढ़ाने से रोका जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे एकतरफा फैसले न लिए जा सकें।
अमेरिका को ही हो रहा नुकसान
अमेरिकी सांसदों ने इस फैसले के खिलाफ अपनी ही सरकार को आईना दिखाया है। उनका कहना है कि भारत पर टैक्स लगाने से अमेरिका की अर्थव्यवस्था को ही चोट पहुंच रही है। उदाहरण के तौर पर, उत्तरी कैरोलिना (North Carolina) की अर्थव्यवस्था भारत से गहराई से जुड़ी है। भारतीय कंपनियों ने वहां एक अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है, जिससे विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हजारों नौकरियां पैदा हुई हैं। वहीं, वहां के निर्माता सालाना लाखों डॉलर का सामान भारत को निर्यात करते हैं। ऐसे में टैरिफ युद्ध दोनों तरफ नुकसान पहुंचा रहा है।
महंगाई और सप्लाई चेन पर असर
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने इस प्रस्ताव पर जोर देते हुए कहा कि ये टैरिफ ‘काउंटर-प्रोडक्टिव’ यानी उत्पादकता को मारने वाले हैं। उन्होंने साफ कहा कि इससे न केवल सप्लाई चेन (Supply Chain) बाधित हो रही है, बल्कि अमेरिका के मजदूरों और श्रमिकों को भी नुकसान पहुंच रहा है। जब सामान महंगा होता है, तो इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ता है और उन्हें चीजों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। इसलिए भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना ज्यादा जरूरी है।
ट्रंप से पहले भी की गई थी अपील
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप के फैसले का विरोध हुआ हो। इससे पहले अक्टूबर महीने में इन्हीं तीन सांसदों ने 19 अन्य सांसदों के साथ मिलकर राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की थी। तब उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया था कि वे अपनी टैरिफ नीतियों को बदलें और भारत के साथ तनावपूर्ण हो रहे संबंधों को सुधारें। जब कई बार अपील करने के बाद भी ट्रंप ने उनकी बात नहीं मानी और सुधार नहीं दिखा, तो मजबूर होकर इन सांसदों को संसद में यह बिल पेश करना पड़ा।
जानें पूरा मामला
अमेरिका ने 1 अगस्त को भारतीय वस्तुओं पर 25% का टैरिफ लगाया था, जिसे बाद में पेनल्टी के तौर पर और बढ़ाकर कुल 50% कर दिया गया। इसका दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों और नेताओं ने विरोध किया था। अब अमेरिकी संसद में पेश किया गया यह प्रस्ताव भारत-अमेरिका संबंधों को पटरी पर लाने की एक कोशिश है। अब देखना यह होगा कि इस प्रस्ताव पर आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या ट्रंप अपनी जिद छोड़ते हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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अमेरिकी संसद में भारत पर लगे टैरिफ हटाने के लिए प्रस्ताव पेश किया गया है।
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सांसद डेबरा रॉस, मार्क वेसी और राजा कृष्णमूर्ति ने राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित करने की मांग की।
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अगस्त में ट्रंप ने भारतीय सामानों पर कुल 50 फीसदी तक का टैक्स लगा दिया था।
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सांसदों का तर्क है कि इससे अमेरिकी नौकरियों और सप्लाई चेन को भारी नुकसान हो रहा है।






