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संजय सिंह के तीखे सवालों पर RSS-BJP ‘चुप’! वंदे मातरम बहस में दांव पड़ा उल्टा

राज्यसभा में AAP सांसद ने आरएसएस के इतिहास पर उठाए ऐसे सवाल, जिनका जवाब देना मुश्किल हो गया

The News Air by The News Air
गुरूवार, 11 दिसम्बर 2025
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Sanjay Singh RSS History Speech
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Sanjay Singh RSS History Speech : राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने जो भाषण दिया, उसने बीजेपी और आरएसएस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर सरकार द्वारा प्रायोजित चर्चा में संजय सिंह ने ऐसे तथ्य और सवाल पेश किए, जिनका जवाब न तो बीजेपी के पास है और न ही गोदी मीडिया में इस पर कोई बहस हो रही है।

बीजेपी को लगा होगा कि वंदे मातरम जैसे राष्ट्रवादी नारे पर विपक्ष कमजोर पड़ जाएगा। लेकिन हुआ इसके उलट। विपक्ष ने न सिर्फ वंदे मातरम के इतिहास को अपना माना, बल्कि इसी के आधार पर बीजेपी और आरएसएस के अतीत पर करारे सवाल खड़े कर दिए।

आजादी की लड़ाई में आरएसएस कहां थे?

संजय सिंह ने सदन में सबसे पहला और सबसे तीखा सवाल यह पूछा कि जब भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, खुदीराम बोस जैसे शहीद वंदे मातरम का नारा लगाकर फांसी के फंदे को चूम रहे थे, उस वक्त आरएसएस के लोग क्या कर रहे थे?

उन्होंने सरकार से मांग की कि आरएसएस के चार ऐसे लोगों के नाम बताए जाएं जो वंदे मातरम का नारा लगाकर जेल गए हों। लाठियां खाई हों। आजादी के आंदोलन में शामिल हुए हों।

संजय सिंह ने कहा, “आप नहीं बता सकते, क्योंकि आजादी के आंदोलन में आपका कोई इतिहास नहीं है। यही आपकी कुंठा है।”

52 साल तक तिरंगा नहीं फहराया आरएसएस मुख्यालय पर

सांसद संजय सिंह ने एक और चौंकाने वाला तथ्य सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि जब महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने आरएसएस पर बैन लगाया और 18 महीने बाद जब बैन हटाया गया, तो उसमें एक शर्त थी – आरएसएस को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को मानना होगा।

इसका मतलब साफ था कि आरएसएस तिरंगे को भी नहीं मानता था।

संजय सिंह ने आगे कहा, “आपने 52 साल तक हिंदुस्तान का तिरंगा झंडा आरएसएस के मुख्यालय पर नहीं फहराया सर।”

उन्होंने बताया कि जब तीन लोगों – विजय, उन्मत और दिलीप – ने आरएसएस के मुख्यालय पर तिरंगा फहराया, तो आरएसएस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। आरोप था कि उन्होंने हमारे दफ्तर में तिरंगा क्यों फहरा दिया।

इन तीनों के खिलाफ 13 साल तक मुकदमा चला।

ऑर्गेनाइजर में राष्ट्रगान का विरोध

संजय सिंह ने सदन में 28 दिसंबर 1949 के ऑर्गेनाइजर पत्र (आरएसएस का मुख्य पत्र) की कॉपी भी पेश की। उन्होंने उसमें से पढ़कर सुनाया कि कैसे उस पत्र में राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के चुनाव पर सवाल उठाया गया था।

ऑर्गेनाइजर में लिखा था: “What is the moral sanction behind government’s choice of Jana Gana Mana except that it can be made an item of entertainment.”

संजय सिंह ने कहा, “आप राष्ट्रगान का विरोध कर रहे हैं। आप भारत के राष्ट्रगान का विरोध कर रहे हैं। आपके मुख्य पत्र में भारत के राष्ट्रगान का विरोध लिखा गया है। इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री को और पूरी की पूरी भारतीय जनता पार्टी को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।”

श्यामा प्रसाद मुखर्जी और भारत छोड़ो आंदोलन

संजय सिंह ने जनसंघ के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी फजलुल हक की सरकार में वित्त मंत्री थे।

उस दौरान उन्होंने अंग्रेज गवर्नर हरबर्ट को चिट्ठी लिखी थी जिसमें कहा गया था कि “बंगाल प्रांत का प्रशासन इस तरह चलाया जाए कि कांग्रेस के सारे प्रयासों के बावजूद यह भारत छोड़ो आंदोलन फेल हो जाए।”

संजय सिंह ने कहा, “आपने भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ चिट्ठी लिखी अंग्रेज गवर्नर को और कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन जो हिंदुस्तान के क्रांतिकारियों का आंदोलन था, जो देश की आजादी का आंदोलन था, वो आंदोलन कुचल देना चाहिए।”

वंदे मातरम का असली मतलब

संजय सिंह ने अपने भाषण में वंदे मातरम के असली अर्थ की भी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का मतलब है मातृभूमि की वंदना।

लेकिन फिर उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आप कैसे मातृभूमि की वंदना कर रहे हैं?

उन्होंने कहा, “एक रुपये में एक आम नहीं मिलता। आपने एक रुपये में अडानी को 1050 एकड़ जमीन और एक लाख आम और लीची के पेड़ दे दिए। यह मातृभूमि की वंदना है?”

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संजय सिंह ने आगे कहा, “मातृभूमि की वंदना हिंदुस्तान के एयरपोर्ट को बेचकर नहीं हो सकती। मातृभूमि की वंदना रेल को बेचकर नहीं हो सकती। सेल को बेचकर नहीं हो सकती। समुद्री तटों को बेचकर नहीं हो सकती।”

अग्निवीर योजना पर हमला

AAP सांसद ने अग्निवीर योजना पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जो सैनिक माइनस 50 डिग्री तापमान में सियाचिन में और प्लस 50 डिग्री तापमान में जैसलमेर में भारत की सीमाओं की रक्षा करते हैं, उनकी नौकरी को चार साल का कर दिया गया।

“इस मातृभूमि की रक्षा करते हैं। उनके पीठ में छुरा मारने का काम आपने किया। उनकी नौकरी 4 साल की कर दी अग्निवीर की। आपको मातृभूमि से प्यार है? आप देशभक्ति की बात करेंगे?”

दलित शब्द पर बीजेपी का विरोध

संजय सिंह ने एक और दिलचस्प प्रसंग का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब लीडर ऑफ अपोजिशन खड़गे साहब के मुंह से ‘दलित’ शब्द निकला, तो पूरी भारतीय जनता पार्टी हाउस में खड़े होकर विरोध करने लगी।

संजय सिंह ने पूछा, “दलितों से इतना चिड़ है आपको? क्या दलित भारत माता के बच्चे नहीं? क्या पिछड़े भारत माता के बच्चे नहीं? क्या आदिवासी भारत माता के बच्चे नहीं?”

उत्तर प्रदेश में वोट काटने का आरोप

सांसद ने उत्तर प्रदेश में वोट काटने का गंभीर आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि 3 करोड़ वोट उत्तर प्रदेश में काटे जाने वाले हैं।

“कल की मीटिंग में पता चला 17.5% वोट उत्तर प्रदेश में काटे जाएंगे। आप यह कर रहे हैं। ऐसे लोकतंत्र को मजबूत करेंगे?”

बिजली की समस्या पर मंत्री का जवाब: जय श्री राम

संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की एक घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा जी के सामने जब व्यापारी लोग 21 घंटे से बिजली नहीं आने की शिकायत लेकर पहुंचे, तो मंत्री जी ने सिर्फ “जय श्री राम, बजरंगबली की जय” कहा और गाड़ी में बैठकर चले गए।

संजय सिंह ने सवाल किया, “क्या भगवान श्री राम ने आपको कहा है कि आप नाकारे और निकम्मे हो जाइए और जनता को अंधेरे में रखिए, बिजली ना दीजिए?”

डाकू और लुटेरों वाला उदाहरण

संजय सिंह ने अपने भाषण में एक दिलचस्प उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “हमने फिल्मों में सीन देखी है। डाकू लोग आते हैं। जय भवानी जय भवानी कहकर गांव का गांव लूट के चले जाते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “हम इस देश में किसी भी सरकार को वंदे मातरम और भारत माता की जय लगाकर देश को लूटने की इजाजत नहीं देंगे।”

नेहरू पर वाजपेयी की श्रद्धांजलि का जिक्र

संजय सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा जवाहरलाल नेहरू के निधन पर दी गई श्रद्धांजलि का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी ने नेहरू को “राम की तरह असंभवों का समन्वय” बताया था।

वाजपेयी जी ने लिखा था कि “आज मानवता का रक्षक चला गया।” उन्होंने नेहरू को “एक ऐसा सपना बताया जिसमें गीता की गूंज थी और गुलाब की गंध।”

संजय सिंह ने व्यंग्य में कहा, “उस नेहरू को लोकसभा में क्या-क्या साबित किया जा रहा था। नेहरू के बारे में प्रधानमंत्री मोदी कितना आदर से बोलते हैं अब दुनिया जानती है।”

शहीद खुदीराम बोस की याद

संजय सिंह ने हिंदुस्तान के सबसे युवा क्रांतिकारी शहीद खुदीराम बोस का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब खुदीराम बोस को फांसी दी गई और उनका अंतिम संस्कार हुआ, तो उनकी राख को बंगाल की माएं तावीज बनाकर अपने बच्चों को पहनाती थीं।

उन्होंने कहा, “माएं कहती थीं कि ऐसे ही बनना हिंदुस्तान के लिए क्रांतिकारी।”

संजय सिंह ने यह भी बताया कि वे पिछले 31 साल से 3 दिसंबर को शहीद खुदीराम बोस की जयंती का आयोजन करते हैं और उनकी संस्था का नाम शहीद चंद्रशेखर आजाद के नाम पर है।

बीजेपी का दांव उलटा पड़ा

वीडियो में बताया गया कि बीजेपी को लगा होगा कि वंदे मातरम के नाम पर विपक्ष डरा हुआ और सहमा हुआ आएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

विपक्ष के कई नेताओं ने तैयारी के साथ जवाब दिए। संजय सिंह के अलावा अन्य सांसदों ने भी आरएसएस और बीजेपी के इतिहास पर सवाल उठाए।

बीजेपी को वंदे मातरम की बहस में खुला मैदान नहीं मिला। एकतरफा छूट नहीं मिली। बीजेपी के दावों को, संदर्भों और नियत को भी चुनौती दी गई।

गोदी मीडिया की चुप्पी

वीडियो में यह भी बताया गया कि संजय सिंह की ललकार के बाद संघ और गोदी मीडिया का सिस्टम चुप है। इस पर बात ही नहीं होती है जिसकी बात संजय सिंह ने की है।

सवाल उठाया गया कि क्या गोदी मीडिया ऑर्गेनाइजर पत्र की कॉपी निकालकर मोहन भागवत से सवाल करेगा? डिबेट करेगा?

WhatsApp यूनिवर्सिटी और फेक न्यूज़

वीडियो में पत्रकार अजीत अंजुम के एक ट्वीट का जिक्र किया गया। उनकी मां के WhatsApp में एक तस्वीर आई थी जिसमें दिखाया गया था कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन को मोदी जी गंगा में स्नान करा रहे हैं।

यह तस्वीर फेक थी। अजीत अंजुम ने इसे फेक न्यूज़ बताया और लोगों से अपील की कि अपने घर के लोगों के WhatsApp को चेक करें।

वीडियो में कहा गया कि इस तरह से राष्ट्रवाद के नाम पर फेक न्यूज़ का कारोबार चल रहा है और फेक न्यूज़ के सहारे राष्ट्रवाद और गौरव की राजनीति की दुकान चलाई जा रही है।

विपक्ष की लंबी यात्रा

अंत में कहा गया कि विपक्ष ने वैसे शुरुआत तो कर दी है लेकिन उसकी यात्रा बहुत लंबी है। WhatsApp यूनिवर्सिटी और गोदी मीडिया ने देश का बड़ा नुकसान कर दिया है। लोगों में तरह-तरह की अफवाहों को इतिहास बनाकर स्थापित कर दिया गया है।

विपक्ष ने चुनौती देना अब शुरू किया है। लेकिन विपक्ष के पास संसद के इन भाषणों के अलावा अखबार या टीवी चैनल नहीं बचा है।

जनता पर असर

यह बहस सिर्फ राजनीतिक नारेबाजी नहीं है। यह देश के इतिहास और भविष्य दोनों से जुड़ा मामला है। आम जनता को यह समझना जरूरी है कि राष्ट्रवाद के नाम पर क्या राजनीति हो रही है और असली इतिहास क्या है।

संजय सिंह ने अपने भाषण में जो तथ्य पेश किए, वे रिकॉर्डेड इतिहास हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन तथ्यों पर ईमानदार बहस होगी या फिर इन्हें दबा दिया जाएगा?


मुख्य बातें (Key Points)

• राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने वंदे मातरम की बहस में आरएसएस और बीजेपी के इतिहास पर करारे सवाल उठाए

• आजादी के आंदोलन में आरएसएस की भूमिका और 52 साल तक तिरंगा न फहराने का मुद्दा उठाया

• 28 दिसंबर 1949 के ऑर्गेनाइजर पत्र में राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के विरोध का दस्तावेज पेश किया

• श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ अंग्रेज गवर्नर को लिखी चिट्ठी का जिक्र

• अडानी को जमीन देने, अग्निवीर योजना, वोट काटने और सार्वजनिक संपत्ति बेचने के आरोप लगाए

• बीजेपी का वंदे मातरम पर दांव उलटा पड़ा, विपक्ष ने तैयारी के साथ जवाब दिए


 

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