Diabetes Treatment Surgery : भारत में Diabetes के मरीजों के लिए एम्स नई दिल्ली से एक उम्मीद की किरण जागी है। एम्स के डॉक्टरों ने एक ऐसी Surgery तकनीक पर काम किया है, जिससे वर्षों पुरानी शुगर की बीमारी महज कुछ घंटों में कंट्रोल हो सकती है और मरीज की दवाइयां तक छूट सकती हैं। यह खबर उन करोड़ों लोगों के लिए राहत है जो हर दिन इंसुलिन और गोलियों के सहारे जी रहे हैं।
अनकंट्रोल्ड डायबिटीज है असली दुश्मन
एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ Surgery के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मंजूनाथ मारुति पोल बताते हैं कि भारत न केवल दुनिया की Diabetes कैपिटल है, बल्कि यह ‘अनकंट्रोल्ड डायबिटीज’ की भी राजधानी बन चुका है। यह Double Epidemic की स्थिति है। अनकंट्रोल्ड Diabetes इसलिए खतरनाक है क्योंकि यह शरीर के अंगों को बहुत तेजी से खराब करती है। अगर किसी मरीज का HbA1c लेवल (तीन महीने की औसत शुगर) लगातार 8 बना रहता है, तो 8 साल के बाद उसकी Kidney Fail होने, Heart Attack, Stroke आने, आंखों की रोशनी जाने (Retinopathy) या पैर काटने (Amputation) की नौबत आ सकती है। यदि HbA1c 12 है, तो यह नुकसान 6 साल से भी कम समय में हो सकता है।
दवाएं फेल होने पर अपनाते हैं यह रास्ता
जब मरीज पर लाइफस्टाइल बदलाव और तीन से ज्यादा दवाइयां असर करना बंद कर देती हैं, तब डॉक्टर ‘मेटाबॉलिक सर्जरी’ (Metabolic Surgery) की सलाह देते हैं। एम्स में Type 2 Diabetes के लिए की जाने वाली इस प्रक्रिया को ‘मिनी गैस्ट्रिक बाईपास’ (Mini Gastric Bypass) या ‘वन एनास्टोमोसिस गैस्ट्रिक बाईपास’ कहा जाता है। यह एक Laparoscopic सर्जरी है, यानी इसमें पेट चीरने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि 5 से 10 मिलीमीटर के छोटे छेद करके दूरबीन से ऑपरेशन किया जाता है।
कैसे होती है यह जादुई सर्जरी?
इस Surgery में पेट (Stomach) के एक हिस्से को स्टेपल करके काटकर एक छोटा पाउच (100 मिली से कम) बना दिया जाता है। इसके बाद छोटी आंत (Intestine) के 160 से 200 सेंटीमीटर हिस्से को बाईपास करके सीधे इस छोटे पेट से जोड़ दिया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि खाना उस रास्ते से नहीं गुजरता जहां से शरीर में शुगर बढ़ाने वाले और इंसुलिन रोकने वाले ‘एंटी-इन्क्रेटिन’ Hormones (जैसे ग्रेलिन, लेप्टिन) निकलते हैं।
शरीर का ‘दरवाजा’ खोल देती है सर्जरी
डॉक्टर मंजूनाथ इसे एक बेहतरीन उदाहरण से समझाते हैं। शरीर की कोशिकाओं में एक दरवाजा होता है जहां से इंसुलिन और ग्लूकोज अंदर जाते हैं। Diabetes के मरीजों में खराब Hormones इस दरवाजे को कसकर पकड़ लेते हैं और खुलने नहीं देते। Surgery के बाद जैसे ही खाना बाईपास होकर सीधे आंत में पहुंचता है, अच्छे Hormones (जैसे GLP-1) बढ़ने लगते हैं और खराब Hormones गिर जाते हैं। इससे वह ‘दरवाजा’ आसानी से खुल जाता है और शरीर का अपना इंसुलिन काम करने लगता है।
खर्च और रिकवरी की जानकारी
एम्स में यह Surgery पूरी तरह मुफ्त (Zero Cost) है, क्योंकि वहां सारा खर्च सरकार उठाती है। वहीं, अगर यही Surgery बाहर किसी प्राइवेट अस्पताल में कराई जाए, तो इसका खर्च 3 से 6 लाख रुपये तक आ सकता है। हालांकि, लंबे समय में डायलिसिस, ट्रांसप्लांट या हार्ट सर्जरी के खर्च को देखें तो यह Cost Effective है। यह सर्जरी आमतौर पर 18 से 65 साल के मरीजों के लिए रिकमेंड की जाती है।
क्या है पृष्ठभूमि
भारत में Diabetes एक गंभीर महामारी का रूप ले चुकी है। एम्स ने अब तक करीब 35 ऐसे मरीजों की Surgery की है जो गंभीर Diabetes से जूझ रहे थे। नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं—सर्जरी वाले दिन की शाम तक ही इन सभी 35 मरीजों की Diabetes की दवाइयां बंद हो गईं और वे अब एक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। इसके साथ ही मरीजों का 20 से 30 प्रतिशत वजन भी कम होता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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एम्स में ‘मिनी गैस्ट्रिक बाईपास’ Surgery से Diabetes का इलाज संभव हो रहा है।
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सर्जरी के बाद उसी शाम से मरीजों की शुगर की दवाइयां बंद हो गईं।
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यह सर्जरी उन मरीजों के लिए है जिनका HbA1c लेवल दवाओं के बावजूद कंट्रोल नहीं हो रहा।
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एम्स में इसका इलाज मुफ्त है, जबकि बाहर लाखों का खर्च आता है।
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