Indigo Flight Crisis के बीच यात्रियों की बढ़ती परेशानियों को लेकर Delhi High Court ने केंद्र सरकार से बेहद कड़े सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा है कि जब Passengers हफ्तों से परेशान थे, तो किराए में इतनी भारी बढ़ोतरी कैसे हो गई और इसे रोकने के लिए तत्काल कदम क्यों नहीं उठाए गए। यह सवाल सिर्फ एक एयरलाइन का नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था का है।
5 हजार का टिकट 35 हजार में कैसे?
आम जनता पिछले कई हफ्तों से फ्लाइट्स की लेटलतीफी और कैंसिलेशन से जूझ रही है। एयरपोर्ट्स पर लोगों के रोने-बिलखने की तस्वीरें सामने आई हैं। लेकिन इस संकट के बीच सबसे बड़ा झटका तब लगा जब दूसरी एयरलाइंस ने इसे ‘आपदा में अवसर’ बना लिया। कोर्ट ने हैरानी जताई कि जो हवाई टिकट आमतौर पर 5,000 रुपये में मिलता था, उसकी कीमत अचानक बढ़कर 30,000 से 35,000 रुपये तक कैसे पहुंच गई? कोर्ट ने सीधा सवाल किया कि जब इंडिगो संकट में था, तो बाकी फ्लाइट्स ने किराए क्यों बढ़ा दिए?
सरकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं
हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि यह मामला बहुत ज्यादा गंभीर है और इसमें सरकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब इंडिगो बार-बार टाइमलाइन बढ़ा रहा था, तो उस दौरान सरकार क्या कर रही थी? रिफंड का ऐलान भी 5 दिन बाद किया गया, लेकिन उससे पहले जिन लोगों की फ्लाइट्स कैंसिल हुईं और जिन्होंने महंगे टिकट खरीदे, उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा? कोर्ट ने जानना चाहा कि हवाई अड्डों पर परेशान यात्रियों के लिए क्या व्यवस्था की गई थी।
केंद्र सरकार ने दी ये सफाई
कोर्ट की सख्ती पर सरकार की ओर से पेश हुए एएसजी चेतन शर्मा ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि सरकार ने किराए पर कैपिंग (Capping) की है और इसे सख्ती से लागू भी किया गया है। सरकार ने बताया कि इंडिगो को ‘शो कॉज नोटिस’ जारी किया गया है और एयरलाइन ने माफी भी मांगी है। सरकार ने दलील दी कि एफडीटीएल (FDTL) नियमों को 2024 से लागू करने में देरी इसलिए हुई क्योंकि इंडिगो ने कई बार एक्सटेंशन मांगा था।
आपदा में अवसर तलाशने वालों पर सवाल
हाईकोर्ट ने एक अहम मुद्दा यह उठाया कि जब एक कंपनी मुसीबत में होती है, तो दूसरी कंपनियों को लूटने का लाइसेंस कौन देता है? कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आपात स्थिति थी, तो दूसरी एयरलाइंस को इसका फायदा उठाने की अनुमति क्यों दी गई? यह सीधा सवाल यात्रियों के अधिकारों और एयरलाइंस की जिम्मेदारी पर खड़ा होता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इंडिगो भले ही समय मांग रहा था, लेकिन सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भी माना गंभीर मुद्दा
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीर माना है, हालांकि वहां जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया गया था। फिलहाल, दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में ले लिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में जल्दबाजी में सुनवाई नहीं करेगा, बल्कि पूरे मामले को सही तरीके से देखेगा ताकि भविष्य में यात्रियों को ऐसी परेशानी न उठानी पड़े। एकल पीठ ने एयरलाइन को 1 नवंबर तक का समय दिया है, लेकिन कोर्ट अब पूरे एक्शन मोड में नजर आ रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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इंडिगो संकट के कारण हवाई टिकटों के दाम 5,000 से बढ़कर 35,000 रुपये तक पहुंच गए।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपदा में अवसर तलाशने वाली एयरलाइंस पर रोक क्यों नहीं लगाई गई।
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सरकार ने कोर्ट को बताया कि किराए को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं और इंडिगो को नोटिस दिया गया है।
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कोर्ट ने कहा कि सरकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी और यात्रियों के अधिकारों की रक्षा जरूरी है।






