EPFO Pension Interest Rules: अगर आप एक नौकरीपेशा इंसान हैं और हर महीने आपकी सैलरी से प्रोविडेंट फंड (PF) का पैसा कटता है, तो यह खबर सीधे आपके रिटायरमेंट और भविष्य से जुड़ी है। पीएफ खाता सिर्फ एक बचत योजना नहीं, बल्कि आपके बुढ़ापे का सबसे मजबूत सहारा होता है।
हम सभी जानते हैं कि ईपीएफ (EPF) के पैसों पर सालाना ब्याज मिलता है, जिससे वह रकम कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके खाते में ‘पेंशन’ के नाम पर जो पैसा जमा हो रहा है—यानी ईपीएस (EPS) का हिस्सा—उस पर आपको कितना ब्याज मिलता है? इसका जवाब आपको चौंका सकता है! आइए, इस जरूरी जानकारी को विस्तार से समझते हैं।
ईपीएफ और ईपीएस के बीच का अंतर
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि आपकी सैलरी से जो पैसा कटता है, वह दो अलग-अलग हिस्सों में बंटता है। एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) में आप जो 12% योगदान देते हैं, वह पूरा आपके पीएफ खाते में जाता है। वहीं, आपके एंप्लॉयर (कंपनी) का 12% योगदान दो हिस्सों में बंट जाता है:
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3.67% हिस्सा ईपीएफ (EPF) यानी पीएफ खाते में जाता है।
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8.33% हिस्सा एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (EPS) में जमा होता है।
असली पेंच यहीं पर है। जो पैसा ईपीएफ यानी पीएफ वाले हिस्से में जमा होता है, उस पर तो कंपाउंडिंग के साथ ब्याज मिलता है, लेकिन पेंशन (EPS) के तहत जमा होने वाली रकम पर कोई ब्याज नहीं मिलता है। एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम 1995 (EPS 95) के तहत यही प्रावधान है। सरकार या ईपीएफओ इस जमा राशि पर कोई अतिरिक्त रिटर्न नहीं देती है।
पेंशन की रकम कैसे तय होती है?
जब पेंशन फंड पर कोई ब्याज नहीं मिलता, तो आखिर रिटायरमेंट के बाद पेंशन की रकम तय कैसे होती है? यह एक बड़ा सवाल है। इसके लिए ईपीएफओ एक निर्धारित फॉर्मूले का इस्तेमाल करता है। यह किसी बैंक खाते की तरह काम नहीं करता जहां पैसा जमा होकर बढ़ता रहे, बल्कि यह एक पूल फंड की तरह है।
पेंशन योग्य सैलरी की अधिकतम सीमा फिलहाल ₹15,000 है। यानी अगर आपकी सैलरी इससे ज्यादा भी है, तो भी कैलकुलेशन ₹15,000 पर ही होगी। उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी ने 35 साल तक नौकरी की है, तो मौजूदा नियमों के अनुसार उसे अधिकतम लगभग ₹7,500 की मासिक पेंशन मिल सकती है। पेंशन पाने के लिए कम से कम 10 साल की नौकरी और 58 साल की उम्र होना अनिवार्य है।
मिनिमम पेंशन बढ़ोतरी पर सरकार का जवाब
पिछले काफी समय से चर्चा थी कि सरकार मिनिमम पेंशन को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹7,500 महीना कर सकती है। देश भर के पेंशनर्स इस खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। अक्टूबर 2025 के आसपास मीडिया रिपोर्ट्स में दावे किए गए कि ईपीएफओ का सेंट्रल बोर्ड इस पर विचार कर रहा है।
हालांकि, संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में सरकार ने स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है। 1 दिसंबर 2025 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने स्पष्ट किया कि फिलहाल पेंशन की राशि बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
सरकार का तर्क है कि बिना किसी नए फंडिंग मॉडल के पेंशन राशि को अचानक बढ़ाना फंड की स्थिरता के लिए जोखिम भरा हो सकता है। सरकार ने कहा कि वह कर्मचारियों को लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन भविष्य की देनदारियों और आर्थिक संतुलन को देखते हुए अभी पेंशन में बढ़ोतरी संभव नहीं है।
आम आदमी पर असर
यह खबर लाखों पेंशनर्स और नौकरीपेशा लोगों के लिए एक झटके की तरह है जो उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनकी पेंशन राशि बढ़ेगी। पेंशन फंड का पैसा किसी बचत खाते की तरह नहीं बढ़ता, बल्कि यह एक फॉर्मूले पर आधारित होता है। इसका सीधा मतलब है कि रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय आपको सिर्फ ईपीएस पेंशन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अन्य निवेश विकल्पों पर भी ध्यान देना चाहिए।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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ब्याज का सच: ईपीएफ (EPF) वाले हिस्से पर ब्याज मिलता है, लेकिन ईपीएस (EPS) यानी पेंशन वाले हिस्से पर कोई ब्याज नहीं मिलता।
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पेंशन फॉर्मूला: पेंशन की गणना एक निर्धारित फॉर्मूले से होती है, बैंक ब्याज की तरह नहीं। अधिकतम पेंशन योग्य सैलरी ₹15,000 है।
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सरकार का फैसला: सरकार ने संसद में साफ कर दिया है कि फिलहाल मिनिमम पेंशन बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
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फंड की स्थिरता: सरकार के अनुसार, बिना नए फंडिंग मॉडल के पेंशन बढ़ाना फंड के लिए जोखिम भरा हो सकता है।






