Mangal Dosh Remedies: कुंडली के सातवें भाव में बैठे खराब Mars (मंगल) की वजह से अगर आपकी हंसती-खेलती शादीशुदा जिंदगी तबाह हो रही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। शास्त्रों में मंगल के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए कुछ बेहद सटीक और वैदिक उपाय बताए गए हैं, जो आपके जीवन में फिर से खुशियां लौटा सकते हैं।
हनुमान जी की उपासना और रुद्राक्ष
मंगल ग्रह के शुभ फल पाने के लिए सबसे सरल उपाय है Rudraksha धारण करना। इसके लिए तीन मुखी रुद्राक्ष को पीले धागे में पिरोकर बृहस्पतिवार (Thursday) के दिन गले में धारण करना चाहिए। इसके अलावा, शुक्ल पक्ष के मंगलवार को Hanuman Temple जाएं और भगवान को चोला चढ़ाएं। चोला चढ़ाने के लिए 100 ग्राम चमेली का Oil और 125 ग्राम सिंदूर का लेप हनुमान जी को लगाना चाहिए। मंदिर में गुड़ और चने का Prasad बांटें और वहीं बैठकर Bajrang Baan और Hanuman Chalisa का पाठ करें।
दान और घर के उपाय
मंगल के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए अपने घर में चांदी का एक चौकोर टुकड़ा हमेशा रखें। यह उपाय बहुत कारगर माना जाता है। इसके साथ ही मीठी चीजों और गुड़ का दान करें। जरूरतमंद लोगों को लाल मसूर की दाल दान करने से भी मंगल दोष में राहत मिलती है।
सबसे सटीक ‘वैदिक मंत्र’ का अनुष्ठान
कलयुग में मंगल दोष निवारण के लिए एक वैदिक मंत्र को सबसे सटीक माना गया है। मंत्र है: ‘ओम अग्नि मूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्…’। यह मंगल का Vedic Mantra है। इस मंत्र का 5000 बार जाप करना होता है। यदि आप रोज 10 माला जाप करते हैं, तो 50 दिनों में यह पूरा हो जाएगा।
जाप के साथ Havan करना भी जरूरी है। अगर खैर की लकड़ी मिल जाए तो बहुत शुभ है, लेकिन अगर वह न मिले तो आम की लकड़ी पर गाय के Ghee, चीनी और शहद की आहुति देकर 108 बार हवन करें। यह प्रक्रिया 50 दिनों तक करने से मंगल का बुरा प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो जाता है।
समय की कमी हो तो अपनाएं ये रास्ता
अगर आपके पास 50 दिनों का समय नहीं है, तो आप यह अनुष्ठान एक ही दिन में संपन्न करवा सकते हैं। इसके लिए आपको 12 वैदिक Brahmins की मदद लेनी होगी। वे एक दिन में ही जाप, हवन, तर्पण और मार्जन की प्रक्रिया पूरी कर देंगे। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर Dakshina देने से मंगल की शांति हो जाती है।
कलयुग में चार गुना मेहनत जरूरी
शास्त्रों के अनुसार, कलयुग में किसी भी पूजा का फल पाने के लिए उसे चार गुना अधिक करना पड़ता है। जो फल त्रेता या द्वापर युग में एक बार पूजा करने से मिलता था, वह अब चार बार करने पर मिलता है। इसका कारण यह है कि आजकल न तो हवन सामग्री पूरी तरह शुद्ध है, न वायुमंडल पवित्र है और न ही पूरी तरह एकनिष्ठ ब्रह्मचारी Brahmin मिलते हैं। इसलिए, यदि मंगल बहुत ज्यादा अशुभ स्थिति में है, तो आपको यह शांति पूजा हर 6 महीने के अंतराल पर चार बार करानी पड़ सकती है, तभी इसका पूर्ण लाभ मिलेगा।
जानें पूरा मामला (Background)
ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ऊर्जा और शक्ति का कारक माना जाता है, लेकिन जब यह कुंडली के सातवें भाव में दूषित होकर बैठता है, तो यह वैवाहिक जीवन में कलह, तनाव और अलगाव का कारण बन सकता है। कई बार लोग इसे नजरअंदाज करते हैं, जिससे रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं। सही समय पर वैदिक उपाय करने से इन समस्याओं को टाला जा सकता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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तीन मुखी Rudraksha पीले धागे में गुरुवार को पहनें।
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मंगलवार को हनुमान जी को चमेली का तेल और सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
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घर में चांदी का चौकोर टुकड़ा रखना और लाल मसूर की दाल का दान करना शुभ है।
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मंगल के वैदिक मंत्र का 5000 जाप और खैर या आम की लकड़ी से Havan करें।
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कलयुग में पूर्ण फल के लिए इस अनुष्ठान को चार बार दोहराने की आवश्यकता हो सकती है।






