IndiGo Flight Cancellation News: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। 8 दिसंबर यानी सोमवार को भी राहत की उम्मीदें उस वक्त टूट गईं जब दोपहर होते-होते करीब 500 फ्लाइट्स कैंसिल होने की खबरें सामने आ गईं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब सरकार को सख्त लहजे में चेतावनी जारी करनी पड़ी है और संसद से लेकर कोर्ट तक यह मुद्दा गूंज रहा है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइन को दो टूक कहा है कि अगले 36 से 48 घंटों के भीतर यात्रियों का फंसा हुआ सामान वापस किया जाए और ऑपरेशंस सुधारे जाएं, वरना सख्त कार्रवाई होगी।
‘एयरपोर्ट जाने से पहले सावधान’
दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट ने यात्रियों के लिए एक विशेष एडवाइजरी जारी की है। इसमें साफ कहा गया है कि घर से निकलने से पहले अपनी फ्लाइट का स्टेटस जरूर चेक कर लें। एयरपोर्ट पर भीड़ इतनी बढ़ गई है कि वहां पैर रखने की जगह नहीं बची है।
यह आम आदमी के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया है, क्योंकि एयरपोर्ट पहुंचने के बाद पता चलता है कि फ्लाइट कैंसिल हो गई है, जिससे बुजुर्गों, मरीजों और जरूरी काम से जाने वाले लोगों को भारी मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ रहा है।
‘रिफंड और बैग वापसी के आदेश’
सरकार की सख्ती के बाद इंडिगो ने घोषणा की है कि कैंसिल हुई टिकटों का पैसा ‘ऑटोमेटिक रिफंड’ प्रक्रिया के तहत वापस किया जाएगा। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 1 से 7 दिसंबर के बीच करीब 5.8 लाख पीएनआर रद्द हुए हैं और लगभग 827 करोड़ रुपये का रिफंड प्रोसेस किया जा रहा है।
इसके साथ ही, 5 से 15 दिसंबर के बीच यात्रा की तारीख बदलने (रीशेड्यूलिंग) पर लगने वाला चार्ज भी हटा दिया गया है। मंत्रालय ने आदेश दिया है कि फंसे हुए 9000 बैगों में से 4500 लौटाए जा चुके हैं, और बाकी बैग 48 घंटे के अंदर यात्रियों के घर तक पहुंचाए जाएं।
‘मंत्री ने खोली पोल: गलती किसकी?’
संसद में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने स्पष्ट किया कि यह संकट सुरक्षा प्रणाली की कमी नहीं, बल्कि इंडिगो की इंटरनल प्लानिंग और ‘क्रू रोस्टरिंग’ (कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने) की विफलता है।
उन्होंने कहा कि फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (FDTL) के नियमों से कोई समझौता नहीं होगा। मंत्रालय ने 3 तारीख को ही गड़बड़ी पकड़ ली थी और अब वे हर स्थिति पर नजर रख रहे हैं। मंत्री ने चेतावनी दी कि अगर नियमों की अनदेखी हुई तो एयरलाइन इंडस्ट्री के लिए एक मिसाल कायम करने वाली कार्रवाई की जाएगी।
‘विपक्ष का तीखा हमला’
संसद में विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सवाल उठाया कि जब हवाई चप्पल वालों के हवाई जहाज में उड़ने की बात हुई थी, तो आज टिकट 20,000 रुपये और कॉफी 250 रुपये की क्यों है? उन्होंने कहा कि डायलिसिस के मरीज और शादी वाले घर इस तबाही से जूझ रहे हैं।
वहीं, अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए पूछा कि “हवाई जहाज उड़ नहीं रहे हैं या उड़ाए नहीं जा रहे हैं?” उन्होंने कहा कि वंदे मातरम सिर्फ गाने के लिए नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने के लिए भी होना चाहिए।
‘कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं’
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर तुरंत सुनवाई के लिए अर्जी लगाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार और एयरलाइन पहले से ही कदम उठा रहे हैं, इसलिए अभी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
दूसरी ओर, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कहा कि सुधार के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन मामले की सुनवाई 10 दिसंबर को तय की गई है। कोर्ट ने साफ किया कि अगर हालात नहीं सुधरे तो वह आदेश जारी कर सकता है।
‘इंडिगो की सफाई और गिरते शेयर’
इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने वीडियो जारी कर माफी मांगी है। कंपनी ने एक ‘क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप’ बनाया है जो रोज बैठकें कर रहा है। उनकी प्राथमिकता ऑपरेशंस को 100% वापस लाना और रिफंड जारी करना है।
इस भारी उथल-पुथल का असर कंपनी की आर्थिक सेहत पर भी पड़ा है और इंडिगो के शेयरों में करीब 7.5% की गिरावट दर्ज की गई है। खबर है कि संसदीय समिति जल्द ही इंडिगो के शीर्ष अधिकारियों को समन भेजकर जवाब तलब कर सकती है।
‘जानें पूरा मामला’
इंडिगो एयरलाइंस पिछले कुछ दिनों से भारी परिचालन संकट का सामना कर रही है। खराब मौसम और इंटरनल सिस्टम की खराबी के कारण हजारों उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं। मंत्रालय के अनुसार, 1 दिसंबर से 7 दिसंबर के बीच लाखों पीएनआर रद्द हुए हैं, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है और लाखों यात्री देश के अलग-अलग एयरपोर्ट्स पर फंस गए हैं। यह भारतीय उड्डयन इतिहास के सबसे बड़े संकटों में से एक माना जा रहा है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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सोमवार (8 दिसंबर) को इंडिगो की करीब 500 फ्लाइट्स कैंसिल हुईं।
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सरकार ने 48 घंटे के अंदर यात्रियों का सामान लौटाने का सख्त आदेश दिया है।
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5 से 15 दिसंबर के बीच फ्लाइट रीशेड्यूल करने पर कोई चार्ज नहीं लगेगा।
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संसद में मंत्री ने इसे एयरलाइन की प्लानिंग और स्टाफ मैनेजमेंट की विफलता बताया।






