Nishant Kumar Politics Entry: बिहार में विधानसभा चुनाव का शोर थम चुका है और नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रच चुके हैं। लेकिन, शपथ ग्रहण के तुरंत बाद पटना के सियासी गलियारों में एक नई चर्चा ने जन्म ले लिया है। यह चर्चा मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर नहीं, बल्कि उनके उत्तराधिकारी को लेकर है। पटना में जनता दल यूनाइटेड (JDU) दफ्तर के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है, जिसने राजनीतिक पंडितों और आम जनता का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस पोस्टर में नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लाने की पुरजोर मांग की गई है।
‘नीतीश सेवक मांगे निशांत’
पटना में जदयू कार्यालय के बाहर जो पोस्टर चस्पा किया गया है, वह सामान्य पोस्टरों से काफी अलग है। अक्सर सियासी पोस्टरों में बड़े नेता का कद बड़ा और बाकी नेताओं को छोटा दिखाया जाता है, लेकिन इस पोस्टर में नीतीश कुमार और उनके बेटे निशांत कुमार के कटआउट को बिल्कुल बराबर साइज में दिखाया गया है। पोस्टर पर साफ शब्दों में लिखा है- “नीतीश सेवक मांगे निशांत”। यह पोस्टर किसी बड़े नेता ने नहीं, बल्कि एक पार्टी कार्यकर्ता ने लगवाया है, जो खुद को नीतीश का सेवक बता रहा है और चाहता है कि अब पार्टी की कमान निशांत के हाथों में हो।
साधारण रहन-सहन की चर्चा
निशांत कुमार हाल ही में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह में दिखाई दिए थे। वहां उनकी उपस्थिति और बेहद साधारण रहन-सहन ने लोगों का दिल जीत लिया था। सोशल मीडिया पर भी इस बात की खूब चर्चा हुई कि इतने लंबे समय से मुख्यमंत्री के बेटे होने के बावजूद निशांत में रत्ती भर भी घमंड नहीं है। हालांकि, निशांत हमेशा से खुद को राजनीति से दूर बताते आए हैं और उनका झुकाव अध्यात्म की ओर ज्यादा रहा है। उन्होंने पहले भी स्पष्ट किया है कि उनकी रुचि Politics में नहीं है।
बड़े नेताओं का भी मिला है समर्थन
भले ही निशांत खुद को राजनीति से दूर रखते हों, लेकिन पार्टी के भीतर उन्हें लाने की मांग दबी जुबान में उठती रही है। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और मंत्री अशोक चौधरी जैसे वरिष्ठ नेता भी पहले यह कह चुके हैं कि अगर निशांत पार्टी में आते हैं और एक कार्यकर्ता के तौर पर काम करते हैं, तो यह पिता और पार्टी दोनों के लिए अच्छा होगा। हालांकि, नीतीश कुमार खुद समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को अपना आदर्श मानते हैं और परिवारवाद से दूरी बनाए रखते हैं, इसलिए उन्होंने कभी सार्वजनिक मंच से बेटे को राजनीति में लाने की बात नहीं कही।
क्या बदलेगा निशांत का मन?
बिहार की राजनीति में जहां लालू यादव के बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप, रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान सक्रिय भूमिका में हैं, वहीं निशांत का राजनीति से दूर रहना कई लोगों को खलता है। चुनाव से पहले और अब चुनाव के बाद भी निशांत के नाम की चर्चा यह इशारा कर रही है कि कार्यकर्ता उन्हें एक भविष्य के नेता के रूप में देख रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कार्यकर्ताओं की यह मांग और सियासी दबाव निशांत को अपना फैसला बदलने पर मजबूर करेगा या वह अपने अध्यात्म के रास्ते पर ही चलते रहेंगे।
जानें पूरा मामला
यह पूरा वाकया पटना में जदयू दफ्तर के बाहर लगे एक पोस्टर से शुरू हुआ है। बिहार में चुनाव खत्म होने और नई सरकार बनने के बाद कार्यकर्ता अब भविष्य की ओर देख रहे हैं। पोस्टर के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि नीतीश कुमार के बाद पार्टी को एक युवा चेहरे की जरूरत है और निशांत इसके लिए सबसे उपयुक्त हैं। हालांकि, अंतिम फैसला निशांत और नीतीश कुमार का ही होगा, लेकिन इस पोस्टर ने बिहार की शांत पड़ी राजनीति में एक नई हलचल जरूर पैदा कर दी है।
मुख्य बातें (Key Points)
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पटना में JDU दफ्तर के बाहर निशांत कुमार के समर्थन में पोस्टर लगा है।
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पोस्टर में ‘नीतीश सेवक मांगे निशांत’ का नारा लिखा गया है।
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संजय झा जैसे वरिष्ठ नेता भी निशांत के राजनीति में आने का समर्थन कर चुके हैं।
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निशांत ने अब तक राजनीति के बजाय अध्यात्म में रुचि दिखाई है।






