Indigo Airlines Crisis: A Planned Conspiracy? : पिछले कई दिनों से देश भर के एयरपोर्ट्स पर इंडिगो एयरलाइंस की वजह से जो हाहाकार मचा है, उसने लाखों यात्रियों को मुसीबत में डाल दिया है। देश के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि किसी एयरलाइन की वजह से इतनी बड़ी संख्या में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा हो। लेकिन, अब इस संकट के पीछे की जो कहानी सामने आ रही है, वह और भी चौंकाने वाली है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह संकट अचानक नहीं आया, बल्कि यह इंडिगो की एक सोची-समझी साजिश थी, जिसका मकसद सरकार के नए सुरक्षा नियमों के खिलाफ दबाव बनाना था।
‘सिर्फ 124 पायलट कम, फिर भी मच गया हाहाकार’
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में इंडिगो के एक सीनियर पायलट के हवाले से बेहद गंभीर दावे किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिगो के पास कुल 4,551 पायलट हैं, जिनमें 2,357 कैप्टन और 2,194 फर्स्ट ऑफिसर शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि एयरलाइन के पास मौजूदा समय में सिर्फ 124 पायलटों की कमी है, जो कुल पायलटों का महज 2.7% है।
पायलट के दावे के अनुसार, इतनी मामूली कमी से रोजाना होने वाली 2,200 उड़ानों में से केवल 5 से 7% उड़ानें ही प्रभावित होनी चाहिए थीं। लेकिन, हकीकत में 30 से 40% उड़ानें रद्द होने लगीं, जिससे एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी मच गई। यह सवाल उठना लाजिमी है कि इतनी कम पायलटों की कमी के बावजूद इतना बड़ा संकट कैसे खड़ा हो गया?
‘जानबूझकर तोड़े गए नियम, स्टैंडबाय रोस्टर रखे गए खाली’
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस संकट को जानबूझकर पैदा किया गया था। आरोप है कि इंडिगो प्रबंधन ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स (SOPs) को तोड़ा। पहले, स्टैंडबाय पायलट हमेशा तैयार रहते थे और अगर कोई पायलट बीमार पड़ता, तो उन्हें 5-6 घंटे पहले सूचना दी जाती थी, ताकि वे समय पर एयरपोर्ट पहुंच सकें। लेकिन, इस साजिश के तहत स्टैंडबाय रोस्टर खाली रखे गए और पायलटों को आखिरी मिनट में, यानी उड़ान से सिर्फ 1-2 घंटे पहले कॉल किया जाने लगा। इतने कम समय में पायलटों का एयरपोर्ट पहुंचना और उड़ान भरना मुश्किल हो गया, जिससे उड़ानें प्रभावित हुईं और संकट गहराता गया।
‘मकसद: सरकार के नए सुरक्षा नियम वापस करवाना’
इस पूरी साजिश का मकसद सरकार द्वारा लागू किए गए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को वापस करवाना बताया जा रहा है। पायलट ने आरोप लगाया कि इंडिगो प्रबंधन इन नए सुरक्षा नियमों से परेशान था और उसने सरकार को बैकफुट पर लाने के लिए जानबूझकर यह संकट खड़ा किया, ताकि यात्रियों का गुस्सा सरकार पर फूटे। इस साजिश से एयरलाइन ने न केवल यात्रियों की परेशानी बढ़ाई, बल्कि देश की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ किया।
‘मुनाफे के लिए सुरक्षा से समझौता: पायलट एसोसिएशन’
एयरलाइंस पायलट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सैम थॉमस ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि मुनाफे को सुरक्षा से ऊपर रखा जा रहा है। दो साल पहले घोषित किए गए नियमों को वापस करवाने के लिए इंडिगो ने इतना बड़ा खेल खेला, जो सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि एक आपराधिक कृत्य है।
‘सरकार पर दबाव बनाने की खतरनाक प्लानिंग’
यह पूरा घटनाक्रम तब हुआ जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर थे। एयरपोर्ट्स पर विमान लाइनों में खड़े रहे और कोलकाता जैसे एयरपोर्ट्स पर तो हालात इतने खराब हो गए कि विमानों को रिमोट बे में पार्क किया जाने लगा, जिससे ग्राउंड क्रू और बोर्डिंग में देरी हुई और एक चेन रिएक्शन शुरू हो गया। इस साजिश का मकसद साफ था: यात्रियों का गुस्सा भड़काना और मीडिया में हंगामा खड़ा करना, ताकि सरकार दबाव में आकर नए नियम वापस ले ले।
‘भविष्य के लिए चेतावनी’
यह संकट सिर्फ इंडिगो का नहीं, बल्कि पूरे देश का मामला है। अगर सरकार ने इस पर सख्त कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में अन्य निजी विमानन कंपनियां भी अपने फायदे के लिए इस तरह का संकट पैदा कर सकती हैं। पायलटों ने अब इस पूरे मामले की फॉरेंसिक जांच की मांग की है। यह देखना होगा कि सरकार इस साजिश का पर्दाफाश करने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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इंडिगो में सिर्फ 124 पायलटों (2.7%) की कमी थी, जिससे बड़ा संकट नहीं होना चाहिए था।
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आरोप है कि प्रबंधन ने जानबूझकर SOPs तोड़े और स्टैंडबाय रोस्टर खाली रखे।
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पायलटों को आखिरी मिनट में कॉल किया गया, जिससे उड़ानें प्रभावित हुईं।
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इस साजिश का मकसद सरकार के नए FDTL सुरक्षा नियमों को वापस करवाना था।
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पायलट एसोसिएशन ने इसे मुनाफे के लिए सुरक्षा से समझौता और आपराधिक कृत्य बताया है।






