Vande Mataram 150th Anniversary: देश इस समय आजादी के तराने और राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ मनाने की ऐतिहासिक तैयारियों में जुटा है। इस खास मौके को यादगार बनाने के लिए भारतीय संसद में एक अनूठी पहल की जा रही है। 8 और 9 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों में इस पर विशेष चर्चा का आयोजन किया गया है, जिसकी कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह संभालेंगे।
यह चर्चा सिर्फ एक गीत के बारे में नहीं है, बल्कि उस क्रांतिकारी भावना का सम्मान है जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लाखों लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा दी।
संसद में दो दिन, दो दिग्गज
लोकसभा में इस ऐतिहासिक चर्चा की शुरुआत 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्री सदन में मौजूद रहेंगे। चर्चा का समापन भाजपा के ही किसी वक्ता द्वारा किया जाएगा।
वहीं, राज्यसभा में 9 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस चर्चा का नेतृत्व करेंगे। इस दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई वरिष्ठ नेता भी अपनी बात रखेंगे। यह निर्णय हाल ही में हुई सर्वदलीय बैठक और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठकों में लिया गया था।
विपक्ष की भी रहेगी भागीदारी
इस चर्चा में सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा। कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा, दीपेंद्र हुड्डा, गौरव गोगोई और प्रणीति शिंदे जैसे नेता सदन में अपने विचार रखेंगे। सरकार का उद्देश्य इस मुद्दे पर व्यापक सहमति बनाना और राष्ट्रीय गीत के महत्व को नई पीढ़ी के सामने उजागर करना है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ और चुनाव सुधार दो सबसे अहम मुद्दे होंगे जिन पर विस्तार से विमर्श होगा।
योगी सरकार का कड़ा फैसला
वंदे मातरम पर यह राष्ट्रीय चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब उत्तर प्रदेश में इसे लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में राज्य के सभी स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ का गायन अनिवार्य कर दिया है।
गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने कहा था कि जिस गीत ने आजादी के आंदोलन में भारत की सोई हुई चेतना को जगाया, उसका विरोध करना राष्ट्रहित में नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा, “कोई भी मजहब या मत राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता। जो व्यक्ति आस्था या राष्ट्र की राह में आड़े आए, उसे एक छोर पर रख देना चाहिए।”
युवाओं में जगेगी राष्ट्रभक्ति की अलख
केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर को ही पूरे देश में, विशेषकर युवाओं और छात्रों के बीच वंदे मातरम की क्रांतिकारी भावना को पुनर्जीवित करने के लिए साल भर चलने वाले जश्न को मंजूरी दे दी थी।
मकसद साफ है—यह गीत केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज एक धरोहर बनकर न रह जाए, बल्कि आज के भारत में भी भावनात्मक एकता और राष्ट्रीय चेतना का स्रोत बने। इतिहास गवाह है कि कैसे बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित इस गीत ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष की ऊर्जा जगाई थी।
मुख्य बातें (Key Points)
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8 दिसंबर को लोकसभा में पीएम मोदी और 9 दिसंबर को राज्यसभा में अमित शाह करेंगे चर्चा।
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यूपी के स्कूलों में सीएम योगी ने वंदे मातरम का गायन अनिवार्य कर दिया है।
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कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी और अन्य नेता भी चर्चा में शामिल होंगे।
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सरकार का लक्ष्य युवाओं में राष्ट्रीय चेतना और एकता की भावना जगाना है।






