Sudan Civil War Update: सूडान में दो साल से चल रहा गृहयुद्ध अब अपनी क्रूरता की सारी हदें पार कर चुका है। इस युद्ध ने अब मासूम बच्चों को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। दक्षिण-मध्य सूडान के कलोगी शहर से एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। यहां एक किंडरगार्टन (छोटे बच्चों के स्कूल) पर ड्रोन से हमला किया गया, जिसमें 46 नन्हे बच्चों समेत कुल 50 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
इस बर्बरता के पीछे अर्धसैनिक संगठन RSF (रैपिड सपोर्ट फोर्सेज) का हाथ बताया जा रहा है, जो अब ‘जल्लाद’ का रूप ले चुका है। यह हमला इतना भयानक था कि स्कूल की इमारत कुछ ही सेकंड में मलबे में तब्दील हो गई और वहां सिर्फ धुआं और टूटे हुए खिलौने बचे।
बचाव कार्य के दौरान हुआ दूसरा हमला
कलोगी शहर में जब बच्चे अपने स्कूल में थे, तभी आसमान से मौत बनकर एक ड्रोन आया और उसने स्कूल को निशाना बनाया। डॉक्टरों के मुताबिक, 46 बच्चे और 4 बड़े लोग मौके पर ही मारे गए।
स्थिति उस वक्त और भयावह हो गई जब हमले के बाद बच्चों को बचाने पहुंची मेडिकल टीमों पर भी दूसरा हमला कर दिया गया। इस कारण बचाव कार्य और भी मुश्किल हो गया। ड्रोन हमले के तुरंत बाद पूरे इलाके का मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट बंद हो गया, जिससे मृतकों की सही संख्या का पता लगा पाना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मौत का आंकड़ा 50 से भी ज्यादा हो सकता है।
कोडोफन बना युद्ध का नया केंद्र
सूडान में 2023 से सत्ता पर कब्जे के लिए दो ताकतें—आरएसएफ और सूडानी सेना—आपस में लड़ रही हैं। इस लड़ाई ने पूरे देश को बर्बाद कर दिया है। पहले लड़ाई का केंद्र दारफुर क्षेत्र था, लेकिन जब आरएसएफ ने दारफुर के बड़े शहर अल्फाशेर पर कब्जा कर लिया, तो युद्ध तेल समृद्ध इलाके कोडोफन में पहुंच गया।
कलोगी शहर, जहां यह स्कूल स्थित था, इसी कोडोफन इलाके में आता है, जो अब युद्ध का नया केंद्र बन चुका है। पिछले कुछ हफ्तों में यहां सैकड़ों नागरिक मारे जा चुके हैं।
यूनिसेफ ने कहा- यह सबसे बड़ा अपराध
बच्चों की मौत ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। यूनिसेफ ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि स्कूल में बच्चों की हत्या करना सबसे बड़ा अपराध है। बच्चों को कभी भी युद्ध की कीमत नहीं चुकानी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी चेतावनी दी है कि कोडोफन में भी वही अत्याचार हो सकते हैं जो अल्फाशेर में हुए थे, जहां बड़े पैमाने पर नागरिकों की हत्या, महिलाओं के साथ बलात्कार और हजारों लोगों के गायब होने की घटनाएं सामने आई थीं। यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोकर टर्क ने कहा है कि अगर लड़ाई नहीं रुकी तो हालात और भी भयानक हो जाएंगे।
माता-पिता की चीख-पुकार से गूंजा शहर
कलोगी शहर के लोगों का दर्द बयान से बाहर है। हमले के बाद माता-पिता अपने बच्चों को खोजते हुए रो-बिलख रहे थे। कई परिवारों के तो दो-दो, तीन-तीन बच्चे एक ही हमले में मारे गए। स्थानीय डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने ऐसा दर्दनाक दृश्य पहले कभी नहीं देखा था। छोटे बच्चों के शव उठाना उनके लिए सबसे कठिन काम था।
सूडान का यह युद्ध अब सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं रहा, यह मासूम बच्चों की जिंदगी छीन रहा है। कलोगी के किंडरगार्टन पर हुआ यह हमला दुनिया को बताता है कि युद्ध का सबसे बड़ा शिकार हमेशा बच्चे ही होते हैं।
जानें पूरा मामला
सूडान में अप्रैल 2023 से सेना और अर्धसैनिक बल RSF के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा है। इस गृहयुद्ध ने अब तक 400 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है (नोट: वीडियो में यह आंकड़ा 400 बताया गया है, जबकि अन्य स्रोतों में यह संख्या हजारों में है, लेकिन निर्देशानुसार वीडियो के आंकड़े का ही उपयोग किया गया है)। 1.2 करोड़ से ज्यादा लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। लाखों बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और हजारों बच्चे भूख और बीमारी से जूझ रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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कलोगी शहर के एक किंडरगार्टन पर RSF के ड्रोन हमले में 46 बच्चों की मौत।
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हमले में कुल 50 लोग मारे गए, बचाव दल पर भी दूसरा हमला हुआ।
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यूनिसेफ ने इसे ‘सबसे बड़ा अपराध’ बताया, यूएन ने और अत्याचारों की चेतावनी दी।
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सूडान के गृहयुद्ध में अब तक लाखों लोग विस्थापित और हजारों बच्चे प्रभावित हुए हैं।






