Tezpur University Protest: असम की प्रतिष्ठित तेजपुर यूनिवर्सिटी पिछले 78 दिनों से एक ऐसे बवंडर में फंसी है, जिसने शिक्षा के इस मंदिर को पूरी तरह से ठप कर दिया है। छात्रों, प्रोफेसरों और नॉन-टीचिंग स्टाफ का गुस्सा सातवें आसमान पर है और वे एक सुर में वाइस चांसलर (VC) शंभूनाथ सिंह को हटाने की मांग कर रहे हैं। भ्रष्टाचार, वित्तीय गड़बड़ी और मनमानी के आरोपों के बीच यूनिवर्सिटी का माहौल इतना गरमा गया है कि 27 नवंबर से यहां ताले लटके हुए हैं।
प्रदर्शन की यह चिंगारी 21 सितंबर को उस वक्त भड़की, जब मशहूर सिंगर जुबिन गर्ग के निधन पर छात्र कैंपस में एक शोक सभा आयोजित करना चाहते थे। आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों की इस भावनात्मक मांग को ठुकरा दिया। छात्रों ने इसे स्थानीय भावनाओं का अपमान माना।
स्थिति तब और बेकाबू हो गई जब वाइस चांसलर ने कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और बाद में कैंपस छोड़कर चले गए। इसके बाद तो मानो गुस्से का ज्वालामुखी फट पड़ा। छात्र, शिक्षक और कर्मचारी एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए और यह आंदोलन एक बड़े विरोध प्रदर्शन में बदल गया।
‘388 दिन गायब रहने का आरोप’
प्रदर्शनकारी केवल एक घटना से नाराज नहीं हैं, बल्कि उनके पास शिकायतों का एक लंबा पुलिंदा है। टीचर्स एसोसिएशन का दावा है कि वाइस चांसलर शंभूनाथ सिंह अप्रैल 2023 से सितंबर 2025 के बीच कुल 388 दिनों तक कैंपस से नदारद रहे।
आरोप है कि वीसी की इस लंबी अनुपस्थिति और वित्तीय अनियमितताओं के कारण यूनिवर्सिटी का प्रशासनिक कामकाज पूरी तरह से चरमरा गया है। हालत यह हो गई कि वाइस चांसलर के पर्सनल सेक्रेटरी (PS) ही कई महत्वपूर्ण फाइलों और फैसलों को ईमेल पर मंजूरी लेकर आगे बढ़ाते रहे। लेकिन जब विरोध तेज हुआ, तो यह जुगाड़ भी बंद हो गया और प्रशासन पूरी तरह ‘नॉन-फंक्शनल’ हो गया।
‘इस्तीफों की झड़ी और बंद फाइलों का अंबार’
इस उथल-पुथल के बीच यूनिवर्सिटी में इस्तीफों की झड़ी लग गई है। अब तक 11 फैकल्टी मेंबर्स और अधिकारी अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। इस्तीफा देने वालों में फाइनेंस ऑफिसर बृज बंधु मिश्रा, कार्यवाहक रजिस्ट्रार और कई डीन, डायरेक्टर व सहायक शामिल हैं।
इसका सीधा असर आम छात्रों और यूनिवर्सिटी के कामकाज पर पड़ा है। छात्रों से जुड़ी जरूरी फाइलें धूल फांक रही हैं, स्कॉलरशिप के मामलों की प्रोसेसिंग अटक गई है और परीक्षाओं की तैयारी पूरी तरह रुक गई है। हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है और कैंपस के मेन गेट पर ताले लटक रहे हैं।
‘सियासी गलियारों तक पहुंची गूंज’
तेजपुर यूनिवर्सिटी का यह संकट अब संसद तक पहुंच गया है। असम के राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुयान ने 2 दिसंबर को संसद में यह मुद्दा उठाया और शिक्षा मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि “एक व्यक्ति के लिए शिक्षा के इस सर्वोच्च मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता।”
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर केंद्र सरकार के दखल की मांग की है। उनका कहना है कि असम के मुख्यमंत्री ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। गोगोई ने यह भी याद दिलाया कि जब शंभूनाथ सिंह पटना यूनिवर्सिटी के वीसी थे, तब भी उन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे।
‘सीएम का प्रस्ताव और छात्रों का इनकार’
मामले की गंभीरता को देखते हुए 3 दिसंबर को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से एक ‘प्रो-वाइस चांसलर’ नियुक्त करने का अनुरोध किया है, ताकि पढ़ाई-लिखाई सुचारू रूप से चल सके।
हालांकि, छात्रों ने सीएम के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने उनकी मुख्य मांगों को गलत समझा है। प्रदर्शनकारी स्पष्ट रूप से चाहते हैं कि वर्तमान वीसी को जांच पूरी होने तक तत्काल निलंबित किया जाए और उनकी जगह ‘कार्यवाहक वाइस चांसलर’ (Officiating VC) नियुक्त हो, न कि प्रो-वीसी।
‘डॉ. भट्टाचार्य बने कार्यवाहक वीसी’
इस भारी विरोध के बीच आखिरकार एक बड़ा कदम उठाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, 4 दिसंबर को यूनिवर्सिटी के सीनियर फैकल्टी मेंबर डॉ. ध्रुव कुमार भट्टाचार्य ने कार्यवाहक वाइस चांसलर की जिम्मेदारी संभाल ली है। डॉ. भट्टाचार्य कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं।
बावजूद इसके, प्रदर्शनकारियों का रुख अब भी सख्त है। उनकी साफ मांग है कि जब तक आरोपी वीसी को उनके पद से पूरी तरह नहीं हटाया जाता और जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, तब तक यूनिवर्सिटी नहीं खुलेगी।
मुख्य बातें (Key Points)
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Tezpur University में वाइस चांसलर शंभूनाथ सिंह के खिलाफ 78 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी।
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वीसी पर 388 दिन कैंपस से गायब रहने और वित्तीय गड़बड़ी के गंभीर आरोप।
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प्रशासन ठप होने से 11 अधिकारियों ने दिया इस्तीफा, स्कॉलरशिप और परीक्षाएं अटकीं।
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सीनियर प्रोफेसर डॉ. ध्रुव कुमार भट्टाचार्य ने कार्यवाहक वीसी का पदभार संभाला।






