Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली आ रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास साफ नजर आने लगी है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सामना करने से बचते दिख रहे हैं, तो दूसरी तरफ पुतिन ट्रंप के हर हमले का जवाब डंके की चोट पर दे रहे हैं।
दुनिया की नजरें इस वक्त दिल्ली में होने वाले भारत-रूस शिखर सम्मेलन पर टिकी हैं। गोदी मीडिया इसे लेकर जश्न का माहौल बना रहा है, लेकिन हकीकत की जमीन पर सवाल कुछ और ही हैं। क्या भारत, अमेरिका के साथ बिगड़ते व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों की भरपाई रूस की दोस्ती से कर पाएगा? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि अमेरिका ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर टैरिफ की मार मारनी शुरू कर दी है, जिसका असर अब आंकड़ों में दिखने लगा है।
गोदी मीडिया का ‘वीडियो प्रोडक्शन’ और असलियत
पुतिन के दौरे को लेकर मीडिया में जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, वह किसी सुपरहिट फिल्म के ‘वीडियो प्रोडक्शन’ जैसा लगता है। एडिटिंग टेबल पर म्यूजिक डालकर नेताओं को सुपरपावर दिखाया जा रहा है, ताकि जनता को भ्रमित किया जा सके। लेकिन विदेश नीति वीडियो एडिटिंग से नहीं चलती। सच्चाई यह है कि 2014 से जिस अमेरिका के साथ दोस्ती के दावे किए जा रहे थे, आज 11 साल बाद उन रिश्तों की कोई समीक्षा नहीं हो रही है। ट्रंप ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारत का ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (PMI) 9 महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है।
विपक्ष से दूरी, परंपरा पर सवाल
इस दौरे के बीच एक बड़ा मुद्दा विपक्ष को विदेशी मेहमानों से दूर रखने का भी है। राहुल गांधी ने संसद परिसर में साफ कहा कि वाजपेयी और मनमोहन सिंह के दौर में विदेशी राष्ट्रध्यक्षों की मुलाकात नेता प्रतिपक्ष (LoP) से कराने की परंपरा थी। लेकिन मौजूदा सरकार अपनी ‘असुरक्षा’ (Insecurity) के चलते विदेशी मेहमानों को सुझाव देती है कि वे विपक्ष के नेताओं से न मिलें। राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष का नेता भी भारत का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन सरकार यह नहीं चाहती।
रूस-चीन की दोस्ती और भारत की चिंता
विश्लेषकों के मुताबिक, भारत फिर से गुटनिरपेक्षता के दौर में प्रवेश कर रहा है, जिसे अब ‘बहुध्रुवीय विश्व’ का नाम दिया जा रहा है। लेकिन यहां एक पेंच है। रूस और चीन के बीच ‘नो लिमिट’ दोस्ती है। रूस ने चीन के नागरिकों के लिए वीजा फ्री एंट्री कर दी है। ऐसे में अगर कल को चीन के साथ भारत का टकराव होता है, तो रूस किसका साथ देगा, यह एक खुला प्रश्न है। अमेरिका भी चीन से सीधे बात करता है, लेकिन भारत इस त्रिकोण में कहां खड़ा है, यह स्पष्ट नहीं है।
सेना में फंसे भारतीयों का दर्द
इस चकाचौंध के बीच उन 61 भारतीय परिवारों का दर्द कहीं गुम है जिनके बच्चे रूस-यूक्रेन युद्ध में जबरन झोंक दिए गए हैं। सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद में बताया कि राजस्थान और अन्य राज्यों के 61 युवक पिछले कई महीनों से रूस की सेना में फंसे हैं और उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। सरकार का दावा है कि उसने रूस से बात की है, लेकिन अभी तक उनकी वापसी की कोई ठोस खबर नहीं है। इसके विपरीत, भारत और रूस के बीच ‘लेबर मोबिलिटी एग्रीमेंट’ होने जा रहा है, जिससे और भारतीय कामगारों को रूस भेजा जा सकेगा।
रक्षा समझौतों का नया अध्याय (RELOS)
इस दौरे का एक बड़ा केंद्रबिंदु ‘रेलोस’ (RELOS) समझौता है। इसके तहत भारत और रूस एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए कर सकेंगे। दोनों देश एक-दूसरे की जमीन पर 5 युद्धपोत, 10 एयरक्राफ्ट और 3000 सैनिकों की टुकड़ियां तैनात कर सकेंगे। हालांकि, यह समझौता युद्ध के समय लागू नहीं होगा, बल्कि केवल शांति काल के लिए है। इसके अलावा, भारत रूस से सुखोई-57 फाइटर जेट और S-400 सिस्टम की बाकी डिलीवरी पर भी बात कर सकता है। वहीं, अमेरिका ने भी इस दौरे से ठीक पहले भारत के साथ 24 ‘सीहॉक हेलीकॉप्टर’ की डील पक्की करके अपना संदेश देने की कोशिश की है।
क्या है पृष्ठभूमि
भारत और रूस के बीच यह 23वां सालाना शिखर सम्मेलन है। इन रिश्तों की नींव 70 साल पहले पड़ी थी जब सोवियत नेता भारत आए थे और भिलाई स्टील प्लांट व आईआईटी बॉम्बे जैसे संस्थानों की स्थापना हुई थी। आज हालात बदल चुके हैं। अमेरिका के प्रतिबंधों और टैरिफ वॉर के बीच भारत अपनी विदेश नीति को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है, जिसे कुछ विशेषज्ञ ‘री-एंटरिंग’ यानी पुरानी गुटनिरपेक्ष नीति में वापसी बता रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
-
पुतिन दो दिन के भारत दौरे पर हैं, जिस पर अमेरिका और यूरोप की पैनी नजर है।
-
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार विदेशी मेहमानों को विपक्ष से मिलने से रोक रही है।
-
भारत और रूस के बीच RELOS समझौता होगा, जिससे सैन्य लॉजिस्टिक्स साझा किए जाएंगे।
-
रूस की सेना में फंसे 61 भारतीयों की वापसी का मुद्दा संसद में उठाया गया है।
-
अमेरिका के टैरिफ के कारण भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई है।






