Allahabad High Court Decision ने एक बार फिर धर्म परिवर्तन और आरक्षण के मुद्दे पर बड़ी लकीर खींच दी है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति अपना धर्म बदल लेता है और उसके बाद भी अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए निर्धारित लाभों का फायदा उठाता है, तो यह संविधान के साथ धोखा है। जस्टिस प्रवीण कुमार गिरी की पीठ ने यह अहम फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने यह कड़ा रुख उन लोगों के प्रति अपनाया है जो दूसरा धर्म अपनाने के बावजूद अपनी पुरानी जाति के आधार पर सरकारी सुविधाओं और आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। न्यायालय ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए साफ किया कि कोई भी व्यक्ति जो हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म को अपनाता है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पुराने और हालिया आदेशों का जिक्र किया। कोर्ट ने सर्वोच्च अदालत के उस फैसले को रेखांकित किया जिसमें कहा गया था कि ईसाई धर्म अपनाने वाले व्यक्ति की मूल जाति की पहचान समाप्त हो जाती है। इस आधार पर, धर्म बदलने के बाद जातिगत आरक्षण या अन्य लाभ लेना संवैधानिक रूप से गलत है।
यूपी सरकार और डीएम को निर्देश
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य के सभी जिलाधिकारियों (DM) को कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि वे कानून के अनुसार कदम उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि एससी, एसटी और ओबीसी मामलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन हो। सभी डीएम को 4 महीने के भीतर अपने-अपने जिलों में ऐसे मामलों की जांच कर कार्रवाई करने और मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है।
जानें पूरा मामला
यह फैसला जितेंद्र सहनी बनाम यूपी सरकार और अन्य के मामले में आया है। याचिकाकर्ता जितेंद्र सहनी ने ईसाई धर्म अपना लिया था, लेकिन कोर्ट में दिए हलफनामे में उन्होंने खुद को हिंदू बताया था। उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर, चार्जशीट और समन को रद्द करने की मांग की थी। उन पर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाने और हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने का आरोप था। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया।
मुख्य बातें (Key Points)
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म बदलने के बाद आरक्षण का लाभ लेने को संविधान के साथ धोखा बताया।
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कोर्ट ने कहा कि हिंदू, सिख या बौद्ध के अलावा दूसरा धर्म अपनाने पर एससी का दर्जा नहीं मिलता।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि ईसाई धर्म अपनाने पर मूल जाति की पहचान खत्म हो जाती है।
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यूपी के सभी डीएम को 4 महीने में जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।






