Sanchar Saathi App Update को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपना पुराना आदेश वापस ले लिया है। देश की संसद से लेकर सड़कों तक मचे बवाल के बाद सरकार ने ‘यू-टर्न’ लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब नए स्मार्टफोन्स में यह ऐप पहले से इंस्टॉल करना जरूरी नहीं होगा।
संचार साथी ऐप को लेकर पिछले कुछ दिनों से देशभर में बहस छिड़ी हुई थी। विपक्ष ने सरकार पर इस ऐप के जरिए जासूसी करने के गंभीर आरोप लगाए थे। भारी विरोध और निजता (Privacy) को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है।
विपक्ष के दबाव के बाद बदला फैसला
केंद्र सरकार ने पहले साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के इरादे से सभी मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स को निर्देश दिया था कि आने वाले सभी नए हैंडसेट्स में ‘संचार साथी ऐप’ को पहले से इंस्टॉल (Pre-install) रखा जाए।
इस आदेश के बाद सियासी गलियारों में भूचाल आ गया। विपक्ष और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के एक समूह ने इसे गलत बताया और इसे जासूसी का हथियार करार दिया। संसद में भी यह मुद्दा गूंजा। अब सरकार ने इस अनिवार्यता को हटाकर यह साफ कर दिया है कि आपके मोबाइल में यह ऐप पहले से इंस्टॉल मिले, यह अब जरूरी नहीं है।
क्या है जासूसी के आरोपों का सच?
विवाद बढ़ने पर केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में सफाई दी थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संचार साथी एक ‘सेफ्टी ऐप’ है और इसके जरिए जासूसी संभव नहीं है, न ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है।
सरकार के मुताबिक, यह ऐप आपकी कॉल टैप नहीं करता, आपके मैसेज स्कैन नहीं करता और न ही आपके पर्सनल डेटा को पढ़ता है। इसका मुख्य काम टेलीकॉम आइडेंटिटी वेरिफिकेशन और डिवाइस की वैधता की जांच करना है।
क्या काम करता है संचार साथी ऐप?
यह ऐप मूल रूप से मोबाइल यूजर्स को डिजिटल फ्रॉड से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य सिम कार्ड के गलत इस्तेमाल को रोकना, मोबाइल चोरी होने पर उसे ट्रैक या ब्लॉक करना और डिजिटल स्कैम से सुरक्षा प्रदान करना है। यह देशभर के सिस्टम का एक हिस्सा है जो यूजर्स की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
विवाद के बीच डाउनलोड्स में भारी उछाल
हैरानी की बात यह है कि जब इस ऐप पर विवाद और ‘बवाल’ चरम पर था, तभी इसके डाउनलोड्स में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी दर्ज की गई। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन के सूत्रों के मुताबिक, विवाद के दौरान सामान्य दिनों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा लोगों ने इस ऐप को डाउनलोड किया।
जहां पहले संचार साथी ऐप के डेली डाउनलोड्स का औसत 60,000 था, वहीं विवाद के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 6 लाख तक पहुंच गया। यानी जनता ने विरोध के बीच भी इसे अपनी सुरक्षा के लिए अपनाया।
जानें पूरा मामला
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सरकार ने साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए मोबाइल कंपनियों को नए फोन्स में ‘संचार साथी’ ऐप प्री-इंस्टॉल करने का आदेश दिया। विपक्ष ने इसे निजता का उल्लंघन और जासूसी का प्रयास बताया। हालांकि, सरकार का तर्क था कि यह नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा के लिए है, लेकिन बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने प्री-इंस्टॉलेशन की शर्त को वापस ले लिया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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सरकार ने नए स्मार्टफोन्स में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने का आदेश वापस लिया।
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विपक्ष ने ऐप के जरिए जासूसी और निजता के हनन का आरोप लगाया था।
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टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सफाई दी कि ऐप डेटा नहीं पढ़ता।
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विवाद के दौरान ऐप के डेली डाउनलोड्स 60 हजार से बढ़कर 6 लाख पहुंच गए।






