Rajnath Singh on Jawaharlal Nehru and Sardar Patel: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को लेकर एक ऐसा दावा किया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। गुजरात के सडली गांव में आयोजित ‘यूनिटी मार्च’ (Unity March) को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि नेहरू सार्वजनिक धन से, यानी सरकारी खजाने से अयोध्या में बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) का निर्माण कराना चाहते थे। लेकिन सरदार पटेल ने उनके इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और इसे आगे नहीं बढ़ने दिया।
राजनाथ सिंह ने पटेल की भूमिका और उनके विचारों को विस्तार से रखते हुए कहा कि सरदार पटेल सच्चे अर्थों में ‘सेक्युलर’ (Secular) और पंथनिरपेक्ष थे। उन्होंने कभी भी तुष्टीकरण की राजनीति नहीं की।
सोमनाथ मंदिर और बाबरी मस्जिद पर नेहरू बनाम पटेल
रक्षा मंत्री ने सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) का उदाहरण देते हुए कहा कि जब इसके पुनर्निर्माण की बात आई, तो नेहरू ने सरकारी पैसे के इस्तेमाल पर सवाल उठाया था। इस पर सरदार पटेल ने स्पष्ट किया था कि सोमनाथ मंदिर के लिए सरकार का एक भी पैसा नहीं लगा है, बल्कि पूरा धन जनता के सहयोग और ट्रस्ट के माध्यम से आया है। राजनाथ सिंह ने दावा किया कि ठीक इसके विपरीत, जब बाबरी मस्जिद की बात आई थी, तो नेहरू सरकारी खजाने का इस्तेमाल करना चाहते थे, जिसका पटेल ने विरोध किया था।
राम मंदिर: जनता के सहयोग का प्रतीक
अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भी सरदार पटेल की सोच का ही परिणाम है। उन्होंने कहा, “सरकार के खजाने से एक पैसा खर्च नहीं हुआ है। सारा खर्च यदि किसी ने दिया है तो इस देश की जनता ने दिया है। यही पंथनिरपेक्षता और सेक्युलरिज्म की सच्ची परिभाषा है।”
पटेल की विरासत को दबाने की कोशिश का आरोप
राजनाथ सिंह ने नेहरू पर सरदार पटेल की विरासत को दबाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पटेल के निधन के बाद उनके स्मारक के लिए जनता द्वारा जुटाए गए धन को नेहरू ने कुएं और सड़कों के निर्माण में खर्च करने का सुझाव दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि 1946 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अधिकतर प्रस्ताव पटेल के पक्ष में थे, लेकिन गांधीजी के कहने पर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया, जिसके बाद नेहरू प्रधानमंत्री बने।
कश्मीर और हैदराबाद: पटेल की दृढ़ता
रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कश्मीर (Kashmir) के विलय पर पटेल की सलाह मानी गई होती, तो यह समस्या इतने लंबे समय तक देश के लिए बोझ नहीं बनती। उन्होंने हैदराबाद के विलय का उदाहरण देते हुए कहा कि पटेल ने जरूरत पड़ने पर कड़े और सख्त फैसले लिए। उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 हटाकर उन्होंने कश्मीर को सही मायनों में भारत से जोड़ा है, जो पटेल के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार करता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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राजनाथ सिंह ने दावा किया कि नेहरू सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते थे।
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सरदार पटेल ने नेहरू के इस प्रस्ताव का विरोध किया और उसे रोका।
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सोमनाथ मंदिर और राम मंदिर का निर्माण जनता के पैसे से हुआ, सरकार का पैसा नहीं लगा।
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राजनाथ सिंह ने नेहरू पर पटेल की विरासत को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया।
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उन्होंने कहा कि पटेल की सलाह मानी जाती तो कश्मीर समस्या नहीं होती।






