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PMO परिसर का नया नाम ‘Seva Teerth’ और राजभवन अब ‘Lok Bhawan’

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय परिसर का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' और राजभवनों का नाम 'लोक भवन' कर दिया है। जानिए इस ऐतिहासिक बदलाव के पीछे क्या है सरकार की सोच।

The News Air by The News Air
मंगलवार, 2 दिसम्बर 2025
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PMO Renamed Seva Teerth: मोदी सरकार ने देश के प्रशासनिक ढांचे में एक और बड़ा और प्रतीकात्मक बदलाव किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) परिसर को अब एक नई पहचान मिली है। सरकार ने पीएमओ परिसर का नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ (Seva Teerth) कर दिया है। इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देश भर के राजभवनों का नाम बदलकर ‘लोक भवन’ (Lok Bhawan) कर दिया गया है।

यह फैसला केवल नामों का बदलाव नहीं है, बल्कि सरकार के मुताबिक, यह शासन की सोच और दृष्टि में आए परिवर्तन का प्रतीक है। ‘सेवा तीर्थ’ नाम प्रधानमंत्री कार्यालय को केवल एक सत्ता के केंद्र के रूप में नहीं, बल्कि जनसेवा और कर्तव्य के पवित्र स्थान के रूप में परिभाषित करने की कोशिश है। वहीं, ‘लोक भवन’ नाम राजभवनों को औपनिवेशिक विरासत से दूर ले जाकर आम जनता से जोड़ने का प्रयास है।

‘सेवा तीर्थ’: सत्ता नहीं, सेवा का केंद्र

सरकार का मानना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय देश के प्रशासन का सर्वोच्च केंद्र है, जहां से जनकल्याण की नीतियां और योजनाएं बनती हैं। इसलिए इसका नाम ऐसा होना चाहिए जो शक्ति प्रदर्शन के बजाय सेवाभाव को दर्शाए। ‘सेवा तीर्थ’ नाम इसी उद्देश्य से रखा गया है ताकि यह संदेश जाए कि यह स्थान जनता की सेवा के लिए समर्पित है। यह कदम सत्ता के प्रतीकात्मक ढांचे को अधिक जनोन्मुखी (People-centric) बनाने की दिशा में उठाया गया है।

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राजभवन बने ‘लोक भवन’: जनता की भागीदारी पर जोर

अब तक राज्यपालों के आवास को ‘राजभवन’ के नाम से जाना जाता था, जो राजशाही या औपनिवेशिक दौर की याद दिलाता था। इसे बदलकर ‘लोक भवन’ करने के पीछे सरकार का उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना है। ‘लोक’ शब्द का अर्थ है जनता, और इस नाम के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि ये संस्थान जनता के लिए हैं और जनता की भागीदारी ही लोकतंत्र की असली ताकत है।

सकारात्मक छवि बनाने की कोशिश

सरकार के अनुसार, नए नाम जनता की भागीदारी, सेवा और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से रखे गए हैं। इससे सरकारी संस्थानों की छवि में एक सकारात्मक परिवर्तन आएगा और वे आम नागरिक के लिए अधिक सुलभ और अपनापन महसूस कराने वाले बनेंगे। यह बदलाव शासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

जानें पूरा मामला

भारत सरकार लगातार औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने और भारतीय संस्कृति व लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। इसी कड़ी में पीएमओ परिसर और राजभवनों के नाम बदलने का यह फैसला लिया गया है। यह निर्णय प्रशासनिक सुधारों के साथ-साथ एक मनोवैज्ञानिक बदलाव लाने की भी कोशिश है, ताकि सत्ता के गलियारों में बैठे लोग खुद को शासक नहीं बल्कि सेवक समझें।

मुख्य बातें (Key Points)
  • प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) परिसर का नया नाम अब ‘सेवा तीर्थ’ होगा।

  • देश भर के राजभवनों का नाम बदलकर ‘लोक भवन’ कर दिया गया है।

  • सरकार का उद्देश्य सत्ता के ढांचे को अधिक जनोन्मुखी और लोकतांत्रिक बनाना है।

  • यह बदलाव शासन की सोच और दृष्टि में परिवर्तन को दर्शाता है।

  • नए नाम सेवा, कर्तव्य और जनकल्याण की भावना के प्रतीक हैं।

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