ISI Doctors Network in Nepal: दिल्ली में हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस धमाके के तार अब तुर्की से होते हुए पड़ोसी देश नेपाल तक पहुंच गए हैं। जांच एजेंसियों ने एक ऐसे गहरे और सुनियोजित नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो नेपाल की धरती से भारत के खिलाफ अपनी नापाक साजिशों को अंजाम दे रहा था।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) ने नेपाल में चैरिटी और मानवीय सेवा की आड़ में डॉक्टरों का एक पूरा नेटवर्क तैयार कर लिया है। इस खुलासे के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
चैरिटी के नाम पर जासूसी का जाल
नेपाल की खुली सीमा और चैरिटी के नाम पर मिलने वाली ढील का फायदा उठाकर आईएसआई ने वहां अपनी जड़ें जमा ली हैं। पिछले कुछ महीनों में नेपाल में चैरिटी, मेडिकल कैंप, सेमिनार और रिसर्च के बहाने पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी तेजी से बढ़ी है। यह सब मानवीय सेवा का एक मुखौटा है, जिसके पीछे असल मकसद भारत के सीमावर्ती इलाकों में जासूसी नेटवर्क खड़ा करना और देश पर दोतरफा नजर रखना है।
दिल्ली धमाके से जुड़े तार, 5 डॉक्टर गिरफ्तार
दिल्ली धमाके की कड़ियां जुड़ते-जुड़ते नेपाल तक पहुंचीं, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए पांच संदिग्ध डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, इस नेटवर्क का एक अहम मोहरा अभी भी विदेश भागने में कामयाब रहा है। यह पूरा मामला बताता है कि साजिश कितनी गहरी और सुनियोजित थी।
आईबी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
केंद्रीय गृह मंत्रालय को नवंबर में भेजी गई आईबी की एक रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया था कि नेपाल में काम कर रहे कई संगठन मानव सेवा के नाम पर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हैं। 15 नवंबर को बहराइच से पकड़े गए दो संदिग्ध भी इसी चैरिटी कवर का इस्तेमाल कर रहे थे। इनमें से एक पाकिस्तानी मूल का हसन अमान सलीम और उसकी बांग्लादेशी पत्नी पहले भी नेपाल की यात्रा कर चुके हैं।
यह पैटर्न नया नहीं है। इससे पहले पाकिस्तानी सेना का पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल हबीब भी लुंबिनी क्षेत्र में चैरिटी के नाम पर सक्रिय रह चुका है।
नेपाल क्यों बना ISI का सेफ कॉरिडोर?
नेपाल आईएसआई के लिए एक आसान और सुरक्षित रास्ता बनता जा रहा है। इसके पीछे पांच प्रमुख कारण सामने आए हैं:
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खुली सीमा: भारत-नेपाल की 1751 किमी लंबी सीमा खुली है और बिना वीजा आवाजाही आसान है।
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ढीले वीजा नियम: पाकिस्तानियों के लिए नेपाल आना आसान है, जहां से वे भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हैं।
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चैरिटी मॉडल: मेडिकल मिशन और एनजीओ की आड़ में संदिग्ध लोग बिना शक के घूम सकते हैं।
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स्थानीय नेटवर्क: नेपाल में पहले से सक्रिय कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और विदेशी नागरिक उन्हें कवर देते हैं।
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सीमावर्ती संपर्क: सीमा के दोनों ओर लोगों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक मेलजोल का दुरुपयोग किया जा रहा है।
सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट, जांच तेज
इस खुलासे के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। नेपाल से सटे भारतीय इलाकों, खासकर गोरखपुर, लखनऊ और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ पर खास नजर रखी जा रही है। इसके अलावा पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और महराजगंज से सटे नेपाली इलाकों में भी पाकिस्तानी लिंक वाले मूवमेंट की पुष्टि हुई है।
जांच एजेंसियों ने नेपाल से लौटे संदिग्ध भारतीयों की ट्रैकिंग, एनजीओ की फंडिंग की ऑडिटिंग और संदिग्ध पाकिस्तानी व तुर्की नागरिकों की ट्रैवल हिस्ट्री खंगालनी शुरू कर दी है। आईबी और स्थानीय पुलिस मिलकर नेपाल जाने वाले सभी चैरिटी मिशनों की सूची तैयार कर रही हैं। यह सिर्फ सीमा सुरक्षा का नहीं, बल्कि एक गहरे नेटवर्क को तोड़ने की लड़ाई है।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली धमाके की जांच में नेपाल में आईएसआई के डॉक्टरों के नेटवर्क का खुलासा हुआ।
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चैरिटी और मेडिकल कैंप की आड़ में भारत की जासूसी की जा रही थी।
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सुरक्षा एजेंसियों ने 5 संदिग्ध डॉक्टरों को गिरफ्तार किया, एक विदेश भागा।
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आईबी ने पहले ही नेपाल में संदिग्ध गतिविधियों को लेकर रिपोर्ट दी थी।
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खुली सीमा और ढीले वीजा नियमों के कारण नेपाल आईएसआई का सेफ कॉरिडोर बन गया है।






