Supreme Court on Waqf: देश भर में वक्फ संपत्तियों को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे दिग्गजों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। शीर्ष अदालत ने दो टूक शब्दों में साफ कर दिया है कि वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के लिए तय की गई समय सीमा में एक दिन की भी मोहलत नहीं दी जाएगी।
अदालत का यह सख्त रुख उन संगठनों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो दस्तावेजों की कमी और समय के अभाव का हवाला देकर प्रक्रिया को टालने की कोशिश कर रहे थे।
समय सीमा नहीं बढ़ेगी, ट्रिब्यूनल जाने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ की सभी संपत्तियों का रिकॉर्ड ‘उम्मीद’ (UMEED) पोर्टल पर अपलोड करने की अंतिम तारीख को आगे बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिया कि जिन लोगों को लगता है कि उनके पास समय कम है, वे सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद करने के बजाय संबंधित ट्रिब्यूनल के सामने अपना पक्ष रखें। यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि समय सीमा बढ़ाने की मांग करने वालों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सांसद असदुद्दीन ओवैसी प्रमुख रूप से शामिल थे, लेकिन अदालत ने किसी भी दलील को स्वीकार नहीं किया।
5 दिसंबर है आखिरी तारीख, चूके तो छिन जाएगी मान्यता
सरकार ने वक्फ की सभी दर्ज संपत्तियों को डिजिटल रूप से सूचीबद्ध करने के लिए 5 दिसंबर तक की समय सीमा निर्धारित की है। यह डेडलाइन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद नियमों की अनदेखी भारी पड़ सकती है।
-
यदि कोई वक्फ बोर्ड, संस्था या व्यक्ति इस तारीख तक अपनी संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं करता, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
-
कानून के तहत 6 महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
-
सबसे बड़ा खतरा यह है कि जो वक्फ संपत्तियां तय अवधि में पोर्टल पर दर्ज नहीं होंगी, उनकी वक्फ के रूप में मान्यता स्वतः ही खत्म मानी जाएगी।
-
एक बार मान्यता रद्द होने के बाद, उन्हें दोबारा पंजीकृत कराने के लिए ट्रिब्यूनल के आदेश की जरूरत होगी, जो एक लंबी कानूनी प्रक्रिया हो सकती है।
याचिकाकर्ताओं की दलील: ‘असंभव है काम’
कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि देश भर में फैली हजारों वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड इतने कम समय में जुटाना और अपलोड करना लगभग असंभव है। उनका कहना था कि कई राज्यों में पुराने दस्तावेज अधूरे हैं, रिकॉर्ड व्यवस्थित नहीं हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी खराब है। उन्होंने कहा कि 6 महीने की समय सीमा व्यावहारिक रूप से बहुत कम है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि कानून में दिए गए विकल्पों का ही पालन किया जाए, समय बढ़ाने का कोई प्रश्न नहीं उठता।
क्या है ‘उम्मीद’ (UMEED) पोर्टल का विवाद?
इस पूरे विवाद की जड़ केंद्र सरकार द्वारा 6 जून को लॉन्च किया गया UMEED पोर्टल है। सरकार का उद्देश्य इस पोर्टल के जरिए पूरे देश की वक्फ संपत्तियों का एक एकीकृत, पारदर्शी और डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है। इसमें जमीनों को जियो-टैग (Geo-tag) करके उनकी वास्तविक स्थिति, उपयोग और स्वामित्व की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। सरकार का तर्क है कि वक्फ की जमीनों पर लंबे समय से कब्जे, गलत रिकॉर्ड और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं, जिन्हें रोकने के लिए यह पारदर्शिता जरूरी है। वहीं, वक्फ बोर्ड का कहना है कि दशकों से अपडेट न हुए रिकॉर्ड्स को इतनी जल्दी दुरुस्त करना संभव नहीं है, कई जगहों पर तो दोबारा सर्वे की जरूरत पड़ेगी।
जानें पूरा मामला
यह विवाद 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से भी जुड़ा है, जब अदालत ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को पूरी तरह स्थगित करने की मांग ठुकरा दी थी। हालांकि, उस समय कुछ विवादित प्रावधानों पर रोक लगाई गई थी। अब ताजा आदेश का सीधा मतलब है कि देश भर की वक्फ संस्थाओं को युद्ध स्तर पर काम करना होगा और अपनी संपत्तियों का डेटा जुटाना होगा। अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा और अपनी संपत्तियों से हाथ धोना पड़ सकता है।
मुख्य बातें (Key Points)
-
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने से इनकार किया।
-
रिकॉर्ड अपलोड करने की आखिरी तारीख 5 दिसंबर है।
-
जानकारी न देने पर 6 महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
-
तय समय में रिकॉर्ड दर्ज न होने पर संपत्ति की वक्फ मान्यता रद्द हो जाएगी।
-
असदुद्दीन ओवैसी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मांगें खारिज।






