चंडीगढ़, 1 दिसंबर (ऱाज कुमार) आम आदमी पार्टी (‘आप’) पंजाब के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर तीखा हमला करते हुए उनके हालिया बयान को “अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारना” करार दिया। उन्होंने कहा कि कैप्टन के बयान ने एक बार फिर बादलों और कैप्टन के बीच गुप्त राजनीतिक गठबंधन का पर्दाफाश कर दिया है, जिसने दो दशकों से अधिक समय से पंजाब को नुकसान पहुंचाया है।
चीमा ने कहा कि पंजाब पहले ही इन नेताओं को खारिज कर चुका है, फिर भी वे लोगों को गुमराह करने के लिए नई राजनीतिक चालें आजमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर सुखबीर बादल और सिमरनजीत सिंह मान तक, आज हर खारिज किया गया नेता एक मंच पर एकजुट होना चाहता है क्योंकि वे सोचते हैं कि पंजाब उनके पाप भूल गया है। लेकिन पंजाबियों को सब कुछ याद है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस दावे “भाजपा अकाली दल के साथ गठबंधन के बिना पंजाब में सरकार नहीं बना सकती” पर प्रतिक्रिया देते हुए चीमा ने कहा कि कैप्टन ने अब खुद को बेनकाब कर दिया है। कैप्टन साहिब को पता होना चाहिए कि पंजाबी कभी भी भाजपा को स्वीकार नहीं करेंगे, जिसने पंजाब के किसानों, नदी जल अधिकारों, शैक्षणिक संस्थानों, संघीय ढांचे और यहाँ तक कि चंडीगढ़ को भी हड़पने की कोशिश की है।
उन्होंने यह भी कहा कि शिरोमणि अकाली दल के बारे में कहने के लिए कुछ भी नहीं बचा है, क्योंकि वह पहले ही पंजाब में राजनीतिक तौर पर खत्म हो चुका है। चीमा ने चुटकी लेते हुए कैप्टन का धन्यवाद किया कि उन्होंने आखिरकार सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार तो किया कि बादल और कैप्टन परिवार हमेशा एक-दूसरे के साथ मिलकर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों परिवारों ने एक-दूसरे के भ्रष्टाचार को बचाया है, सार्वजनिक संसाधनों को लूटा है, माफिया को पनाह दी और मिलकर पंजाब के सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने याद दिलाया कि यह गठबंधन लुधियाना सिटी सेंटर घोटाले से शुरू हुआ था, जो बादल के राज के दौरान दबा रहा और बाद में कैप्टन की अपनी सरकार के दौरान इसे क्लोजर रिपोर्ट दी गई।
चीमा ने कहा कि कैप्टन ने हाथ में गुटका साहिब पकड़ कर बेअदबी के दोषियों को सज़ा देने और नशों को खत्म करने की कसमें खाईं, लेकिन हर कदम पर बादलों की रक्षा की। जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट में देरी हुई, कोटकपूरा और बहिबल कलां गोलीबारी के मामले सालों तक लटके रहे, बादल ट्रांसपोर्ट माफिया, केबल माफिया या अवैध रेत माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार ने जानबूझकर बादलों के खिलाफ विजिलेंस जाँच को धीमा किया, महंगे बिजली खरीद समझौतों को रद्द नहीं किया और पंजाब की अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले शक्तिशाली परिवारों को बचाना जारी रखा।
चीमा ने सिमरनजीत सिंह मान पर “परिवार-स्वामित्व वाली पार्टियों” के बीच एकता की वकालत करने के लिए भी हमला किया। उन्होंने कहा कि ये नेता, जिन्होंने पंजाब को नशों, माफिया राज और भ्रष्टाचार में धकेला था, अब डर से एकजुट हो रहे हैं क्योंकि ‘आप’ सरकार गैंगस्टर नेटवर्कों को खत्म कर रही है, नशों के खिलाफ युद्ध लड़ रही है, रोज़गार पैदा कर रही है और कानून व्यवस्था बहाल कर रही है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह का परिवार राजनीतिक तौर पर बेरोजगार है, इसीलिए वह भाजपा-अकाली पुनर्मिलन की बेसब्री से वकालत कर रहा है। चीमा ने पूछा, अगर सचमुच कोई गुप्त गठबंधन नहीं था, तो वह कभी भी बादलों के खिलाफ किसी भी केस को तार्किक अंत तक क्यों नहीं लेकर गए?
चीमा ने कहा, “दोनों परिवार, बादल और कैप्टन, हमेशा एक-दूसरे को राजनीतिक तौर पर ज़िंदा रखने के लिए एक छिपा हुआ एजेंडा चलाते रहे और पंजाब को बर्बाद करते रहे। पंजाब के लोगों ने उन्हें हमेशा के लिए खारिज कर दिया है, और अब कोई भी गुप्त सौदा या नया गठबंधन उन्हें नहीं बचा सकता।”






