Mallikarjun Kharge Karnataka CM: कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रही रस्साकशी थमने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच, राजनीतिक गलियारों में एक नई चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि क्या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री बन सकते हैं? यह अटकलें तब तेज हुईं जब सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच तनाव चरम पर है और दलित विधायकों का दबाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।
सिद्धारमैया-शिवकुमार विवाद और हाईकमान की चिंता
कर्नाटक में सीएम बदलने को लेकर चल रही खींचतान रुक नहीं रही है। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच जो कुछ भी हो रहा है, वह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले पर अंतिम फैसला दिल्ली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में लिया जाएगा। शिवकुमार खेमे ने हाल ही में फिर दावा किया था कि सिद्धारमैया ने नवंबर के मध्य तक पद छोड़ने पर सहमति जताई थी, लेकिन अब वे पीछे हट रहे हैं। खुलेआम होते इस विवाद ने जातीय राजनीति को भी हवा दे दी है, जिससे हाईकमान चिंतित है।
दलित विधायकों का बढ़ता दबाव
इन सबके बीच कर्नाटक में दलित विधायकों का दबदबा बढ़ रहा है। 2023 की भारी जीत में अपनी अहम भूमिका का जिक्र करते हुए, ये विधायक अब सरकार में उचित प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि में खरगे का नाम सीएम पद के लिए उभरा है। खरगे का दलित समुदाय पर गहरा प्रभाव है और पार्टी के भीतर भी उन्हें सबसे अनुभवी और भरोसेमंद चेहरा माना जाता है।
सीएम रेस में दो और नाम
खरगे के अलावा सीएम पद के लिए दो और नाम चर्चा में हैं। पहला नाम दलित समाज से आने वाले मंत्री जी परमेश्वर का है, जिन्होंने एससी आरक्षित 36 में से 32 सीटों पर पार्टी को जीत दिलाई थी। दूसरा नाम एसटी समुदाय के बड़े नेता और मंत्री सतीश जारकीहोली का है। जारकीहोली तो यहां तक कह चुके हैं कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए और तीन-चार डिप्टी सीएम बनाकर ओबीसी, लिंगायत और अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। सिद्धारमैया के बेटे यतिंद्र भी जारकीहोली को अपने पिता का असली उत्तराधिकारी बता चुके हैं।
क्या पूरी होगी खरगे की अधूरी ख्वाहिश?
मल्लिकार्जुन खरगे कई बार कर्नाटक के सीएम पद की दौड़ में रहे हैं, लेकिन हर बार आखिरी वक्त में बाजी उनके हाथ से निकल गई। वे कई मौकों पर सीएम न बन पाने का मलाल भी जता चुके हैं। अब जब सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच विवाद सुलझता नहीं दिख रहा और पार्टी को एक मजबूत व सर्वमान्य चेहरे की जरूरत है, तो सवाल उठ रहा है कि क्या खरगे की वह अधूरी इच्छा अब पूरी होगी?
दिल्ली में अहम बैठकें और अटकलें
सीएम पद को लेकर मचे घमासान के बीच कर्नाटक के एससी-एसटी नेता दिल्ली पहुंचकर लगातार बैठकें कर रहे हैं, जो साफ संकेत है कि वे अब अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के मूड में हैं। कई नेता तो खुले तौर पर कह चुके हैं कि नेतृत्व परिवर्तन की स्थिति में खरगे सबसे बेहतर विकल्प हैं। इसी बीच राहुल गांधी ने भी खरगे और उनके बेटे प्रियांक खरगे से दिल्ली में मुलाकात की है, जिससे सियासी हलकों में अटकलें और तेज हो गई हैं। अब सबकी नजरें कांग्रेस हाईकमान के अगले कदम पर टिकी हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच विवाद गहराया, अंतिम फैसला हाईकमान लेगा।
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कर्नाटक में दलित विधायकों का दबदबा बढ़ा, उचित प्रतिनिधित्व की मांग तेज।
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मल्लिकार्जुन खरगे का नाम सीएम पद के लिए सबसे मजबूत विकल्प के रूप में उभरा।
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जी परमेश्वर और सतीश जारकीहोली भी सीएम पद के दावेदार।
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खरगे कई बार सीएम बनने से चूके हैं, इस बार उनकी अधूरी ख्वाहिश पूरी होने की संभावना है।






