Shashi Tharoor BJP Shift? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक बार फिर अपनी पार्टी की महत्वपूर्ण बैठकों से अनुपस्थित रहे, जिसके बाद उनकी भविष्य की राजनीतिक दिशा को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। रविवार को संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई कांग्रेस की रणनीतिक समिति की बैठक से थरूर नदारद रहे। यह लगातार दूसरी अहम बैठक थी जिसमें वे शामिल नहीं हुए। इससे पहले वे एसआईआर के विरोध में रणनीति बनाने के लिए बुलाई गई बैठक में भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर नहीं पहुंचे थे।
इन अनुपस्थितियों के बीच, थरूर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति बदला हुआ रुख सबसे ज्यादा ध्यान खींच रहा है। पिछले कुछ दिनों से थरूर पीएम मोदी और उनके फैसलों की जमकर तारीफ कर रहे हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस पीएम मोदी की नीतियों का विरोध कर रही है, वहीं थरूर का यह ‘दोहरा रवैया’ पार्टी के अंदर और बाहर कई सवाल खड़े कर रहा है।
पीएम मोदी के कार्यक्रम में हाजिरी, कांग्रेस की बैठक से दूरी
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस की बैठक से एक दिन पहले ही शशि थरूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम में मौजूद थे। उन्होंने इंस्टाग्राम पर पीएम मोदी की तारीफ करते हुए एक पोस्ट भी किया। थरूर ने पीएम मोदी के एक भाषण को सुना और उसकी जमकर सराहना की। यह वही भाषण था जिसमें पीएम मोदी ने ‘गुलामी की मानसिकता’ का जिक्र करते हुए कांग्रेस की कड़ी आलोचना की थी। इसके बावजूद, थरूर ने भाषण को पसंद किया और यहां तक कि शिक्षा पर दी गई पीएम की टिप्पणी की भी तारीफ की।
कांग्रेस नेताओं ने थरूर को लिया निशाने पर
थरूर के इस रुख पर कांग्रेस के अंदर से ही तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने थरूर पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि थरूर को पीएम मोदी का भाषण क्यों पसंद आया, जिसमें उन्होंने कांग्रेस को कोसा था। श्रीनेत ने सवाल उठाया कि थरूर को तो पीएम से पत्रकारों पर हो रहे एफआईआर और निष्पक्ष पत्रकारिता के हनन पर सवाल पूछना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पीएम के भाषण में तारीफ करने लायक कोई सकारात्मक या सजग बात नहीं थी।
थरूर की सफाई और बीजेपी का समर्थन
अपनी अनुपस्थिति पर सफाई देते हुए थरूर ने बताया कि वे केरल में अपनी 90 वर्षीय मां के साथ थे, इसलिए बैठक में शामिल नहीं हो सके। हालांकि, उनका पीएम मोदी की तारीफ करना और कांग्रेस की आलोचना करना जारी है। हाल ही में थरूर ने कहा था कि सभी राजनीतिक पार्टियों में वंशवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है और अब समय आ गया है कि भारत ‘वंशवाद’ से ‘मेरिटोक्रेसी’ (योग्यता-आधारित व्यवस्था) की ओर बढ़े।
थरूर के इस बयान को सीधे तौर पर कांग्रेस और गांधी परिवार पर हमले के रूप में देखा गया। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने थरूर के इस बयान का समर्थन किया है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे भारतीय राजनीति के ‘फैमिली बिजनेस’ बनने पर एक गहरी समझ वाला लेख बताया और कहा कि थरूर ने सीधे तौर पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जैसे ‘नेपोकिड्स’ पर हमला किया है।
क्या है पृष्ठभूमि
शशि थरूर 2009 से कांग्रेस के टिकट पर सांसद हैं और पार्टी के एक प्रमुख चेहरे रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनके मतभेद जगजाहिर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़ा था। हालिया घटनाक्रम, विशेषकर पीएम मोदी की तारीफ और कांग्रेस की बैठकों से दूरी, ने इन अटकलों को और हवा दी है कि क्या थरूर बीजेपी का दामन थामने की तैयारी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके रवैये को लेकर यही सवाल पूछा जा रहा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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शशि थरूर लगातार दूसरी बार कांग्रेस की अहम रणनीतिक बैठक में शामिल नहीं हुए।
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थरूर ने पीएम मोदी के उस भाषण की तारीफ की जिसमें कांग्रेस की आलोचना की गई थी।
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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने थरूर के रुख पर सवाल उठाए हैं।
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थरूर ने वंशवाद की राजनीति को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया, जिसे बीजेपी ने समर्थन दिया।
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थरूर के बीजेपी में शामिल होने को लेकर राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं।






