Bahraich Wolf Attack: उत्तर प्रदेश का बहराइच जिला एक बार फिर आदमखोर भेड़ियों के खौफ से थर्रा उठा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों और प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद, घाघरा नदी के किनारे बसे एक गांव में भेड़ियों ने 5 साल के एक मासूम को अपना शिकार बना लिया। घर के बाहर खेल रहे बच्चे को दो भेड़िए उठा ले गए और उसे बुरी तरह नोच डाला। इलाज के लिए लखनऊ ले जाते समय रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया।
गन्ने के खेत में खूनी खेल
घटना बहराइच की कैसरगंज तहसील के गुहड़िया नंबर तीन इलाके के मल्लाहनपुरवा गांव की है। यह इलाका मंझारा से सटा हुआ है और घाघरा नदी के किनारे बसा है। 28 नवंबर की शाम करीब 4:30 बजे, 5 साल का ‘स्टार’ अपने घर के बाहर खेल रहा था। तभी अचानक दो भेड़िए आए और उसे दबोच लिया।
स्टार के पिता रोशन कुमार के पड़ोसी राजेंद्र, जो उस वक्त वहीं मौजूद थे, ने बताया कि उनकी आंखों के सामने यह खौफनाक मंजर घटा। एक भेड़िये ने बच्चे की गर्दन पकड़ी और दूसरे ने हाथ, और दोनों उसे नोचने लगे। राजेंद्र के शोर मचाने पर भेड़िए बच्चे को लेकर पास के गन्ने के खेत में घुस गए।
ग्रामीणों का ‘हाका’ और बच्चे की बरामदगी
बच्चे की चीख-पुकार और परिजनों का शोर सुनकर गांव वाले लाठी-डंडे लेकर दौड़ पड़े। उन्होंने गन्ने के खेत को चारों तरफ से घेर लिया और ‘हाका’ लगाना (शोर मचाकर जानवरों को भगाना) शुरू कर दिया। स्थानीय समाजसेवी अजय सिंह गुड्डू के मुताबिक, ग्रामीणों का दबाव बढ़ता देख भेड़िए बच्चे को खेत में ही छोड़कर भाग निकले।
जब तक ग्रामीण बच्चे तक पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। भेड़ियों ने बच्चे के दोनों हाथ बुरी तरह चबा डाले थे और सीने पर भी दांतों के गहरे घाव थे। खून से लथपथ बच्चे को गोद में उठाकर गांव वाले खेत से बाहर लाए।
अस्पताल-दर-अस्पताल दौड़, फिर भी नहीं बची जान
घायल स्टार को सबसे पहले कैसरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले जाया गया, जहां करीब साढ़े तीन घंटे तक उसका इलाज चला। हालत गंभीर होने पर उसे बहराइच के जिला अस्पताल (महाराजा सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज) रेफर कर दिया गया। रात करीब 8 बजे परिजन उसे लेकर वहां पहुंचे, लेकिन दो घंटे के इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे लखनऊ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया।
रात करीब 10 बजे परिवार वाले बच्चे को लेकर लखनऊ के लिए निकले, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। रास्ते में ही, रात के करीब 11:30 बजे, 5 साल के स्टार ने जिंदगी की जंग हार दी।
वन विभाग की कार्रवाई और उठते सवाल
घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। डीएफओ राम सिंह यादव ने बताया कि आसपास के जंगलों और खेतों की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। भेड़ियों को पकड़ने के लिए तीन पिंजरे लगाए गए हैं और कॉम्बिंग ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। उन्होंने ग्रामीणों से सतर्क रहने और छोटे बच्चों को अकेले बाहर न छोड़ने की अपील की है।
घाघरा नदी के पास के इन इलाकों में गन्ने के खेत बहुतायत में हैं, जो भेड़ियों के लिए छिपने की आदर्श जगह बन जाते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जब चार भेड़ियों को मार गिराने और इलाके को सुरक्षित घोषित करने का दावा किया गया था, तो यह हमला कैसे हुआ? क्या प्रशासन ने गलत भेड़ियों को मारा? या क्या अब सारे ही भेड़िए आदमखोर हो चुके हैं? यह घटना एक बार फिर प्रशासनिक दावों और जमीनी हकीकत के बीच की खाई को उजागर करती है।
मुख्य बातें (Key Points)
-
बहराइच के कैसरगंज इलाके में घर के बाहर खेल रहे 5 साल के बच्चे को भेड़ियों ने उठाया।
-
ग्रामीणों के शोर मचाने पर भेड़ियों ने बच्चे को गन्ने के खेत में अधमरी हालत में छोड़ा।
-
बच्चे के दोनों हाथ बुरी तरह चबाए गए थे, सीने पर भी गहरे जख्म थे।
-
कैसरगंज CHC और बहराइच मेडिकल कॉलेज के बाद लखनऊ ले जाते समय बच्चे की मौत।
-
वन विभाग ने ड्रोन और पिंजरों के साथ निगरानी बढ़ाई, ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह।
-
प्रशासन के दावों के बावजूद हुए हमले ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।






