Breast Cancer Patient Support Guide: जब किसी इंसान को ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोस होता है, तो यह खबर न केवल मरीज बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए किसी सदमे से कम नहीं होती। ऐसे मुश्किल वक्त में मरीज को दवाइयों के साथ-साथ जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, वह है अपनों का साथ और सही देखभाल। डॉक्टर्स का मानना है कि अगर परिवार, दोस्त और पार्टनर सही तरीके से सपोर्ट सिस्टम बनें, तो इस बीमारी से लड़ना आसान हो जाता है।
परिवार का साथ ही सबसे बड़ी दवा
जयपुर के भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल के डॉ. अजय बापना बताते हैं कि भारत का सोशल फैब्रिक बहुत मजबूत है, जो मरीज के लिए वरदान साबित होता है। डायग्नोसिस होते ही सबसे पहले परिवार वालों को मरीज को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि सब ठीक हो जाएगा। डॉक्टर्स की पॉजिटिव बातों को मरीज तक पहुंचाना और उन्हें यह समझाना कि समय पर इलाज से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है, बेहद जरूरी है। इलाज के दौरान मरीज को चीयरफुल रखना और कीमोथेरेपी के शेड्यूल को याद दिलाना परिवार की बड़ी जिम्मेदारी है।
डॉक्टर विजिट और घर के कामों में मदद
बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ. रोहित पाए के मुताबिक, प्रैक्टिकल मदद इमोशनल सपोर्ट जितनी ही अहम है। जब मरीज डॉक्टर के पास जाए, तो किसी जानकार का साथ होना बहुत जरूरी है, क्योंकि तनाव के कारण मरीज अक्सर डॉक्टर की सलाह पूरी तरह समझ नहीं पाता। ऐसे में साथ गया व्यक्ति नोट्स ले सकता है और मरीज की ओर से सवाल पूछ सकता है। इसके अलावा, घर के छोटे-बड़े काम जैसे बच्चों की देखभाल, पेट्स को संभालना और साफ-सफाई में मदद करने से मरीज को आराम करने का पर्याप्त वक्त मिल जाता है।
खानपान और डाइट में रखें ये सावधानियां
इलाज के दौरान मरीज की डाइट का ख्याल रखना बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ. रोहित सलाह देते हैं कि मरीज को घर का बना ताजा और संतुलित भोजन ही दें। खाने में प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए। कीमोथेरेपी की वजह से कई बार उल्टी जैसा महसूस होता है, इसलिए एक बार में ज्यादा खिलाने के बजाय हर 2-3 घंटे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन दें। बहुत ज्यादा गर्म या ठंडी चीजों और तीखे मसालेदार खाने से बचें, क्योंकि इससे मुंह के छालों में तकलीफ बढ़ सकती है। पानी और लिक्विड डाइट का भी पूरा ध्यान रखें।
साइड इफेक्ट्स का डर और हकीकत
एमओसी कैंसर केयर मुंबई के डॉ. वशिष्ठ मनियार ने बताया कि अक्सर लोग बीमारी से ज्यादा कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से डरते हैं। हकीकत यह है कि 80 से 90 प्रतिशत साइड इफेक्ट्स अस्थाई होते हैं और कुछ घंटों या एक-दो दिन में ठीक हो जाते हैं। अब ‘कूल कैप्स’ जैसी नई तकनीक आ गई है, जिससे बाल झड़ने की समस्या को भी काफी हद तक रोका जा सकता है। परिवार वालों को चाहिए कि वे साइड इफेक्ट्स पर नजर रखें और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयां समय पर दें।
सोशल लाइफ और घूमना-फिरना
अक्सर देखा जाता है कि लोग कैंसर मरीज को सबसे अलग-थलग कर देते हैं, जो कि गलत है। डॉक्टर्स का कहना है कि यह कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है। अगर मरीज को एग्रेसिव कीमोथेरेपी नहीं चल रही है और ब्लड काउंट्स ठीक हैं, तो वे अपनी सोशल लाइफ जारी रख सकते हैं, दोस्तों से मिल सकते हैं और यहां तक कि घूमने भी जा सकते हैं। मरीज को अलग-थलग करने के बजाय उन्हें उन गतिविधियों में शामिल करें जिनमें उनका मन लगता हो।
दूर रहकर भी ऐसे करें मदद
अगर मरीज के बच्चे या करीबी रिश्तेदार विदेश या दूसरे शहर में रहते हैं, तो भी वे मदद कर सकते हैं। आज के दौर में वीडियो कॉल और टेलीमेडिसिन के जरिए डॉक्टर्स और मरीज से जुड़े रहना आसान है। ऐसे में एक लोकल गार्जियन या केयरटेकर की व्यवस्था करना और इमरजेंसी कॉन्टैक्ट्स तैयार रखना बहुत जरूरी है। हॉस्पिटल के सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी ऐसे हालात में मददगार साबित होते हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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मरीज को अकेला न छोड़ें, डॉक्टर विजिट के दौरान साथ रहें और सारी बातें नोट करें।
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घर का बना ताजा, प्रोटीन युक्त और कम मसालेदार भोजन थोड़ी-थोड़ी देर में दें।
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कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स अस्थाई होते हैं, कूल कैप्स से बाल झड़ने से बचाया जा सकता है।
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मरीज को आइसोलेट न करें, उन्हें सोशल एक्टिविटीज और घूमने-फिरने के लिए प्रोत्साहित करें।






