New Labour Code Benefits केंद्र सरकार द्वारा नए लेबर कोड लागू किए जाने के बाद से नौकरीपेशा लोगों की सैलरी स्लिप का पूरा गणित बदल गया है। भले ही आपकी हर महीने हाथ में आने वाली सैलरी (इन-हैंड सैलरी) थोड़ी कम हो जाए, लेकिन रिटायरमेंट के वक्त आपको इसका जबरदस्त फायदा मिलने वाला है। नए नियमों के मुताबिक, आपकी बचत में इतना इजाफा होगा कि रिटायरमेंट के समय आपको 2 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का अतिरिक्त फायदा मिल सकता है।
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट में टैक्सबडी डॉट कॉम (Taxbuddy.com) के फाउंडर सुजीत बांगर के हवाले से इस पूरे गणित को समझाया गया है। नए लेबर कोड के चलते सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आया है, जिसका सीधा असर आपकी लंबी अवधि की बचत पर पड़ेगा। कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के जरिए अब आप रिटायरमेंट तक एक मोटी रकम जोड़ पाएंगे।
‘क्या है 50% बेसिक सैलरी का नियम?’
सुजीत बांगर के अनुसार, नए लेबर कोड के लागू होने से पहले कंपनियां कर्मचारियों की बेसिक सैलरी (Basic Salary) को सीटीसी (CTC) का सिर्फ 35% के आसपास रखती थीं। इससे कर्मचारियों की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा एचआरए (HRA), एलटीए (LTA) और अन्य भत्तों में चला जाता था, जिन पर टैक्स कम लगता था। चूंकि पीएफ बेसिक सैलरी के हिसाब से कटता है, इसलिए पीएफ और एनपीएस में योगदान भी कम रहता था।
अब नए नियमों के मुताबिक, आपकी बेसिक सैलरी आपकी कुल सीटीसी का कम से कम 50% होना अनिवार्य है। बेसिक सैलरी बढ़ने का सीधा मतलब है कि पीएफ और एनपीएस में आपका और कंपनी का योगदान अपने आप बढ़ जाएगा, क्योंकि इन दोनों की गणना बेसिक सैलरी के आधार पर ही होती है।
‘2 करोड़ से ज्यादा के फायदे का गणित’
इस मुनाफे को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिए एक 30 साल का कर्मचारी है जिसका सालाना पैकेज (CTC) 50 लाख रुपये है। पुराने नियम के हिसाब से उसके पीएफ खाते में करीब 7,200 रुपये जमा होते थे। लेकिन बेसिक सैलरी बढ़ने से अब उसके पीएफ खाते में हर महीने ज्यादा पैसा जमा होगा।
कैलकुलेशन के मुताबिक, अब कर्मचारी के खाते में हर महीने करीब 4,800 रुपये का इजाफा होगा (कर्मचारी और कंपनी दोनों का मिलाकर)। अगर यह कर्मचारी 30 साल तक नौकरी करता है और उसे पीएफ पर चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) मिलता है, तो 30 साल बाद रिटायरमेंट के वक्त उसके पीएफ खाते में करीब 1 करोड़ 24 लाख रुपये अतिरिक्त जमा हो जाएंगे।
‘कुल कॉर्पस में भारी उछाल’
सिर्फ पीएफ ही नहीं, बेसिक सैलरी बढ़ने से एनपीएस (NPS) कंट्रीब्यूशन भी बढ़ता है। 30 साल में यह एनपीएस खाते में करीब 1 करोड़ 7 लाख रुपये एक्स्ट्रा जोड़ देगा। इस तरह अगर कुल रिटायरमेंट कॉर्पस की बात करें, तो जहां पुराने नियम से 30 साल में पीएफ और एनपीएस मिलाकर करीब 3 करोड़ 46 लाख रुपये बन रहे थे, वहीं अब यह रकम बढ़कर 5 करोड़ 77 लाख रुपये हो जाएगी। यानी कर्मचारी को रिटायरमेंट पर सीधे तौर पर 2 करोड़ 13 लाख रुपये एक्स्ट्रा मिलेंगे।
हालांकि, यह ध्यान देने वाली बात है कि इतना बड़ा कॉर्पस बनाने के लिए कर्मचारी की उम्र 30 साल या उससे कम और सीटीसी 50 लाख रुपये सालाना होनी चाहिए। सैलरी कम होने पर यह राशि कम होगी और सैलरी ज्यादा होने पर यह फायदा और भी बड़ा हो सकता है।
‘म्यूचुअल फंड से बेहतर क्यों है यह बचत?’
एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बचत की तुलना एसआईपी (SIP) या एफडी (FD) से नहीं की जा सकती। सुजीत बांगर कहते हैं कि म्यूचुअल फंड एसआईपी अक्सर 3 से 5 साल में टूट जाती है और एफडी मैच्योर होने पर लोग पैसा निकाल लेते हैं। लेकिन पीएफ और एनपीएस में रिटायरमेंट तक एक निश्चित रकम कटवानी अनिवार्य होती है, जो इसे बुढ़ापे का असली सहारा बनाती है।
‘जानें पूरा मामला: 4 नए लेबर कोड’
केंद्र सरकार ने 21 नवंबर से नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। इससे पहले देश में श्रम से जुड़े 29 अलग-अलग कानून थे, जिन्हें मिलाकर अब चार मुख्य कोड बनाए गए हैं। इनके नाम हैं- वेज कोड 2019, सोशल सिक्योरिटी कोड 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020, और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड 2020। सरकार का दावा है कि ये नए कानून कंपनियों और कर्मचारियों दोनों के लिए फायदेमंद हैं और इससे कर्मचारियों के अधिकारों से जुड़े नियम आसान होंगे।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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नए लेबर कोड के तहत बेसिक सैलरी सीटीसी का कम से कम 50% होना अनिवार्य है।
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बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और एनपीएस में मंथली कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा।
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50 लाख सीटीसी वाले 30 वर्षीय कर्मचारी को रिटायरमेंट पर 2 करोड़ रुपये से ज्यादा का अतिरिक्त फायदा हो सकता है।
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सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को खत्म करके 4 नए लेबर कोड लागू किए हैं।






