India Foreign Policy Challenges: गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) का जनक और दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाने वाला भारत क्या आज अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के चौराहे पर अकेला खड़ा है? यह सवाल इसलिए गहरा गया है क्योंकि एक तरफ चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपनी गिद्ध दृष्टि गड़ाए बैठा है, तो दूसरी तरफ इजरायल और अमेरिका जैसे ‘दोस्त’ भी अब आंखें दिखाते नजर आ रहे हैं। दिल्ली में हुए धमाकों की गूंज और सीमाओं पर कूटनीतिक चालबाजियों ने भारत की विदेश नीति के सामने एक यक्ष प्रश्न खड़ा कर दिया है।
‘शंघाई एयरपोर्ट पर भारतीय नागरिक से बदसलूकी’
चीन की दादागिरी का एक ताजा और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली भारतीय नागरिक प्रेमा वांगों (Prema Wangsu) जब लंदन से टोक्यो जा रही थीं और शंघाई एयरपोर्ट पर ट्रांजिट के लिए रुकीं, तो चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया।
वजह बेहद चौंकाने वाली थी। चीनी अधिकारियों ने उनसे कहा कि “अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा नहीं, बल्कि चीन का हिस्सा है।” उनका वीजा और पासपोर्ट अमान्य करार दे दिया गया और उन्हें करीब 18 घंटे तक एयरपोर्ट पर रोके रखा गया। अधिकारियों ने यहां तक तंज कसा कि उन्हें ‘चीनी पासपोर्ट’ के लिए आवेदन करना चाहिए। यह घटना तब हुई है जब दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने और रिश्तों को सुधारने की बातें हो रही हैं।
‘व्यापारिक घाटे का बढ़ता बोझ’
हैरानी की बात यह है कि जिस देश (चीन) के अधिकारी भारतीय नागरिकों की पहचान को नकार रहे हैं, उसी देश के साथ भारत के व्यापारिक रिश्ते नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। रिपोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर तक के 7 महीनों में ही भारत का चीन के साथ व्यापारिक घाटा लगभग 6 लाख 97 हजार करोड़ रुपये (6,97,339 करोड़) तक पहुंच गया है।
अनुमान है कि इस वित्त वर्ष के अंत तक यह घाटा 14 लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है। यानी भारत जिस देश से सीमा पर चुनौती झेल रहा है, उसी की झोली में व्यापार के जरिए लाखों करोड़ रुपये डाल रहा है।
‘इजरायल के पीएम ने क्यों मोड़ा मुंह?’
भारत के लिए एक और बड़ा झटका इजरायल की तरफ से आया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) दिसंबर के पहले हफ्ते में भारत आने वाले थे, लेकिन उन्होंने अचानक अपना दौरा रद्द कर दिया।
इसके पीछे की वजह ‘सुरक्षा कारणों’ को बताया गया है। दिल्ली में हाल ही में हुए कुछ धमाकों और इजराइली दूतावास के पास सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया गया। विडंबना देखिए कि आज ही के दिन (26 नवंबर) मुंबई में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें इजराइली नागरिक भी मारे गए थे। नेतन्याहू के ऑफिस ने सोशल मीडिया पर सफाई दी कि उन्हें पीएम मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा पर भरोसा है और नई तारीख जल्द तय होगी, लेकिन कूटनीतिक गलियारों में इसे भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़े सवाल के तौर पर देखा जा रहा है।
‘अमेरिका और आर्मेनिया से भी झटके’
मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। एक तरफ अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति (या प्रशासन) चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को “माय ग्रेट फ्रेंड” (My Great Friend) बता रहे हैं और रूस को G8 में वापस लाने की वकालत कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ भारत पर टैरिफ और कृषि उत्पादों को लेकर दबाव बना रहे हैं।
वहीं, रक्षा क्षेत्र में भी एक बुरी खबर है। इजराइली मीडिया ‘जेरूसलम पोस्ट’ के मुताबिक, आर्मेनिया ने भारत से ‘तेजस’ फाइटर जेट खरीदने की डील को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। दुबई एयर शो में तेजस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आर्मेनिया ने यह कदम उठाया है। यह डील करीब 1.2 बिलियन डॉलर (लगभग 10,000 करोड़ रुपये) की थी।
‘जानें पूरा मामला’
यह पूरा घटनाक्रम भारत की वर्तमान विदेश नीति की दशा और दिशा पर सवाल उठाता है। गुटनिरपेक्षता से शुरू हुआ सफर आज ऐसी स्थिति में पहुंच गया है जहां भारत, अमेरिका और चीन के ‘पावर गेम’ के बीच फंसता दिख रहा है। चाहे वह चीन का अरुणाचल पर दावा हो, इजरायल का सुरक्षा के नाम पर दूरी बनाना हो, या अमेरिका का बदलता रुख—ये सभी संकेत इशारा कर रहे हैं कि भारत को अपनी कूटनीतिक रणनीति पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है, ताकि वह वैश्विक मानचित्र पर अलग-थलग न पड़े।
मुख्य बातें (Key Points)
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चीन की हरकत: शंघाई एयरपोर्ट पर अरुणाचल की महिला को रोका गया, कहा- अरुणाचल चीन का हिस्सा है।
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व्यापार घाटा: चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 7 महीनों में ही लगभग 7 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है।
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इजरायल का दौरा रद्द: पीएम नेतन्याहू ने सुरक्षा कारणों और दिल्ली धमाकों का हवाला देकर भारत यात्रा टाली।
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रक्षा डील पर संकट: दुबई क्रैश के बाद आर्मेनिया ने भारत के साथ होने वाली 10,000 करोड़ की तेजस डील रोकी।
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अमेरिकी रुख: अमेरिका ने चीन के साथ दोस्ती और रूस को G8 में लाने की बात कहकर भारत की चिंता बढ़ाई।






