AI Identity Fraud: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दुरुपयोग अब एक बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। आपकी सिर्फ एक फोटो और नाम का इस्तेमाल करके स्कैमर्स महज 10 सेकंड के भीतर एक ऐसा नकली आधार कार्ड तैयार कर रहे हैं, जो देखने में बिल्कुल असली लगता है। यह तकनीक अब आपकी गाढ़ी कमाई और पहचान दोनों के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है।
‘असली और नकली में फर्क करना मुश्किल’
इंटरनेट पर मौजूद आपकी तस्वीरों और जानकारी का गलत इस्तेमाल हो रहा है। वीडियो में दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘Google का Nano’ (ट्रांसक्रिप्ट के अनुसार: Google ka Nano banana Pro) जैसे इमेज जनरेशन मॉडल का इस्तेमाल करके ऐसे फेक आधार और पैन कार्ड बनाए जा रहे हैं, जिन्हें पहली नजर में पहचानना नामुमकिन है। कुछ यूजर्स ने जब अपनी आईडी डिटेल्स इन टूल्स में डालीं, तो उन्हें तुरंत एक नकली लेकिन बेहद रियलिस्टिक आईडी में बदल दिया गया।
यह स्थिति आम आदमी के लिए बेहद डरावनी है। अगर कोई आपकी सोशल मीडिया से फोटो ले ले और किसी लिस्ट से आपका नाम, तो एआई उसे एक रैंडम एड्रेस के साथ जोड़कर पल भर में एक नया पहचान पत्र खड़ा कर सकता है।
‘सिम कार्ड और लोन का खेल’
इस फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा इस्तेमाल सिम कार्ड फ्रॉड में हो रहा है। स्कैमर्स फेक आधार कार्ड का उपयोग करके आपके नाम पर सिम कार्ड एक्टिवेट करवा लेते हैं। एक बार सिम चालू होने के बाद, बैंकिंग ओटीपी (OTP) उस नंबर पर आसानी से आ जाते हैं, जिससे आपके बैंक खाते में सेंध लगाना बाएं हाथ का खेल बन जाता है।
दूसरा बड़ा खतरा ‘इंस्टेंट लोन ऐप्स’ से है। स्कैमर्स आपकी फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके लोन ले लेते हैं, और आपको इसकी भनक तब लगती है जब रिकवरी वाले आपके दरवाजे पर आ धमकते हैं या आपका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है।
‘सुरक्षा चक्र में बड़ी सेंध’
यह खतरा सिर्फ बैंकों तक सीमित नहीं है। हॉस्टल्स, पीजी, कूरियर पिकअप और छोटे केवाईसी (KYC) काउंटर्स, जहां अक्सर आधार कार्ड की सिर्फ फोटो देखकर काम चला लिया जाता है, वहां यह सिक्योरिटी रिस्क बहुत बड़ा है।
अगर एआई जनरेटेड कार्ड्स इन जगहों पर इस्तेमाल होने लगे, तो पूरा ‘ट्रस्ट सिस्टम’ या भरोसे की व्यवस्था ही टूट सकती है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि एआई द्वारा बनाई गई ये नकली पहचान इतनी सटीक हैं कि इंसान की आंखें धोखा खा जाती हैं।
‘कैसे करें बचाव? स्कैन करें, भरोसा नहीं’
इस डिजिटल खतरे से बचने के लिए सतर्कता ही एकमात्र हथियार है। सबसे पहली और जरूरी बात यह है कि किसी भी आधार या पैन कार्ड को असली मानने से पहले उसका क्यूआर (QR) कोड जरूर वेरिफाई करें। आधार ऐप के जरिए स्कैन करते ही पता चल जाएगा कि कार्ड जेन्युइन है या नहीं।
दूसरी अहम सावधानी यह है कि अपने आधार कार्ड की फ्रंट और बैक फोटो कभी भी वॉट्सऐप (WhatsApp) पर यूं ही किसी के साथ शेयर न करें। यह लीक का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। चाहे आप पीजी रेंट पर ले रहे हों, जॉब के लिए अप्लाई कर रहे हों या कोई डिलीवरी ले रहे हों, सामने वाले की आईडी का वेरिफिकेशन प्रोसेस जरूर पूरा करें, सिर्फ फोटो देखकर भरोसा न करें।
जानें पूरा मामला
आज के दौर में एआई बहुत तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही आइडेंटिटी फ्रॉड (Identity Fraud) भी अब फिल्मों की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत बन गया है। स्कैमर्स एआई टूल्स का इस्तेमाल कर वेरिफिकेशन सिस्टम को चकमा दे रहे हैं। यह रिपोर्ट इसी बढ़ते खतरे और उससे बचने के तरीकों पर प्रकाश डालती है, ताकि आम जनता अपनी डिजिटल पहचान को सुरक्षित रख सके।
मुख्य बातें (Key Points)
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10 सेकंड में फर्जीवाड़ा: एआई फोटो और नाम का उपयोग करके तुरंत असली दिखने वाला फेक आधार कार्ड बना सकता है।
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बैंकिंग फ्रॉड का खतरा: नकली आईडी से सिम कार्ड लेकर स्कैमर्स बैंकिंग ओटीपी हासिल कर सकते हैं।
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लोन स्कैम: आपके नाम पर फर्जी लोन लिए जा सकते हैं, जिससे आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है।
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बचाव का तरीका: आधार का क्यूआर कोड स्कैन करके ही उसकी असलियत जांचें और अपनी आईडी की तस्वीरें वॉट्सऐप पर शेयर करने से बचें।






