Air India Dreamliner Crash 12 जून 2025 की तारीख़ पर अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI171 के क्रैश ने 241 लोगों की जान ले ली थी। प्लेन आग के गोले में तब्दील हो गया था, जिसमें सवार 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर, यानी कुल 241 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस दर्दनाक हादसे की शुरुआती जाँच में फ्यूल कट-ऑफ स्विच को वजह बताया गया था, लेकिन अब ‘द फेडरल’ की एक नई और विस्तृत रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि यह क्रैश महज़ एक बटन की गड़बड़ी नहीं, बल्कि कई दिनों से चली आ रही गंभीर तकनीकी ख़ामियों का नतीजा था।
इस भीषण हादसे ने एयर इंडिया के विमानों और फ्लाइट बनाने वाली कंपनी बोइंग पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। यह रिपोर्ट उन सभी परिवारों को झकझोर देगी, जिन्होंने अपनों को खोया है, क्योंकि पता चला है कि यह हादसा टाला जा सकता था।
जानलेवा उड़ान से पहले ही जूझ रहा था विमान
‘द फेडरल’ की सामने आई डिटेल जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर अपनी जानलेवा आखिरी उड़ान से पहले कई दिनों से तकनीकी दिक्कतों से जूझ रहा था। इतना ही नहीं, हादसे से महज़ 48 घंटे पहले तक यह विमान कई बार तकनीकी ख़राबियों से जूझ रहा था। इन गंभीर ख़ामियों के बावजूद विमान उड़ान भरता रहा और अंत में भयानक हादसे का शिकार हो गया। रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि क्रैश की असली वजह वह लापरवाही थी, जिसके चलते तकनीकी दिक्कतों को नज़रअंदाज़ किया गया।
हार्ड लैंडिंग और फ़ायर इनर्टर का ऑफ़लाइन होना
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि क्रैश हुए बोइंग जेट की पिछली उड़ान के दौरान एक ‘हार्ड लैंडिंग’ हुई थी। हार्ड लैंडिंग के कारण क्रैश फ्लाइट से कुछ घंटे पहले ही पूरे स्टेबलाइजर मोटर ट्रिम को बदलना पड़ा था। मेंटेनेंस रिकॉर्ड से पता चला है कि हार्ड लैंडिंग के बाद स्टेबलाइजर पोजीशन ट्रांसड्यूसर (सेंसर) और हॉरिजॉन्टल स्टेबलाइजर इलेक्ट्रिक मोटर कंट्रोल यूनिट (EMCU) दोनों को बदलना पड़ा था। सबसे गंभीर खुलासा यह हुआ कि स्टेबलाइजर मोटर के पार्ट्स ‘फायर इनर्टर’ (नाइट्रोजन जनरेटर सिस्टम) के साथ भी पावर और डाटा शेयर करते थे। इस सिस्टम को फ्यूल टैंक में आग लगने से बचाने के लिए लगाया जाता है।
गंभीर तकनीकी ख़राबी को किया नज़रअंदाज़
इंजीनियरों ने क्रैश से दो दिन पहले ही फायर इनर्टर को ऑफ़लाइन कर दिया था। इसे ‘हाई रिस्क एक्टिव फॉल्ट’ बताया गया था, जिसे 24 घंटे के अंदर ठीक करना अनिवार्य था। लेकिन जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 अपनी आखिरी उड़ान के लिए निकली, तब भी यह सिस्टम काम नहीं कर रहा था। इसके अलावा, एक अलग ‘मीडियम रिस्क कोर नेटवर्क इश्यू’ भी था, जिसे 9 जून को फ़्लैग किया गया था। ये सभी ख़राबियाँ थ्रस्ट और फ्यूल कट-ऑफ को नियंत्रित करने वाले डिजिटल इंजन कंट्रोल पर असर डाल सकती थीं।
क्या है पृष्ठभूमि
एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में बताया था कि एयरक्राफ्ट के दोनों इंजन फ्यूल कंट्रोल स्विच 1 सेकंड के अंतराल पर एक के बाद एक ‘रन से कट ऑफ’ पोजीशन में चले गए थे। लिफ्ट ऑफ के कुछ ही सेकंड में इंजन बंद हो गए थे। शुरुआती जांच रिपोर्ट के अनुसार, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर पर एक पायलट को दूसरे से यह पूछते हुए सुना गया था कि उसने इंजन को फ्यूल सप्लाई क्यों बंद कर दी, जिस पर दूसरे पायलट ने जवाब दिया था कि उसने ऐसा नहीं किया। नई फेडरल रिपोर्ट ने अब इस हादसे को तकनीकी खामियों की एक श्रृंखला का नतीजा बताया है, जिन्हें उड़ान से पहले ठीक नहीं किया गया था।
मुख्य बातें (Key Points)
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12 जून 2025 को हुए एयर इंडिया ड्रीमलाइनर क्रैश में 241 लोगों की मौत हुई थी।
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‘द फेडरल’ की नई रिपोर्ट के अनुसार, हादसा उड़ान से 48 घंटे पहले मौजूद कई तकनीकी ख़राबियों के कारण हुआ, जिन्हें नज़रअंदाज़ किया गया था।
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क्रैश से दो दिन पहले ‘फायर इनर्टर’ (आग से बचाने वाला सिस्टम) को ऑफ़लाइन कर दिया गया था, जबकि इसे ‘हाई रिस्क फॉल्ट’ बताया गया था।
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पिछली उड़ान में विमान की ‘हार्ड लैंडिंग’ हुई थी, जिसके बाद कई महत्वपूर्ण पार्ट्स बदले गए थे, जो एक जटिल नेटवर्क का हिस्सा थे।
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शुरुआती AAIB रिपोर्ट में इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच के कट ऑफ हो जाने को हादसे की वजह बताया गया था, जिससे इंजन लिफ्ट ऑफ के कुछ सेकंड में ही बंद हो गए थे।






