CJI Suryakant Oath Ceremony: जस्टिस सूर्यकांत की शपथ क्यों रही इतनी खास? राष्ट्रपति भवन में हुए 53वें मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में पहली बार सात देशों के जज मौजूद रहे, साथ ही कई भावुक पल भी आए। CJI Suryakant Oath Ceremony 53rd Justice Suryakant ने आज भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली, जिसने भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में कई ऐतिहासिक पलों को दर्ज किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, यह समारोह कई मायनों में अलग और यादगार बन गया।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे, वहीं इस शपथ ग्रहण समारोह को ऐतिहासिक बनाने वाली सबसे बड़ी वजह कुछ और ही थी। इसका सीधा असर भारतीय न्यायपालिका की वैश्विक प्रतिष्ठा पर देखा जा सकता है।

पहली बार 7 देशों के जज बने ऐतिहासिक क्षण के गवाह
यह भारत के न्यायिक इतिहास में पहली बार हुआ है कि मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में सात देशों के चीफ जस्टिस और जज हिस्सा लेने भारत पहुंचे। इन देशों में ब्राजील, भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरीशियस, नेपाल और श्रीलंका शामिल थे। विभिन्न देशों के न्यायाधीशों की यह उपस्थिति भारतीय न्यायपालिका की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा का स्पष्ट संकेत मानी जा रही है।
शपथ ग्रहण समारोह के भावुक और खास पल
इस दौरान कई ऐसे भावुक पल आए जिसने पूरे समारोह को यादगार बना दिया। शपथ लेने के तुरंत बाद जस्टिस सूर्यकांत ने अपने पूर्ववर्ती सीजीआई बीआर गवई को गले लगाकर सम्मान प्रकट किया। इसके बाद, वे सीधे अपने माता-पिता के पास पहुंचे और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। इस पल तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा समारोह गूंज उठा। एक और खास बात यह रही कि उन्होंने पद की शपथ हिंदी भाषा में ली, जिसकी काफी सराहना हुई।

करीब 15 महीनों का होगा कार्यकाल
जस्टिस सूर्यकांत का नाम मुख्य न्यायाधीश पद के लिए स्वयं पूर्व सीजीआई बीआर गवई ने संविधान के अनुच्छेद 124 की धारा 2 के तहत सुझाया था, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दी। जस्टिस सूर्यकांत 30 अक्टूबर 2025 को औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए थे। उनका कार्यकाल करीब 15 महीनों का होगा, और वे 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे। उन्होंने यह जिम्मेदारी जस्टिस भूषण आर गवई के 65 वर्ष की आयु पूरी कर सेवानिवृत्त होने के बाद संभाली है।
जस्टिस सूर्यकांत के अहम न्यायिक फैसले
सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस सूर्यकांत करीब 80 फैसले लिख चुके हैं। वे कई महत्वपूर्ण फैसलों वाली बेंचों का हिस्सा रहे हैं:
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पेगासिस जासूसी मामला: वे पेगासिस पाईवेयर से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अवैध निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों के एक पैनल का गठन किया था। अदालत ने इस दौरान यह टिप्पणी की थी कि राज्य को राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में मुफ्त पास नहीं मिल सकता है।
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धारा 370 और अन्य मामले: उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जुड़े मामलों से लेकर बिहार में एसआईआर पर सुनवाई तक कई अहम निर्णय दिए।
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एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा: उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से जुड़े 1967 के एक फैसले को खारिज कर दिया था, जिससे संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुला।
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चुनाव आयोग को आदेश: उन्होंने चुनाव आयोग को एसआईआर के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की पूरी सूची सार्वजनिक करने का आदेश भी दिया था।
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केजरीवाल को जमानत: दिल्ली की आपकारी नीति मामले में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने जैसे मामलों में भी निर्णय दिया।
हरियाणा के पहले CJI
10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत राज्य के पहले मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है और इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवाएं दी हैं।

मुख्य बातें (Key Points)
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जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और इस दौरान उन्होंने हिंदी में शपथ ली।
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यह समारोह ऐतिहासिक रहा क्योंकि पहली बार ब्राजील, भूटान समेत सात देशों के चीफ जस्टिस और जज इसमें शामिल हुए।
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जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 15 महीनों का होगा और वे 9 फरवरी 2027 तक पद पर रहेंगे।
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उन्होंने अपने कार्यकाल में पेगासिस जासूसी मामले, अनुच्छेद 370 और एएमयू से जुड़े महत्वपूर्ण फैसलों वाली बेंचों का नेतृत्व किया है।






