PM Fasal Bima Yojana Wild Animal Attack केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में ऐतिहासिक बदलाव किए हैं। अब जंगली जानवरों के हमले और भारी बारिश से होने वाली बाढ़ या जलभराव के कारण फसल को हुए नुकसान को भी बीमा कवर में पूरी तरह से शामिल किया जाएगा, जिससे किसानों की दो बड़ी चिंताएं दूर हो गई हैं। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस लक्ष्य को पूरा करता है, जिसके तहत किसी भी किसान को आर्थिक सुरक्षा के बिना नहीं छोड़ा जाना चाहिए। सरकार के नए नियम खरीफ 2026 के सीजन से लागू होंगे, जिससे आने वाले समय में किसानों को नुकसान की शिकायतें लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
किसानों की दो बड़ी चिंताएं हुईं दूर
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि अब जंगली जानवरों द्वारा फसल बर्बाद किए जाने पर या भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भरने पर, सरकार पूरी भरपाई करेगी। यह फैसला उन किसानों के लिए सबसे बड़ी राहत है, जो अक्सर जंगल और वन्य जीव गलियारों से सटे इलाकों में खेती करते हैं और अपनी फसलों को बचाने के लिए रात-दिन संघर्ष करते हैं। यह बदलाव लाखों किसानों के लिए आर्थिक जोखिम को कम करने का एक पुख्ता कदम है।
जंगली जानवरों से हुए नुकसान पर मिलेगा कवर
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदर जैसे जानवर बड़ी मात्रा में खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। अब इन हमलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ‘स्थानीकृत जोखिम’ (Localized Risks) के तहत एक पाँचवीं अतिरिक्त कैटेगरी में शामिल कर लिया गया है। इस कैटेगरी में यह तय करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास होगा कि उनके क्षेत्र में किन जंगली जानवरों से सबसे ज्यादा नुकसान होता है। साथ ही, संवेदनशील जिलों या बीमा इकाइयों की पहचान भी राज्य सरकारें ही करेंगी।
दावा करने के लिए 72 घंटे का नियम
फसल को नुकसान होने पर किसान को दावा करने के लिए एक वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीका अपनाया गया है। किसान को नुकसान होने के 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप पर जियो-टैग फोटो अपलोड करनी होगी। मंत्रालय ने कहा है कि यह ढांचा इसलिए बनाया गया है ताकि किसानों के दावों का निपटारा समय से और बिना किसी गड़बड़ी के हो सके।
बाढ़ या जलभराव से हुए नुकसान की वापसी
इस बड़े बदलाव में अतिवृष्टि (बहुत अधिक बारिश) के कारण होने वाली बाढ़ या जलभराव से फसलों के नुकसान को भी बीमा कवर में वापस शामिल कर लिया गया है। इससे पहले, साल 2018 में नैतिक जोखिम और जलमग्न फसलों के आंकलन की कठिनाई के कारण धान की फसल में बाढ़ से होने वाले नुकसान को बीमा कवर से बाहर कर दिया गया था। इस फैसले ने तटीय और बाढ़ प्रभावित इलाकों के किसानों पर बुरा असर डाला था।
इन राज्यों के किसानों को मिलेगी बड़ी राहत
एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अब इस नुकसान को फिर से बीमा कवर में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। इस फैसले से खासतौर पर उन राज्यों के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी, जो नियमित रूप से बाढ़ और जलभराव की समस्या का सामना करते हैं। इन राज्यों में ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के राज्य जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं।
जानें पूरा मामला
यह पूरा मामला किसानों को प्राकृतिक और अप्राकृतिक आपदाओं से बचाने की केंद्र सरकार की पहल से जुड़ा है। जंगली जानवरों के हमले लंबे समय से एक बड़ी समस्या थे, जिसके लिए किसान लगातार सुरक्षा की मांग कर रहे थे। वहीं, 2018 में बाढ़ से धान की फसल के नुकसान को बीमा से बाहर कर दिया गया था, जिससे किसानों में रोष था। कृषि मंत्रालय ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए, इन दोनों महत्वपूर्ण जोखिमों को दोबारा PMFBY के दायरे में लाकर किसानों को एक मजबूत आर्थिक सुरक्षा देने का दावा किया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अब जंगली जानवरों के हमले से हुए फसल नुकसान को कवर किया जाएगा।
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अतिवृष्टि से होने वाली बाढ़ और जलभराव के कारण फसल को हुए नुकसान को भी बीमा कवर में वापस शामिल किया गया है।
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नए नियम खरीफ 2026 के सीजन से देश भर के किसानों के लिए लागू होंगे।
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किसान को नुकसान होने के 72 घंटे के अंदर फसल बीमा ऐप पर जियो-टैग फोटो अपलोड करके दावा पेश करना होगा।






