Chhattisgarh Teachers Stray Dog Duty. छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अब अपनी पढ़ाई-लिखाई के काम के साथ-साथ एक नई और अजीब जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, शिक्षा विभाग ने प्रत्येक शाला के प्राचार्य/संस्था प्रमुख को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है。 इनका काम स्कूल परिसर और उसके आसपास घूम रहे आवारा कुत्तों और मवेशियों की लगातार निगरानी करना और इसकी सूचना स्थानीय निकाय अधिकारियों को देना है।
आवारा पशुओं से बच्चों की सुरक्षा
यह आदेश केवल कुत्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि परिसर के आसपास घूम रहे लावारिस पशुओं और मवेशियों की सतत निगरानी के लिए जारी हुआ है। शिक्षक इस बात पर भी नजर रखेंगे कि कोई जानवर परिसर के अंदर न घुस पाए। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को काटने या भोजन को झूठा करने जैसी आशंकाओं को रोकना है, क्योंकि भोजन परिसर में ही बनता भी है और बच्चे वहीं भोजन करते भी हैं।
दलील दी गई है कि कुछ समय पहले दौदर जिले के एक स्कूल में ऐसी घटना घटी थी, जिसमें एक आवारा कुत्ते ने बच्चों के लिए बन रहे मध्याह्न भोजन (Mid-Day Meal) को झूठा कर दिया था। इस घटना के कारण सरकार को लगभग ₹22 लाख का नुकसान उठाना पड़ा था।
नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी और रिपोर्टिंग
आदेश में कहा गया है कि स्कूल के नोडल अधिकारी यानी प्रिंसिपल को आवारा कुत्तों और मवेशियों की सूचना अपने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और नगर निगम क्षेत्र में देनी होगी। यह सूचना संबंधित स्थानीय निकाय के सचिव (ग्राम पंचायत) या सीएमओ/कमिश्नर (नगरीय निकाय) को दी जाएगी, ताकि वे त्वरित कार्रवाई कर सकें।
शिक्षक कुत्ते की ड्यूटी पर नहीं
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि शिक्षकों को ‘कुत्ते की ड्यूटी’ पर नहीं लगाया गया है, बल्कि यह आदेश केवल एक गलत धारणा है। उन्होंने कहा कि शिक्षक का प्राथमिक काम अपने परिसर की देखरेख करना है कि कौन आ रहा है और कौन जा रहा है। चूँकि शिक्षक परिसर में मौजूद हैं, इसलिए यह जिम्मेदारी उनकी देखरेख का ही हिस्सा है। यह आदेश सिर्फ निगरानी के लिए है, ताकि संबंधित अधिकारियों को सूचित किया जा सके और समस्या का निदान हो सके।
क्या है पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार शिक्षा विभाग ने यह आदेश जारी किया है। पहले भी एक गंभीर घटना हो चुकी थी, जिसमें एक आवारा कुत्ते द्वारा मिड-डे मील खराब करने पर ₹22 लाख का नुकसान हुआ था। इसके अलावा, स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं थीं। शिक्षक, जो अपने परिसर की निगरानी के लिए पहले से ही जिम्मेदार हैं, उन्हें ही अब इस व्यवस्था में नोडल अधिकारी बनाकर स्थानीय प्रशासन और उच्च अधिकारियों तक आवारा पशुओं की जानकारी पहुंचाने का तंत्र मजबूत किया गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूल के शिक्षकों को आवारा कुत्तों और मवेशियों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
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यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया है।
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नोडल अधिकारी (प्रिंसिपल/संस्था प्रमुख) को सूचना ग्राम पंचायत सचिव या नगर निगम के सीएमओ को देनी होगी।
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विभाग ने स्पष्ट किया है कि शिक्षकों को ‘कुत्ते की ड्यूटी’ पर नहीं लगाया गया है, बल्कि यह उनकी सामान्य देखरेख की जिम्मेदारी है।






