Nyoma Airbase Fighter Jet. चीन के नापाक मंसूबों और लगातार बढ़ती शरारतों का जवाब देने के लिए भारत ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है। इस रणनीति के तहत, भारत ने लद्दाख में 13,700 फीट की ऊंचाई पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण न्योमा एयरबेस (Nyoma Airbase) बनाया है, जहाँ से अब भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट उड़ान भर सकेंगे। इस एयरबेस के बन जाने से आसमान में भारत की सैन्य क्षमता दोगुनी हो जाएगी, और चीन की हर चाल को नाकाम किया जा सकेगा।
न्योमा एयरबेस का महत्व
न्योमा एयरबेस भारत की ओर से चीन को एक सीधा संदेश है कि भारत अब किसी भी चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है।
-
रणनीतिक निगरानी: यह एयरबेस भारतीय वायुसेना को चीन पर करीबी से नजर रखने में मदद करेगा।
-
सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी: फाइटर जेट की तैनाती से भारत की सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी होगी, और 1962 जैसी स्थिति को दोहराया नहीं जा सकेगा।
-
LAC से दूरी: न्योमा एयरबेस वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान लद्दाख के पैंगोंग सो लेक, डेमचोक और डिपसांग जैसे रणनीतिक रूप से अहम सीमांत इलाकों के करीब है, जिससे इन क्षेत्रों में हवाई सुरक्षा सक्षम होगी।
2026 में उड़ान भरने को तैयार
करीब ₹230 करोड़ की लागत से न्योमा एयरबेस को उन्नत (अपग्रेड) बनाया गया है।
-
रनवे का विस्तार: इसकी पक्की हवाई पट्टी (रनवे) को 2.7 किलोमीटर (करीब 2.5 किलोमीटर से ज्यादा) तक लंबा किया गया है, ताकि फाइटर जेट यहाँ से सफलतापूर्वक संचालन कर सकें।
-
सक्षम संचालन: यह एयरबेस साल 2026 की शुरुआत तक लड़ाकू जेट विमानों के संचालन में पूरी तरह से सक्षम हो जाएगा, जिससे पूर्वी लद्दाख के इन अग्रिम इलाकों में भारतीय लड़ाकू विमानों की गूँज चीन तक पहुंचेगी।
-
बड़े विमानों का संचालन: वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने खुद बड़े विमान C-130J सुपर हरक्यूलिक्स को उड़ाकर न्योमा तक उड़ान भरी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह एयरबेस बड़े विमानों के लिए भी तैयार है।
चीन की रणनीतिक तैयारियों का जवाब
चीन अपनी सीमा में लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़कें और एयरबेस बना रहा है। अब भारत भी उसी दिशा में काम कर रहा है, ताकि चीन को गलवान जैसी हरकत करने पर मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
लद्दाख में चीन-पाकिस्तान से सटे इलाकों में भारतीय सेना इस समय उच्चतम स्तर की सतर्कता बरत रही है (हाई अलर्ट मोड)। भारत अब बर्फ से जमे लद्दाख में सीमा के पास सेना के ऑपरेशन तैयारियों को तेजी देने वाले वायुसेना के बड़े विमानों का दबदबा बढ़ा रहा है। यह कार्रवाई चीन की रणनीतिक तैयारियों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
S-400 और बिजली कनेक्टिविटी
भारत आने वाले कुछ वर्षों में देश के सीमावर्ती इलाकों में अपने सुदर्शन चक्र (S-400) को भी तैनात करेगा, जिससे दुश्मन मुल्क के हमले को इंटरसेप्ट कर नाकाम किया जा सके। इसके अलावा, चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दौलत बेग ओल्डी (DBO) सेक्टर की अग्रिम चौकियों को ग्रिड कनेक्टिविटी से रोशन करने की योजना पर भी काम हो रहा है।
क्या है पृष्ठभूमि
साल 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में हुई हिंसक झड़पों के बाद भारतीय सशस्त्र सेनाएं भावी युद्धों के लिए लगातार तैयारी कर रही हैं। यह न्योमा एयरबेस इसी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत भारत सड़क मार्ग के बजाय हवाई मार्ग से अपनी गर्जना करने को तैयार है।
मुख्य बातें (Key Points)
-
लद्दाख में 13,700 फीट की ऊंचाई पर न्योमा एयरबेस बनाया गया है, जहाँ से 2026 से फाइटर जेट संचालित होंगे।
-
यह एयरबेस LAC से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर स्थित है और चीन पर नजर रखने में भारतीय वायुसेना की मदद करेगा।
-
भारत ने चीन की हर चाल का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए लद्दाख सीमा पर उच्चतम स्तर की सतर्कता और बुनियादी ढांचा तैयार किया है।
-
भारत आने वाले वर्षों में सीमावर्ती इलाकों में S-400 (सुदर्शन चक्र) को भी तैनात करेगा।






