Voter List Fraud Minata Devi. देश में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा वोटर लिस्ट में धांधली और वोट चोरी के दावों के बाद, विपक्ष ने संसद परिसर में 124 साल की वोटर मिनता देवी की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनकर प्रदर्शन किया। मिनता देवी के नाम का फॉर्म 6 (नए वोटर के लिए फॉर्म) भरा जाना, जबकि दुनिया में इस उम्र का कोई जीवित व्यक्ति न होने का दावा है, यह दिखाता है कि मतदाता सूची में किस बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई है। अब चुनाव आयोग के दस्तावेजों से ही बिहार, यूपी और कर्नाटक में हजारों डुप्लीकेट और संदिग्ध वोटर्स का खेल सामने आया है।

शकुन रानी: एक वोटर के 3-3 आईडी कार्ड का खेल
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शकुन रानी और उनके पति वीरेंद्र कुमार का नाम लेकर वोट चोरी का एक बड़ा उदाहरण पेश किया था।
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तीन ID कार्ड: ऑल्ट न्यूज़ के फैक्ट चेकर ने खोज निकाला कि शकुन रानी के नाम पर एक नहीं, बल्कि तीन अलग-अलग Epic ID (वोटर आईडी) महादेवपुरा निर्वाचन क्षेत्र में दर्ज हैं, जिसमें तीनों में अलग-अलग फोटो का इस्तेमाल हुआ है। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद तो दो ID को अपडेट कर दिया, लेकिन तीसरी ID को अपडेट नहीं किया, जो आयोग की प्राथमिक जाँच पर सवाल खड़े करती है।
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पति का नाम भी तीन जगह: शकुन रानी के पति वीरेंद्र कुमार के नाम पर भी कर्नाटक के अलावा उत्तर प्रदेश के इटावा और बिहार के समस्तीपुर में वोटर आईडी दर्ज हैं, जिसमें पिता के नाम की स्पेलिंग में भी थोड़ा-थोड़ा अंतर है।
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शकुन रानी का जवाब: मीडिया जब शकुन रानी से मिला तो उन्होंने कहा कि उनके पास एक ही वोटर आईडी है और उन्होंने एक ही बार वोट किया है। उन्होंने कहा कि उनके नाम पर दो या तीन आईडी कैसे बनीं, यह तो चुनाव आयोग को बताना चाहिए।

33,000 ‘फर्स्ट टाइम वोटर’ और फॉर्म 6 का दुरुपयोग
जांच में सामने आया है कि अकेले कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा में 33,692 वोटर ऐसे हैं, जिन्होंने फॉर्म 6 भरा है। फॉर्म 6 नए वोटर के लिए होता है, लेकिन इस सूची में 70 से 98 साल की उम्र के लोग शामिल हैं। 70 साल की शकुन रानी ने भी एक नहीं, बल्कि दो बार फॉर्म 6 भरा।
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निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी को नोटिस भेजकर उन दावों के दस्तावेज़ मांगे हैं, जबकि राहुल गांधी ने जो जानकारी दी है, वह खुद चुनाव आयोग के दस्तावेजों से निकली है। आयोग सिर्फ शकुन रानी से बात कर इसे प्राथमिक जाँच बता रहा है, जबकि 33,000 संदिग्ध वोटर्स की जाँच नहीं की जा रही है।

बिहार और यूपी का ‘5000 वोटर’ कनेक्शन
रिपोर्टर्स कलेक्टिव की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिहार में मतदाता सूची की सफाई के लिए चलाए गए एसआईआर (SIR) अभियान के तहत जो ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी हुई है, उसमें करीब 5,000 वोटर उत्तर प्रदेश के हैं।
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अकेले वाल्मीकि नगर में 1,000 से अधिक वोटर यूपी के हैं, जिनका नाम हूबहू डिटेल के साथ यूपी और बिहार दोनों जगहों पर दर्ज है।
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यह दर्शाता है कि एसआईआर का फायदा नहीं हुआ और बोगस एंट्री अभी भी मौजूद हैं।
वाराणसी, जयपुर और त्रिशूर सीटों पर भी सवाल
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वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी की इस सीट पर जीत का मार्जिन 13.5% था, जो एक रिटर्निंग प्रधानमंत्री के लिए सबसे कम था। सीट पर वोटर लिस्ट और नामांकन रद्द करने को लेकर सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं।
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जयपुर ग्रामीण: गिनती के आखिरी राउंड तक कांग्रेस के उम्मीदवार अनिल चोपड़ा आगे चल रहे थे, लेकिन बाद में नतीजे रोके गए और 2,738 पोस्टल बैलेट खारिज कर दिए गए, जिससे बीजेपी के उम्मीदवार 1,618 वोटों से जीत गए। यह मामला अब राजस्थान हाईकोर्ट में है।
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त्रिशूर (केरल): इस सीट पर 2019 से 2024 के बीच 1,46,560 वोटों की वृद्धि हुई, जो पिछले 5 वर्षों के मुकाबले ढाई गुना है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या अचानक त्रिशूर की आबादी में विस्फोट हुआ, या यहाँ भी उसी तरह बड़े पैमाने पर वोटर पंजीकरण हुआ, जैसा कि बेंगलुरु में हुआ था।

पृष्ठभूमि: इलेक्ट्रॉनिक डाटा की मांग
इस पूरे विवाद की जड़ में चुनाव आयोग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटर लिस्ट और वीडियोग्राफी फुटेज को सार्वजनिक करने से इनकार करना है। राहुल गांधी और विपक्ष लगातार मांग कर रहे हैं कि अगर आयोग इलेक्ट्रॉनिक डाटा दे दे, तो वे साबित कर देंगे कि ‘वोट चोरी’ हुई है। चुनाव आयोग इस तरह से वोटर लिस्ट दे रहा है, जिसे कंप्यूटर में डालकर पढ़ा नहीं जा सकता। इसी कारण पत्रकारों को स्कैन कॉपी को पढ़ने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जिससे आम जनता के लिए धांधली पकड़ना असंभव हो जाता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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विपक्ष ने 124 साल की मिनता देवी का नाम वोटर लिस्ट में आने पर प्रदर्शन किया, जो वोट चोरी की गंभीर प्रकृति को दर्शाता है।
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कर्नाटक में शकुन रानी और उनके पति के नाम पर तीन-तीन वोटर आईडी कार्ड मिले, जबकि 70-98 साल के 33,000 से अधिक लोगों ने ‘नए वोटर’ के लिए फॉर्म 6 भरा है।
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बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची में यूपी के 5,000 से अधिक वोटर्स की हूबहू एंट्री मिली है, जिससे एसआईआर की प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी की वाराणसी सीट सहित जयपुर ग्रामीण और त्रिशूर सीटों पर भी संदिग्ध वोट वृद्धि, नामांकन रद्द करने और पोस्टल बैलेट खारिज होने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।






