BMC Election Congress MNS. महाराष्ट्र की राजनीति में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव से पहले विपक्षी एकता को बड़ा झटका लगा है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी आगामी बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ गठबंधन नहीं करेगी। कांग्रेस ने कहा है कि वह उन संगठनों के साथ हाथ नहीं मिलाएगी जो कानून हाथ में लेते हैं या लोगों को डराते हैं। कांग्रेस के इस रुख को सीधे तौर पर राज ठाकरे की पार्टी की ओर इशारा माना जा रहा है, जिससे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) की चिंता बढ़ गई है।
मनसे से गठबंधन क्यों नहीं?
कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद यह फैसला लिया है कि वह बीएमसी चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी के नेताओं को आशंका है कि यदि वे मनसे के साथ मंच साझा करते हैं, तो मुंबई में उनका उत्तर भारतीय और मुस्लिम वोट बैंक प्रभावित हो सकता है [01:03]। इसी कारण कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से गठबंधन की संभावनाओं को नकारते हुए कहा कि वे ऐसे दलों को अपने साथ नहीं रख सकते जो वर्षों से कानून को ताक पर रखकर राजनीति कर रहे हैं।
उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए संदेश
कांग्रेस का यह रुख महा विकास आघाड़ी (MVA) के भीतर सब कुछ सहज न होने का संकेत देता है। कांग्रेस पार्टी उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की बढ़ती नजदीकियों से असहज महसूस कर रही है [02:35]। कहा जा रहा है कि इसी नाराजगी को दूर करने के लिए उद्धव ठाकरे लगातार कांग्रेस नेतृत्व को मनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं [02:41]।
जब वर्षा गायकवाड़ से पूछा गया कि क्या शरद पवार कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और मनसे को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि पवार का सभी दलों में सम्मान है, लेकिन कांग्रेस ने ऐसे किसी गठबंधन पर चर्चा नहीं की है [01:30]।
मनसे का जवाब: हमें फर्क नहीं पड़ता
कांग्रेस के इंकार के जवाब में मनसे नेता संदीप देश पांडे ने कहा कि उनकी पार्टी किसी के दबाव में नहीं है और न ही वह महा विकास आघाड़ी का हिस्सा है [02:04]। उन्होंने साफ कहा कि राज ठाकरे जो फैसला लेते हैं, वही पार्टी का रुख होता है और कांग्रेस के बयान से उन्हें कोई भी फर्क नहीं पड़ता।
राज्य की सबसे बड़ी नगर निकाय बीएमसी के चुनावों को लेकर चल रही यह उठापटक अब एक नए राजनीतिक मोड़ की ओर बढ़ती दिख रही है। अब यह देखना होगा कि अगर कांग्रेस अपनी स्थिति पर अडिग रहती है और राज ठाकरे को गठबंधन में शामिल करने से इंकार करती है, तो उद्धव ठाकरे क्या करते हैं।
क्या है पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव से पहले नए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। महा विकास आघाड़ी (MVA), जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार समूह) शामिल हैं, के भीतर राज ठाकरे को शामिल करने की संभावनाओं पर बहस छिड़ी थी। कांग्रेस का मनसे के साथ गठबंधन से इंकार, उसके पारंपरिक मुस्लिम और उत्तर भारतीय वोट बैंक को सुरक्षित रखने की रणनीति का हिस्सा है, जबकि उद्धव ठाकरे विपक्षी एकता के लिए राज ठाकरे को साथ लाना चाहते थे।
मुख्य बातें (Key Points)
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कांग्रेस ने आगामी बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी मनसे के साथ गठबंधन से साफ इनकार कर दिया है।
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मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि पार्टी कानून तोड़ने वाले संगठनों के साथ हाथ नहीं मिलाएगी।
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कांग्रेस का यह फैसला अपने उत्तर भारतीय और मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित होने से बचाने के लिए लिया गया है।
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मनसे ने कांग्रेस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें किसी के अनुमोदन की जरूरत नहीं है और उनकी पार्टी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है।






