Delhi Red Fort Blast Network : दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट की जांच में हर दिन नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस आत्मघाती हमले की जांच कर रही खुफिया एजेंसियों को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क, मल्टी-लेयर हैंडलर चेन और देश के कई हिस्सों में एक साथ हमले की तैयारी के अहम सुराग मिले हैं। विस्फोटकों से भरी कार चला रहा फिदायीन उमर नबी इस हमले में मारा गया था, जबकि चार मुख्य आरोपी—डॉ. मुजम्मिल शकील गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. शाहीन सैद और मुफ्ती इरफान अहमद वगाय को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार कर लिया है।
5 लाख की AK-47 और डीप फ्रीजर का राज
जांच में सामने आया है कि इस मॉड्यूल की तैयारी और फंडिंग का स्तर काफी ऊंचा था। फरीदाबाद में 500 किग्रा से अधिक अमोनियम नाइट्रेट बरामद होने के बाद गिरफ्तार किए गए डॉ. मुजम्मिल ने करीब ₹5 लाख में एक AK-47 राइफल खरीदी थी, जिसे बाद में डॉक्टर अदील के लॉकर से बरामद किया गया। यह हथियार खरीद मॉड्यूल की तैयारियों की गंभीरता को दर्शाती है।
वहीं, आत्मघाती हमलावर डॉक्टर उमर बम बनाने के लिए ऑनलाइन वीडियो, मैनुअल और ओपन सोर्स कंटेंट देख रहा था। उसने रसायन को सुरक्षित रखने और विस्फोटक मिश्रण तैयार करने के लिए एक डीप फ्रीजर भी खरीदा था। फ्रीजर का इस्तेमाल विस्फोटक मिश्रण को स्थिर और प्रोसेस करने के लिए किया गया था।
मल्टी-लेयर हैंडलर चेन का खुलासा
खुफिया एजेंसियों ने पुष्टि की है कि इस सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल के प्रत्येक आरोपी का अलग-अलग हैंडलर से संपर्क था, जिससे यह नेटवर्क पूरी तरह लेयर्स (परतों) में बंटा हुआ था। डॉ. मुजम्मिल और फिदायीन उमर के हैंडलर भी अलग-अलग थे। इस मामले में मंसूर और हाशिम नाम के दो प्रमुख हैंडलर सामने आए हैं, जिनका भी एक अलग हैंडलर था, जो पूरी मॉड्यूल की गतिविधियों पर निगरानी रख रहा था।
जांच में यह भी पता चला है कि 2022 में मुजम्मिल, अदील और एक अन्य आरोपी मुजफ्फर अहमद तुर्किए गए थे, जहाँ उन्हें ओकासा (TTP से जुड़ा) के निर्देश पर अफगानिस्तान पहुंचाया जाना था, लेकिन हैंडलर के पीछे हटने के कारण यह योजना सफल नहीं हो पाई।
मल्टी-लोकेशन हमलों की तैयारी
जांच में यह भी पुष्टि हुई है कि फरीदाबाद स्थित अल फला यूनिवर्सिटी में मुजम्मिल और उमर के बीच पैसों को लेकर गंभीर झगड़ा हुआ था, जिसे कई छात्रों ने देखा था। इस झगड़े के बाद उमर ने अपनी लाल रंग की इकोस्पोर्ट कार, जिसमें पहले से विस्फोटक मौजूद था, मुजम्मिल को सौंप दी थी।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, मॉड्यूल की योजना थी कि विस्फोटक अलग-अलग जगहों पर रखे जाएं और कई जगहों पर एक साथ हमले किए जाएं। बरामद सामग्री और डिजिटल फुटप्रिंट इस आकलन को मजबूत करते हैं। अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, फंडिंग चैनलों और विदेशी हैंडलरों तक पहुंचने के लिए जांच जारी है।
क्या है पृष्ठभूमि
दिल्ली में चांदनी चौक के पास 10 नवंबर को हुए ब्लास्ट में 10 से अधिक लोग मारे गए थे। जांच में यह सामने आया कि फिदायीन उमर नबी ने विस्फोटकों से भरी कार को उड़ा दिया था। यह मामला एक सफेदपोश आतंकी नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जो उच्च शिक्षित लोगों को आतंकी गतिविधियों में शामिल कर रहा था। इस नेटवर्क की फंडिंग और बड़े पैमाने पर हथियारों और विस्फोटकों की खरीद यह दिखाती है कि इनकी मंशा सिर्फ एक हमला करने की नहीं थी, बल्कि देश में मल्टी-लोकेशन स्ट्राइक को अंजाम देने की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में लाल किला हमले के सह-आरोपी जासिलर बिलाल वाणी को एनआईए मुख्यालय में अपने वकील से मिलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली ब्लास्ट की जांच में पता चला कि आरोपी डॉ. मुजम्मिल ने करीब ₹5 लाख में एक AK-47 राइफल खरीदी थी।
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फिदायीन डॉ. उमर ने रसायन को स्थिर करने और विस्फोटक मिश्रण तैयार करने के लिए डीप फ्रीजर का इस्तेमाल किया था।
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आतंकी नेटवर्क मल्टी-लेयर हैंडलर चेन में बंटा था, जिसमें मंसूर और हाशिम जैसे हैंडलरों के नाम सामने आए हैं।
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खुफिया एजेंसियों को संकेत मिले हैं कि मॉड्यूल की योजना कई जगहों पर एक साथ (मल्टी-लोकेशन) हमलों की थी।






