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CJI BR Gavai: ‘मैं बौद्ध हूं, लेकिन पंथनिरपेक्ष’, विदाई भाषण में भावुक हुए CJI गवई

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने अंबेडकर और संविधान को बताया अपनी सफलता का आधार, रिटायरमेंट से पहले कही बड़ी बात

The News Air by The News Air
शुक्रवार, 21 नवम्बर 2025
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CJI BR Gavai
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CJI BR Gavai Farewell Speech सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी आर गवई 23 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। शुक्रवार को उनका आखिरी कार्य दिवस था, जहां विदाई समारोह के दौरान वे काफी भावुक नजर आए।

इस मौके पर उन्होंने न सिर्फ अपने न्यायिक सफर को याद किया, बल्कि धर्म, संविधान और डॉ. अंबेडकर के प्रति अपनी आस्था को लेकर दिल छू लेने वाली बातें भी साझा कीं। दलित समुदाय से आने वाले जस्टिस गवई का यह भाषण अब चर्चा का विषय बन गया है।

‘बौद्ध हूं, पर सभी धर्मों का सम्मान करता हूं’

विदाई भाषण के दौरान जस्टिस गवई ने धर्म को लेकर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “मैं बौद्ध धर्म को मानता हूं, लेकिन वास्तव में मैं एक पंथनिरपेक्ष (Secular) इंसान हूं जो सभी धर्मों में विश्वास रखता है।”

उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि यह सीख उन्हें अपने पिता से मिली थी, जो डॉ. अंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने कहा कि जब कोई उन्हें किसी दरगाह या गुरुद्वारे के बारे में बताता था, तो वे वहां भी जाते थे। यह संस्कार ही उन्हें सभी धर्मों का आदर करना सिखाता है।

‘संविधान और अंबेडकर की वजह से यहां हूं’

जस्टिस गवई ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय डॉ. बी आर अंबेडकर और भारतीय संविधान को दिया। उन्होंने कहा, “आज मैं जो कुछ भी हूं, इस संस्था (सुप्रीम कोर्ट) की बदौलत हूं। मैं इस पद तक केवल डॉ. अंबेडकर और संविधान की वजह से ही पहुंच पाया हूं।”

उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि एक नगरपालिका स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ने वाला लड़का कभी ऐसा सपना देखने की भी हिम्मत नहीं कर सकता था। उन्होंने हमेशा संविधान के चार मूल सिद्धांतों—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—के अनुसार ही अपना जीवन जीने की कोशिश की है।

सुप्रीम कोर्ट किसी एक जज का नहीं

न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर बोलते हुए जस्टिस गवई ने एक अहम बात कही। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ‘मुख्य न्यायाधीश केंद्रित’ (Chief Justice Centric) नहीं होना चाहिए, बल्कि यह सभी न्यायाधीशों पर केंद्रित होना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक महान संस्था है, जो जजों, बार एसोसिएशन और कर्मचारियों के सहयोग से चलती है। उनके द्वारा लिए गए फैसले व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरी न्यायपीठ और वकीलों के तर्कों का परिणाम होते हैं।

जस्टिस सूर्यकांत से दोस्ती का जिक्र

अपने विदाई भाषण में उन्होंने 24 नवंबर को अगले CJI बनने जा रहे जस्टिस सूर्यकांत का भी जिक्र किया। उन्होंने अपनी दो दशक पुरानी दोस्ती को याद करते हुए उनकी जमकर तारीफ की।

जस्टिस सूर्यकांत ने भी इस मौके पर कहा कि उनका और जस्टिस गवई का साथ 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से नहीं, बल्कि 20 साल पहले शुरू हुआ था। उन्होंने पुरानी यादों को साझा करते हुए जस्टिस गवई के साथ काम करने के अनुभव को बेहद खास बताया।

मुख्य बातें (Key Points)
  • CJI जस्टिस बी आर गवई ने अपने विदाई भाषण में खुद को पंथनिरपेक्ष और संविधान का सिपाही बताया।

  • उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय डॉ. बी आर अंबेडकर और संविधान को दिया।

  • जस्टिस गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट केवल मुख्य न्यायाधीश पर केंद्रित नहीं होना चाहिए।

  • अगले सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत के साथ अपनी 20 साल पुरानी दोस्ती को भी याद किया।

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