Sheikh Hasina Death Sentence India Extradition : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हत्या के लिए उकसाने और आदेश देने के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। हसीना को जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड बताया गया है। अगस्त 2024 में विद्रोह के दौरान हालात बिगड़ने पर किसी तरह भारत आईं हसीना को अब बांग्लादेश सरकार ने दोनों देशों की प्रत्यार्पण संधि के तहत तुरंत सौंपने की मांग की है।
ICT ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी हत्याओं का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है।
बांग्लादेश ने तुरंत सौंपने की मांग की
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा है कि हसीना और असदुज्जमान खान कमल को किसी भी दूसरे देश की तरफ से शरण देना गलत होगा और इसे “न्याय का अपमान” माना जाएगा।
इसी आधार पर बांग्लादेश ने भारत से मौजूदा प्रत्यार्पण संधि (Extradition Treaty) के मुताबिक, दोनों को बांग्लादेशी अधिकारियों के हवाले करने की मांग की है।
क्या है भारत-बांग्लादेश प्रत्यार्पण संधि?
भारत और बांग्लादेश के बीच यह प्रत्यार्पण संधि 2013 में लागू हुई थी, जिसका उद्देश्य गंभीर अपराध करने वाले आरोपियों को एक-दूसरे को सौंपने की कानूनी व्यवस्था बनाना है।
इस संधि के तहत हत्या, अपहरण, आतंकवाद, हथियारों और मानव तस्करी जैसे अधिकांश गंभीर अपराधों में प्रत्यार्पण किया जा सकता है।
भारत क्यों कर सकता है इंकार?
हालांकि शेख हसीना पर हत्या और आतंकवाद जैसे गंभीर आरोप हैं, लेकिन संधि में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिनके कारण भारत प्रत्यार्पण से मना कर सकता है:
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राजनीतिक प्रकृति का अपराध (अनुच्छेद 6): यदि अपराध “पॉलिटिकल नेचर” का हो, तो प्रत्यार्पण को मना किया जा सकता है।
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न्यायिक सद्भावना का अभाव (अनुच्छेद 8): यदि अभियुक्त यह साबित कर सके कि आरोप न्यायिक दृष्टि से “सद्भावना के तहत” नहीं लगाए गए हैं या यह फैसला “इन द इंटरेस्ट ऑफ जस्टिस” नहीं है, तो भी प्रत्यार्पण से इंकार किया जा सकता है।
भारत का आधिकारिक रुख
भारत ने इस पूरे मामले पर अपनी पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी कर दी है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि वह फैसले का संज्ञान ले रहा है।
भारत ने साफ किया कि उसकी प्राथमिकता बांग्लादेश में शांति, लोकतंत्र, समावेशीता और स्थिरता को सुनिश्चित करना है। भारत ने कहा कि वह हमेशा बांग्लादेश के लोगों और उनके हितों के साथ खड़ा रहा है, और इस उद्देश्य से जुड़ी हर प्रक्रिया में सभी पक्षों के साथ रचनात्मक संवाद जारी रखेगा।
तनाव और ध्रुवीकरण का माहौल
बांग्लादेश में इस फैसले के बाद तनाव, विरोध प्रदर्शन और ध्रुवीकरण की स्थिति बन गई है। हसीना समर्थक कुछ जगहों पर सड़कों पर उतर आए हैं, जबकि विपक्ष इस फैसले से खुश नजर आ रहा है। इस माहौल में, भारत का संतुलित और कूटनीतिक रुख संकेत देता है कि वह बांग्लादेश में स्थिरता बनाए रखने को लेकर चिंतित है।
मुख्य बातें (Key Points)
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बांग्लादेश के ICT ने पूर्व PM शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को मौत की सजा सुनाई।
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हसीना पर जुलाई 2024 छात्र आंदोलन की हत्याओं के लिए उकसाने और आदेश देने का आरोप है।
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भारत-बांग्लादेश प्रत्यार्पण संधि के बावजूद, भारत ‘राजनीतिक अपराध’ या ‘न्यायिक सद्भावना के अभाव’ के आधार पर प्रत्यार्पण से मना कर सकता है।
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भारत ने आधिकारिक प्रतिक्रिया में बांग्लादेश में शांति और स्थिरता को प्राथमिकता बताया है।






