Delhi Red Fort Blast Dr Umar Investigation : दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण धमाके की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों के सूत्रों ने अंदेशा जताया है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े फिदायीन हमलावर डॉक्टर उमर ने इस हमले के लिए “शू बम” (Shoe Bomb) का इस्तेमाल किया हो सकता है।
इस भयावह विस्फोट में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
जांच का केंद्र बिंदु अब उस जूते पर टिक गया है, जो धमाके वाली जगह से मिली i20 कार में ड्राइवर सीट के नीचे दाहिनी तरफ से बरामद हुआ है।
‘शू बम’ में था घातक TATP
इस जूते की फॉरेंसिक जांच में अमोनियम नाइट्रेट और TATP (ट्राई-एसीटोन ट्राई-परऑक्साइड) जैसे अत्यंत घातक विस्फोटक के निशान मिले हैं।
सूत्रों का कहना है कि उमर ने शायद अपने जूते में एक ऐसी मैगजीन छिपाई थी, जिसने एक पार्क में बम को सक्रिय (एक्टिवेट) कर दिया।
पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स का नेटवर्क
जांच में यह भी सामने आया है कि इस हमले के पीछे पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स का एक पूरा नेटवर्क काम कर रहा था।
हमले से ठीक एक घंटे पहले तक डॉक्टर उमर लगातार डॉक्टर परवेज, डॉक्टर आरिफ और डॉक्टर फारूक अहमद डार के संपर्क में था।
इनमें से डॉक्टर परवेज को फरीदाबाद से गिरफ्तार की गई डॉक्टर शाहीन सईद का भाई बताया जा रहा है। परवेज लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था।
नेपाल और कानपुर से खरीदे गए फोन-सिम
इस आतंकी मॉड्यूल के तार भारत और पड़ोसी मुल्क नेपाल तक फैले हैं। हमले में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन और सिम कार्ड यूपी के कानपुर और नेपाल से खरीदे गए थे।
नेपाल से छह पुराने मोबाइल फोन खरीदे गए, जबकि कुल 17 सिम कार्ड का इंतजाम किया गया। हैरानी की बात यह है कि इनमें से छह सिम कार्ड कानपुर के बेकनगंज इलाके से एक ही व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड मिले।
9 दिन तक कहां गायब था उमर?
सीबीआई फुटेज की जांच में एजेंसियां 30 अक्टूबर और 9 से 10 नवंबर की गतिविधियां ही ट्रेस कर पाई हैं। इस दौरान उमर को फरीदाबाद से दिल्ली तक करीब 50 कैमरों में देखा गया।
लेकिन 31 अक्टूबर से 8 नवंबर तक, यानी कुल नौ दिन, उसकी गतिविधियों का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। यह नौ दिन अब जांच में सबसे बड़ा सवाल बन गए हैं कि आखिर इस दौरान वह कहां था और किन लोगों से मिला।
धमाके का डिजिटल एंगल
जांच में यह भी पता चला कि सुनहरी बाग पार्किंग (जहां उमर की कार 3 घंटे खड़ी रही) और ब्लास्ट साइट, दोनों जगहों पर 68 मोबाइल नंबर एक ही समय पर सक्रिय थे।
इन संदिग्ध नंबरों पर पाकिस्तान और तुर्की से कॉल आई थीं। कुछ फोन एक विदेशी सर्वर से जुड़े थे, जिनका आईपी क्लस्टर लगातार पाकिस्तान और तुर्की के बीच स्विच हो रहा था, जो स्पूफिंग का संकेत है।
मुख्य बातें (Key Points)
दिल्ली लाल किला ब्लास्ट में “शू बम” के इस्तेमाल का अंदेशा, आतंकी डॉ. उमर की कार से मिला विस्फोटक लगा जूता।
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जूते में घातक TATP और अमोनियम नाइट्रेट के निशान मिले हैं; हमले में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है।
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साजिश में पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स का हाथ, डॉ. उमर हमले से पहले लखनऊ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. परवेज के संपर्क में था।
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हमले के लिए 17 सिम कार्ड नेपाल और कानपुर से खरीदे गए थे; 68 संदिग्ध नंबरों पर पाकिस्तान और तुर्की से कॉल आईं।






