Bihar Election 2025 NDA Victory Reasons : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने 200 से ज्यादा सीटें जीतकर ऐतिहासिक ‘सुनामी’ जीत दर्ज की है। इस प्रचंड बहुमत के पीछे कोई एक नहीं, बल्कि पांच बड़े ‘गेम चेंजर’ फैक्टर रहे। इनमें ‘जीविका दीदी’ के साइलेंट वोट, ‘जंगलराज’ की वापसी का डर, नीतीश के नेतृत्व पर अटूट भरोसा और चिराग पासवान का साथ आना शामिल है, जिसने विपक्ष के ‘नौकरी’ के वादे को पूरी तरह बेअसर कर दिया।
बिहार के राजनीतिक इतिहास में यह नतीजे अभूतपूर्व माने जा रहे हैं। एक तरफ जहां NDA 200 सीटों का विशाल आंकड़ा पार कर गया, वहीं तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन 40 सीटों के भीतर सिमटता नजर आया।
इस एकतरफा जीत ने यह भी साफ कर दिया कि बिहार की जनता ने जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर ‘विकास’ और ‘सुरक्षा’ के डबल इंजन मॉडल पर भरोसा जताया है।
1. ‘मास्टरस्ट्रोक’ बनी ‘जीविका दीदी’ स्कीम
इस चुनाव में NDA की जीत का सबसे बड़ा ‘ब्रह्मास्त्र’ महिला वोटर साबित हुईं। नीतीश कुमार की ‘जीविका दीदी’ योजना के तहत 1.5 करोड़ महिलाओं के खाते में 10,000 रुपये भेजने का ‘मास्टरस्ट्रोक’ सीधे तौर पर काम कर गया।
यह एक ऐसा ‘साइलेंट वोट’ था, जो जाति-धर्म के बंधनों को तोड़कर सीधे NDA के पक्ष में गया। इस एक योजना ने तेजस्वी यादव के बेरोजगारी और नौकरी के मुद्दे की हवा निकाल दी।
2. PM मोदी का ‘जंगलराज’ नैरेटिव
NDA की जीत का दूसरा बड़ा स्तंभ ‘जंगलराज’ की वापसी का डर रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभी रैलियों में RJD के पुराने शासनकाल की याद दिलाते हुए ‘रंगदारी’ और ‘कट्टा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।
यह नैरेटिव खासकर सवर्णों और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के बीच यह डर बैठाने में कामयाब रहा कि RJD की वापसी से राज्य में फिर से अपराध का दौर लौट सकता है।
3. EBC वोट बैंक: नीतीश पर अटूट विश्वास
तेजस्वी यादव ने EBC वोट बैंक में सेंधमारी की भरपूर कोशिश की, लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो सके। अति पिछड़ा वर्ग, जो नीतीश कुमार का कोर वोटर माना जाता है, वह मजबूती से JDU के साथ खड़ा रहा।
नीतीश कुमार पर EBC समाज का भरोसा इतना पक्का था कि RJD के ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण के साथ EBC को जोड़ने का प्रयास विफल हो गया।
4. चिराग पासवान बने ‘गेम चेंजर’
2020 के चुनाव में चिराग पासवान ने JDU को बड़ा नुकसान पहुंचाया था, लेकिन 2025 में उनका NDA के साथ आना ‘गेम चेंजर’ साबित हुआ।
चिराग पासवान अपने 5-6% के कोर ‘पासवान’ वोट बैंक को पूरी तरह से NDA के पाले में ट्रांसफर कराने में सफल रहे। नीतीश-मोदी के वोट बैंक में जब चिराग का वोट जुड़ा, तो यह एक ‘सुनामी’ लहर में तब्दील हो गया।
5. महागठबंधन में ‘महा-कंफ्यूजन’
NDA की जीत का एक बड़ा कारण विपक्ष का बिखराव भी रहा। एक तरफ NDA में BJP और JDU ने 101-101 सीटों पर बराबरी का बंटवारा कर मतभेद की स्थिति को खत्म कर दिया था।
वहीं दूसरी ओर, महागठबंधन में पहले चरण के नामांकन के आखिरी दिन तक सीटों की स्थिति साफ नहीं थी। कई सीटों पर तो गठबंधन के दो-दो उम्मीदवार ही आमने-सामने थे, जिसका सीधा फायदा NDA को मिला।
जानें पूरा मामला
बिहार की 243 सीटों पर हुए इस चुनाव को NDA ने नीतीश कुमार के चेहरे और PM मोदी के भरोसे पर लड़ा था। JDU-BJP-LJP के इस ‘त्रिकोण’ के सामने RJD-कांग्रेस-लेफ्ट का गठबंधन कहीं नहीं टिक सका। कांग्रेस का प्रदर्शन इस चुनाव में भी बेहद निराशाजनक रहा, जिसने RJD की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
मुख्य बातें (Key Points)
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बिहार चुनाव 2025 में NDA ने 200 से ज्यादा सीटें जीतकर ऐतिहासिक ‘सुनामी’ जीत दर्ज की।
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‘जीविका दीदी’ योजना के तहत 1.5 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये देना ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हुआ।
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PM मोदी का ‘जंगलराज’ का नैरेटिव (रंगदारी, कट्टा) तेजस्वी के ‘नौकरी’ के वादे पर भारी पड़ा।
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नीतीश कुमार का EBC वोट बैंक बरकरार रहा और चिराग पासवान के 5-6% वोट ने जीत को ‘सुनामी’ बना दिया।






