Delhi Blast Update : दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट को दो दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन इस तबाही का मंजर इतना खौफनाक है कि रोंगटे खड़े हो जाएं। 10 नवंबर को हुए इस भीषण धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे दिल दहला देने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं।
धमाका इतना जबरदस्त था कि कार और उसमें सवार आतंकी के चिथड़े 200 से 300 मीटर के दायरे में बिखर गए।
गुरुवार (13 नवंबर) को भी, यानी धमाके के दो दिन बाद भी, फॉरेंसिक टीमों को ब्लास्ट साइट के आसपास की इमारतों की छतों, दीवारों और पेड़ों से शवों के टुकड़े (इंसानी मांस के लोथड़े) मिल रहे हैं।
300 मीटर दूर, छतों और पेड़ों पर मिले चिथड़े
यह मंजर दिखाता है कि विस्फोट कितना शक्तिशाली था। आतंकी डॉ. उमर ने जिस i20 कार को बम में तब्दील किया था, वह धमाके के बाद सचमुच “गायब” हो गई।
कार के और उसमें बैठे आतंकी के शरीर के परखच्चे उड़ गए।
इंसानी मांस के ये टुकड़े 200 से 300 मीटर दूर तक जाकर गिरे। फॉरेंसिक टीमें और एनआईए (NIA) के अधिकारी बुधवार देर रात तक और गुरुवार को भी सबूत जुटाने में लगे रहे।
उन्हें आसपास की इमारतों की छतों पर, दीवारों पर चिपके हुए और पेड़ों पर लटके हुए शवों के हिस्से मिले हैं, जिन्हें बेहद सावधानी से इकट्ठा किया जा रहा है।
इलाके में दहशत, दुकानें अभी भी बंद
इस खौफनाक मंजर ने लाल किला के पास के दुकानदारों और स्थानीय निवासियों को दहशत में डाल दिया है।
ब्लास्ट साइट के आसपास का पूरा इलाका अभी भी सील है। दुकानें बंद हैं और लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक है।
फॉरेंसिक टीम का मुख्य काम अब इन सभी मानव अवशेषों को इकट्ठा करना है, ताकि पीड़ितों की पहचान की जा सके।
क्यों हो रही है DNA जांच?
धमाका इतना भीषण था कि शवों की सीधी पहचान करना नामुमकिन है।
माना जा रहा है कि कार चला रहा मुख्य संदिग्ध आतंकी डॉ. उमर खुद भी इस ब्लास्ट में चिथड़ों में तब्दील हो गया।
जांच एजेंसियों ने डॉ. उमर की मां का डीएनए (DNA) सैंपल लिया है, ताकि ब्लास्ट साइट से मिले शवों के टुकड़ों से उसका मिलान किया जा सके और यह पुष्टि हो सके कि उमर मारा जा चुका है।
लापता लोगों के परिवारों से भी लिए गए सैंपल
इस ब्लास्ट में कई और लोग भी लापता हैं, जिनमें एक ई-रिक्शा चालक और एक डीटीसी कंडक्टर शामिल हैं।
इन लापता लोगों के परिवारों ने भी अपने डीएनए सैंपल जांच एजेंसियों को दिए हैं।
अब फॉरेंसिक टीम सभी इकट्ठा किए गए मानव अवशेषों का इन डीएनए सैंपलों से मिलान करेगी, ताकि यह पता चल सके कि इस धमाके में कुल कितने लोगों की मौत हुई है और वे कौन थे।
‘व्हाइट कॉलर’ टेरर पर टिकी सुई
यह जांच अब सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक मल्टी-स्टेट ऑपरेशन बन चुकी है, जिसके तार हरियाणा, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से जुड़े हैं।
जांच का पूरा फोकस ‘व्हाइट कॉलर’ टेरर मॉड्यूल पर है, जिसमें डॉ. उमर, डॉ. शाहीन और मौलवी सज्जाद जैसे पढ़े-लिखे लोग शामिल थे, जो समाज में घुल-मिलकर देश के खिलाफ एक बड़ी साजिश रच रहे थे।
‘जानें पूरा मामला’
10 नवंबर 2025 की शाम को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक i20 कार में भीषण IED ब्लास्ट हुआ। इस धमाके ने 14 साल बाद दिल्ली को दहला दिया, जिसमें आतंकी डॉ. उमर का नाम मुख्य संदिग्ध के तौर पर सामने आया। यह जांच फरीदाबाद से जुड़े एक ‘व्हाइट कॉलर’ टेरर मॉड्यूल से जुड़ी है, जिसमें कई डॉक्टर और पढ़े-लिखे पेशेवर शामिल थे।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
- दिल्ली ब्लास्ट के 2 दिन बाद भी फॉरेंसिक टीम को शवों के टुकड़े मिल रहे हैं।
- धमाका इतना भीषण था कि मानव अंग 200 से 300 मीटर दूर छतों और पेड़ों पर जा गिरे।
- NIA और फॉरेंसिक टीम DNA सैंपलिंग के जरिए पीड़ितों की पहचान करने में जुटी है।
- मुख्य संदिग्ध आतंकी डॉ. उमर के भी मारे जाने की पुष्टि के लिए उसकी मां का DNA सैंपल लिया गया है।






