Delhi Blast (Soni): दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए भीषण कार धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, उसमें ‘व्हाइट कॉलर’ टेरर और महिला आतंकियों की एक खौफनाक तस्वीर सामने आ रही है। इस साजिश के तार सीधे तौर पर फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़े हैं, जिसकी एक अहम किरदार लखनऊ की रहने वाली डॉ. शाहीन शाहिद है।
पढ़ी-लिखी यह महिला डॉक्टर, जिसे जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ‘वुमन विंग’ की “इंडिया हेड” बताया जा रहा है, इस पूरे आतंकी खेल की एक बड़ी खिलाड़ी निकली है।
जांच एजेंसियों के हाथ लगे सबूतों ने देश में आतंक के इस नए चेहरे को बेनकाब कर दिया है।
कौन है जैश की लेडी डॉक्टर शाहीन?
डॉ. शाहीन शाहिद, जो लखनऊ की रहने वाली है, इस टेरर मॉड्यूल में अपनी संदिग्ध भूमिका के चलते गिरफ्तार की गई है।
उसे जैश-ए-मोहम्मद के महिला विंग ‘जमात-उल-मोमितात’ की “इंडिया हेड” के तौर पर एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
उसका मुख्य टारगेट भारत में, खासकर पढ़ी-लिखी और प्रोफेशनल महिलाओं को बरगलाना और उन्हें इस आतंकी संगठन से जोड़ना था।
कार में AK-47 लेकर चलती थी
डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी से जुड़ी जो जानकारी सामने आई है, वह किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है।
अधिकारियों के मुताबिक, डॉ. शाहीन की कार में से एक AK-47 राइफल बरामद हुई है।
यह भी कहा जा रहा है कि वह इतनी कट्टर और निडर थी कि वह जहां कहीं भी जाती थी, अपनी कार में AK-47 जैसा खतरनाक हथियार लेकर ही चलती थी।
इस महिला डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए, उसे पूछताछ के लिए हवाई मार्ग से श्रीनगर भी ले जाया गया।
जैश-ए-मोहम्मद का खौफनाक इतिहास
दिल्ली ब्लास्ट की जिम्मेदारी लेने वाला जैश-ए-मोहम्मद वही आतंकी संगठन है, जिसने 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली थी।
उस कायराना हमले में 46 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
जैश को भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी एक आतंकवादी संगठन घोषित किया जा चुका है। इसका सरगना आतंकी मसूद अजहर है, जिसे 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाईजैक हुए विमान के यात्रियों के बदले भारत को रिहा करना पड़ा था।
इसके अलावा, 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले और 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के पीछे भी जैश-ए-मोहम्मद का ही हाथ था।
कैसे भर्ती करता है जैश? (The Modus Operandi)
जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन अब पढ़े-लिखे नौजवानों को अपना निशाना बना रहे हैं।
यह संगठन मदरसों, धार्मिक शिक्षा और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं की भर्ती करता है।
इन युवाओं को ट्रेनिंग कैंपों में ‘फिदायीन’ (आत्मघाती हमलावर) बनने के लिए तैयार किया जाता है।
उन्हें “शहादत” के बदले “जन्नत” मिलने और उनके परिवार को भारी रकम देने का वादा किया जाता है।
डॉक्टर-इंजीनियर ही क्यों बन रहे निशाना?
जैश की विचारधारा देवबंदी कट्टरपंथ पर आधारित है, जो हिंसा को जायज ठहराती है।
यही कारण है कि डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य पढ़े-लिखे लोग भी आसानी से इनके बहकावे में आ जाते हैं।
उन्हें लगता है कि वे किसी ‘महान’ मकसद के लिए लड़ रहे हैं, और इसी के चलते वे मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं।
दिल्ली ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार डॉ. उमर हो या डॉ. शाहीन, ये सभी इसी ‘ब्रेनवॉश’ और गुमराह करने की प्रक्रिया का नतीजा हैं।
भर्ती का नया तरीका: ‘ऑनलाइन जिहादी पाठ्यक्रम’
इस आतंकी संगठन ने वक्त के साथ खुद को बदला है। अब यह संगठन एक ‘ऑनलाइन जिहादी पाठ्यक्रम’ (Online Jihadi Course) भी चला रहा है।
इसका मुख्य मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों, खासकर महिलाओं को कट्टरपंथी बनाना और उन्हें संगठन में भर्ती करना है।
डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी इसी ऑनलाइन कट्टरपंथ की एक जीती-जागती मिसाल है।
‘जानें पूरा मामला’
10 नवंबर 2025 को दिल्ली के लाल किला इलाके में एक कार ब्लास्ट हुआ, जिसने 14 साल बाद राजधानी को दहला दिया। इस ब्लास्ट की जांच NIA कर रही है। इसके तार फरीदाबाद से पकड़े गए एक टेरर मॉड्यूल से जुड़े, जिसमें 4 डॉक्टर शामिल थे। इन्हीं में से एक, डॉ. शाहीन शाहिद, को जैश के ‘वुमन विंग’ की इंडिया हेड बताया जा रहा है, जो कार में AK-47 लेकर चलती थी।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
- दिल्ली ब्लास्ट में गिरफ्तार डॉ. शाहीन शाहिद, जैश के ‘वुमन विंग’ की इंडिया हेड थी।
- डॉ. शाहीन पर पढ़ी-लिखी महिलाओं को बरगलाकर आतंकी संगठन में भर्ती करने का जिम्मा था।
- जांच एजेंसियों को डॉ. शाहीन की कार से एक AK-47 राइफल भी बरामद हुई है।
- जैश-ए-मोहम्मद अब ‘ऑनलाइन जिहादी पाठ्यक्रम’ के जरिए पढ़े-लिखे युवाओं को निशाना बना रहा है।






