Trishul Military Exercise : भारतीय सेना भविष्य की जंगों के लिए खुद को तैयार कर रही है। इसी कड़ी में पाकिस्तान सीमा के पास तीनों सेनाएं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) मिलकर ‘त्रिशूल’ अभ्यास कर रही हैं। दक्षिणी कमांड के नेतृत्व में हो रहा यह महाअभ्यास जमीन, हवा और समुद्र में भारत की एकीकृत ताकत का बड़ा प्रदर्शन है।
फ्यूचर वॉर की तैयारी पर जोर
इस अभ्यास का मुख्य मकसद भविष्य के खतरों से निपटने के लिए तैयार रहना है। इसमें सिर्फ पारंपरिक हथियारों का ही नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, साइबर ऑपरेशन, ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम का भी जमकर इस्तेमाल हो रहा है। सेना ‘जय’ (JAI – जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन) के मंत्र पर काम कर रही है, ताकि किसी भी मोर्चे पर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
थार से कच्छ तक गूंजी गर्जना
थार के रेगिस्तान में दक्षिणी कमांड की टुकड़ियां ‘मरुज्वाला’ और ‘अखंड प्रहार’ जैसे बड़े युद्धाभ्यास कर रही हैं। यहां वास्तविक युद्ध जैसे हालात बनाकर सटीक निशानेबाजी और आपसी तालमेल को परखा जा रहा है। वहीं, कच्छ के इलाके में सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ तटरक्षक बल (Coast Guard) और बीएसएफ भी मिलकर अभ्यास कर रहे हैं। यह सिविल प्रशासन के साथ तालमेल का भी एक बेहतरीन उदाहरण है।
समंदर में भी दिखाएंगे दम
‘त्रिशूल’ अभ्यास का आखिरी चरण सौराष्ट्र तट पर होगा, जहां संयुक्त एम्फीबियन (जल-थल) अभ्यास किया जाएगा। इसमें दक्षिणी कमांड की एम्फीबियन फोर्सेस समुद्र से जमीन पर उतरने (बीच लैंडिंग) का ऑपरेशन करेंगी। यह अभ्यास दुश्मन के इलाके में समुद्र के रास्ते घुसकर हमला करने की क्षमता को परखने के लिए बेहद अहम है।
क्या है ‘त्रिशूल’ का मकसद?
‘त्रिशूल’ अभ्यास भारतीय सशस्त्र बलों की बहु-क्षेत्रीय क्षमताओं को प्रदर्शित करता है। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण (Integration) को मजबूत करना है, ताकि युद्ध की स्थिति में वे एक यूनिट की तरह काम कर सकें। पश्चिमी सीमा पर यह अभ्यास रणनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण संदेश देता है।
मुख्य बातें (Key Points):
- तीनों सेनाएं (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) पाकिस्तान सीमा के पास ‘त्रिशूल’ अभ्यास कर रही हैं।
- थार रेगिस्तान में ‘मरुज्वाला’ और ‘अखंड प्रहार’ के जरिए युद्ध कौशल परखा जा रहा है।
- इस अभ्यास में साइबर वॉरफेयर, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध पर खास फोकस है।
- सौराष्ट्र तट पर एम्फीबियन (जल-थल) लैंडिंग का भी अभ्यास किया जाएगा।






