Bhopal Metro News : भोपाल में 90 डिग्री वाले पुल के बाद अब मेट्रो प्रोजेक्ट में इंजीनियरिंग का एक और हैरान करने वाला नमूना सामने आया है। यहां करोड़ों की लागत से मेट्रो स्टेशन तो बना दिया गया, लेकिन बनने के बाद पता चला कि सड़क से उसकी ऊंचाई कम रह गई है। आलम यह है कि नीचे से गुजरने वाले ऊंचे वाहन स्टेशन के हिस्से से रगड़ खा रहे हैं। अब इस गलती को सुधारने के लिए एजेंसियों ने एक अजीबोगरीब ‘जुगाड़’ निकाला है।
जब ट्रक टकराने लगे तब खुली नींद
पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय विद्यालय मेट्रो स्टेशन के नीचे से गुजरने वाली ऊंची गाड़ियां पिलर्स के ऊपरी हिस्से से रगड़ खा रही थीं। इससे पिलर को नुकसान पहुंच रहा था और कुछ जगहों से सीमेंट टूटकर गिरने लगा था। जब शिकायतें बढ़ीं, तो मेट्रो स्टेशन और सड़क के बीच की ऊंचाई मापी गई, जो मानकों से कम निकली।
नियम के मुताबिक, किसी भी मेट्रो स्टेशन की सड़क से ऊंचाई कम से कम 5.5 मीटर (करीब 18 फीट) होनी चाहिए। लेकिन इस स्टेशन के निर्माण में इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
स्टेशन नहीं उठा सके, तो सड़क खोद डाली
अब चूंकि बना-बनाया मेट्रो स्टेशन ऊंचा करना मुमकिन नहीं था, तो इंजीनियरों ने वही पुराना ‘जुगाड़’ अपनाया। उन्होंने स्टेशन के नीचे की उस सड़क को ही खोद डाला, जो कुछ समय पहले ही बनकर तैयार हुई थी।
मेट्रो ठेकेदार ने सड़क को खोदकर नीचा कर दिया है, ताकि रोड और स्टेशन के बीच का गैप बढ़ जाए और भारी वाहन बिना टकराए निकल सकें। हैरानी की बात यह है कि इसी सड़क की दूसरी लेन (सुभाष नगर से एमपी नगर जाने वाली) मेट्रो से काफी नीचे है, जबकि समस्या वाली लेन उससे करीब 2 फीट ऊंची बनी थी।
जनता के पैसों की बर्बादी
इसे जनता के पैसों की खुली बर्बादी कहा जा रहा है। मेट्रो के काम के चलते यह रास्ता करीब दो साल तक बंद था। नवंबर 2024 में ही इसे ट्रैफिक के लिए खोला गया था और नई सड़क बनाई गई थी। लेकिन निर्माण में हुई इस बड़ी चूक के कारण चमाचम सड़क को फिर से खोद दिया गया है। इतना ही नहीं, सड़क किनारे बने फुटपाथ और टाइल्स को भी तोड़ना पड़ा है।
मुख्य बातें (Key Points):
- भोपाल में मेट्रो स्टेशन की ऊंचाई सड़क से कम रह गई, जिससे भारी वाहन टकराने लगे।
- मानक ऊंचाई 5.5 मीटर होनी चाहिए, लेकिन निर्माण में इसे नजरअंदाज किया गया।
- गलती सुधारने के लिए मेट्रो एजेंसियों ने स्टेशन के नीचे बनी नई सड़क को ही खोद दिया।
- इसे इंजीनियरिंग की बड़ी खामी और जनता के पैसों की बर्बादी बताया जा रहा है।






