Panjab University Senate : केंद्र सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) की सीनेट और सिंडिकेट को भंग करने का अपना विवादित फैसला वापस ले लिया है। इस फैसले के खिलाफ छात्र संघों और पंजाब की ‘आप’ सरकार द्वारा किए जा रहे कड़े विरोध के बाद केंद्र ने यह नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है।
आम आदमी पार्टी ने केंद्र के इस यू-टर्न को जनता की जीत बताया है। सांसद हरपाल चीमा ने कहा कि सरकार के इस फैसले का छात्रों के साथ आम जनता भी विरोध कर रही थी। उन्होंने कहा कि आखिरकार सरकार को जनता के आगे झुकना ही पड़ा।
पंजाब सरकार जाने वाली थी हाईकोर्ट
इससे पहले, आज ही पंजाब सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का ऐलान किया था। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा था कि पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट को असंवैधानिक रूप से भंग करने की अधिसूचना के खिलाफ पंजाब सरकार उच्च न्यायालय जाएगी।
छात्रों का था कड़ा विरोध
केंद्र के इस फैसले के खिलाफ पीयू के छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। इसके लिए ‘यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा’ भी बनाया गया था, जिसमें अलग-अलग स्टूडेंट्स यूनियन के नेता शामिल थे। वाइस चांसलर (VC) कार्यालय के सामने लगातार धरना चल रहा था और मोर्चा ने 10 नवंबर को यूनिवर्सिटी बंद करने का भी ऐलान किया था।
क्या था विवादित नोटिफिकेशन?
केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन से 1966 से चली आ रही सीनेट की चुनाव प्रणाली खत्म हो गई थी और सभी सदस्य नामित (Nominated) होने थे। इस नोटिफिकेशन के जरिए, सीनेट का आकार 91 से घटाकर 31 और सिंडिकेट का 27 से घटाकर 17 कर दिया गया था। इसमें चंडीगढ़ के सांसद और अधिकारियों को भी पंजाब के अधिकारियों के साथ पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया गया था, जिसका कड़ा विरोध हो रहा था।
मुख्य बातें (Key Points):
- केंद्र सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट भंग करने का विवादित नोटिफिकेशन वापस ले लिया।
- छात्र संघ और पंजाब की ‘आप’ सरकार इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे थे।
- सीएम भगवंत मान ने आज ही इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का ऐलान किया था।
- इस नोटिफिकेशन के जरिए सीनेट में चुनाव प्रणाली खत्म कर सदस्यों को नामित किया जाना था।






