Atmospheric Rivers : हम सभी जानते हैं कि नदियां जमीन पर बहती हैं, लेकिन एक नई वैज्ञानिक जांच ने खुलासा किया है कि अब नदियां हवा में भी बहने लगी हैं। ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमारा आसमान इतना नम हो गया है कि हर सेकंड हवा में 35 मिसिसिपी नदियों जितना पानी घूम रहा है। यही ‘हवा की नदियां’ (Atmospheric Rivers) अब दुनिया भर में भारी, तेज और खतरनाक बारिश की वजह बन रही हैं।
12% बढ़ गई है हवा में नमी
‘द पोस्ट’ ने मौसम के डेटा और कंप्यूटर मॉडल का विश्लेषण कर बताया है कि बढ़ते वैश्विक तापमान ने वायुमंडल को और ज्यादा नम (waterlogged) बना दिया है। पिछले 85 सालों में, पृथ्वी के वातावरण में घूमने वाली कुल जलवाष्प (water vapor) की मात्रा 12% तक बढ़ गई है।
यही नमी आसमान में नदियों की तरह बहती है और फिर धरती पर आकर तबाही मचाती है। हालांकि, यह नमी दुनिया भर में समान रूप से नहीं फैली है, कुछ जगहों पर यह बहुत ज्यादा है, जिससे वहां बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
‘ऐसा जो इंसानों ने पहले कभी नहीं देखा’
बारिश देखने में साधारण लगती है, लेकिन यह बेहद विनाशकारी ताकत रखती है। NOAA (नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन) के जलविज्ञानी एड क्लार्क कहते हैं, ‘हमें पानी की ताकत को नए सिरे से समझने की जरूरत है। जैसे-जैसे दुनिया गर्म हो रही है, हम कुछ ऐसा देख रहे हैं जो इंसानों ने पहले कभी नहीं देखा।’
कैसे बनती हैं ये ‘हवा की नदियां’?
जब हवा में बहुत ज्यादा नमी (Moisture) जमा हो जाती है, तो अणु आपस में जुड़ते हैं और ठंडक मिलने पर संघनित होकर बारिश बन जाते हैं। आमतौर पर यह नमी समुद्र से उठती है और हवा के साथ जमीन की ओर बढ़ती है। जब यह गर्म और नम हवा किसी ठंडी हवा या पहाड़ी इलाके से टकराती है, तो वह ऊपर उठकर भारी बारिश या बर्फ बन जाती है।
दुनिया भर में 15% बढ़े ‘नमी के प्रवाह’
‘द पोस्ट’ के विश्लेषण के मुताबिक, दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में ऐसी ‘moisture plumes’ (नमी के प्रवाह) पिछले 30 वर्षों में 15% तक बढ़े हैं। सबसे ज्यादा वृद्धि पश्चिमी अफ्रीका, भूमध्य सागर, दक्षिण पूर्व एशिया और उत्तर यूरोप में हुई है।
2024 में स्पेन के वेलेंसिया, वियतनाम, म्यांमार और नेपाल में आई भयंकर बाढ़ें भी इन्हीं इलाकों में हुईं, जहां आसमान में नमी सबसे ज्यादा थी।
क्या है आगे का खतरा?
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग की हाइड्रोलॉजिस्ट हन्ना क्लोक कहती हैं कि सिर्फ मौसम का सटीक पूर्वानुमान काफी नहीं है। जब तक इंजीनियर, प्लानर और आम लोग इस खतरे को गंभीरता से नहीं समझेंगे, तब तक लोग मरते रहेंगे। शहर नियोजकों को बाढ़ संभावित इलाकों में निर्माण रोकना होगा और इंजीनियरों को मजबूत जलनिकासी प्रणाली बनानी होगी।
मुख्य बातें (Key Points):
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण आसमान में ‘हवा की नदियां’ (Atmospheric Rivers) बह रही हैं।
- पिछले 85 सालों में वातावरण में जलवाष्प की मात्रा 12% बढ़ गई है।
- हर सेकंड हवा में 35 मिसिसिपी नदियों जितना पानी घूम रहा है, जो भारी बारिश और बाढ़ का कारण बन रहा है।
- पिछले 30 सालों में ‘नमी के प्रवाह’ 15% बढ़े हैं, खासकर यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया में।






