Jemimah Rodrigues Mental Health : भारतीय महिला क्रिकेट टीम की वर्ल्ड कप जीत के जश्न के बीच, स्टार क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स ने अपनी सच्चाई से दिल जीत लिया है। उन्होंने साहस के साथ यह कबूल किया है कि जब वह मैदान पर रन बना रही थीं, तब वह अंदर से एंजायटी (Anxiety) से जूझ रही थीं और लगभग हर दिन रोती थीं।
रविवार की रात जब देश महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक वर्ल्ड कप जीत का जश्न मना रहा था, तब इस जीत की एक और विजेता गाथा सामने आई। यह कहानी जेमिमा की है, जिन्होंने इस टूर्नामेंट में अपनी सच्चाई से सबका दिल जीता।
‘इस दौरे में लगभग हर दिन रोई हूं’
जेमिमा ने सेमीफाइनल जीतने के बाद खुलासा किया कि वह इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान मानसिक रूप से ठीक नहीं थीं। उन्होंने कहा, “इस पूरे दौरे में मैं लगभग हर दिन रोई हूं। मैं मानसिक रूप से ठीक नहीं थी, एंजायटी से गुजर रही थी। लेकिन मुझे पता था कि मुझे डटे रहना है।”
पिछले साल जेमिमा को विश्व कप टीम से बाहर कर दिया गया था, जिसके बाद वह हर दिन खुद से जंग लड़ रही थीं। उनके इस कबूलनामे ने उन लाखों लड़कियों को उनसे जोड़ा है, जो मुस्कान के पीछे अपनी तकलीफ छिपाती हैं। साथ ही, उन्होंने समाज की उस सोच को भी हराया है, जहां रोने वाली लड़कियों को ‘कमजोर’ समझा जाता है।
‘खुलकर बात करना ही इलाज की पहली सीढ़ी’
दिल्ली स्थित IHBAS के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि अधिकांश लोग मानसिक स्वास्थ्य की परेशानी को देर से पहचान पाते हैं। जेमिमा के खुलकर बात करने से कई लोग मदद लेने की हिम्मत जुटा पाएंगे।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी का भी कहना है कि एंजायटी जैसी स्थिति में खुलकर बात करना ही इलाज की पहली सीढ़ी है। जेमिमा जैसी खेल हस्तियों का इस विषय पर बोलना समाज के लिए एक बड़ा संदेश है।
‘मानसिक सेहत के लिए मदद लेना कमजोरी नहीं’
क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ. विधि एम. पिलनिया कहती हैं कि मशहूर लोग अक्सर मानसिक स्वास्थ्य की बात इसलिए नहीं करते क्योंकि उन्हें डर होता है कि लोग उन्हें जज करेंगे या कमजोर समझेंगे। सच्चाई यह है कि मन की चोटों को नजरअंदाज करना उन्हें और गहरा बना देता है। जैसे शरीर की चोट के लिए हम डॉक्टर के पास जाते हैं, वैसे ही मन की चोटों के लिए थेरेपी लेना जरूरी है।
कैसे पहचानें कि मदद की जरूरत है?
- अगर आप बिना वजह बेचैनी महसूस करते हैं।
- बार-बार डर या नकारात्मक विचार आते हैं।
- नींद नहीं आती या हर वक्त कुछ बुरा होने का डर रहता है।
- शरीर कांपता है, सांस तेज होती है या धड़कनें बढ़ जाती हैं।
मुख्य बातें (Key Points):
- स्टार क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स ने वर्ल्ड कप के दौरान एंजायटी से जूझने का खुलासा किया।
- उन्होंने कहा, “मैं इस दौरे में लगभग हर दिन रोई हूं।”
- जेमिमा का बयान ‘रोने वाली लड़कियां कमजोर होती हैं’ वाली सोच को चुनौती देता है।
- मनोचिकित्सकों ने जेमिमा के साहस की तारीफ की और कहा कि मदद मांगना कमजोरी नहीं है।






