Punjab University Controversy पर नया विवाद तब खड़ा हो गया जब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहादत को समर्पित सेमिनार को अचानक रद्द कर दिया। इस फैसले से सिख संगठनों और धार्मिक समुदाय में गहरा आक्रोश देखने को मिला है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने इस कदम को “सिख-विरोधी मानसिकता” और “विचारों की स्वतंत्रता पर हमला” बताया है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत सिख इतिहास का सबसे पवित्र अध्याय है, और उस पर चर्चा रोकना असहिष्णुता का संकेत है।
धामी ने पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह सिख विद्वानों और छात्र संगठनों की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब पूरी सिख कौम गुरु तेग बहादुर जी की शहादत की 350वीं वर्षगांठ श्रद्धा से मना रही है, तब इस आयोजन को रद्द करना बेहद असंवेदनशील कदम है।
SGPC प्रमुख ने केंद्र और पंजाब सरकार से इस घटना का संज्ञान लेने की अपील की है और कहा कि यदि इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो कमेटी अपनी स्तर पर जांच शुरू करेगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि ज़रूरत पड़ने पर कानूनी रास्ता अपनाया जा सकता है।
गौरतलब है कि हाल ही में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ ने एक छात्र संगठन द्वारा आयोजित किए जाने वाले सेमिनार को “प्रशासनिक कारणों” का हवाला देकर रद्द कर दिया था। यह सेमिनार गुरु तेग बहादुर जी की शहादत की 350वीं वर्षगांठ को समर्पित था। इस निर्णय के बाद धार्मिक और अकादमिक जगत में विरोध की लहर फैल गई है। गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत को भारत के धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, और इस पर सेमिनार रोकना समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम माना जा रहा है।
मुख्य बातें (Key Points):
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पंजाब यूनिवर्सिटी ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत पर प्रस्तावित सेमिनार रद्द कर दिया।
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SGPC प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने इस फैसले को “सिख-विरोधी” बताया।
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कमेटी ने केंद्र और राज्य सरकार से कार्रवाई की मांग की है।
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SGPC ने मामले की आंतरिक जांच और कानूनी कदम उठाने की चेतावनी दी है।






