नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (The News Air) आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने जातीय उत्पीड़न के चलते आत्महत्या करने वाले हरियाणा के दलित आईपीएस अफसर पूरन कुमार के सुसाइड नोट को लेकर भाजपा पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि आईपीएस पूरन कुमार का फ़ाइनल नोट यह बताता है कि भाजपा राज में कैसे एक आईपीएस अधिकारी को दलित होने की सज़ा मिली। यह मामला मंदिर में प्रवेश से शुरू होकर, जाति सूचक गालियों और फ़र्जी एफआईआर तक पहुंचा। जब प्रताड़ना और अपमान सहन करने की सारी सीमा पार हो गई तब पूरन कुमार ने मौत को गले लगा लिया। यह भाजपा का नया भारत है, जहां देश के मुख्य न्यायाधीश से लेकर आईपीएस अधिकारी तक दलित होने की सज़ा पा रहे हैं।
संजय सिंह ने कहा कि हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार के सुसाइड नोट को पढ़कर देशवासियों की रूह कांप जाएगी। आजादी के 78 साल बाद भी एक दलित अधिकारी को उनकी जाति के कारण ऐसी प्रताड़ना झेलनी पड़ी कि उन्होंने मौत को गले लगा लिया। यह कोई साधारण मामला नहीं है। यह मामला 2022 से चल रहा था। पूरन कुमार का गुनाह सिर्फ इतना था कि वे एक मंदिर में चले गए। उनके ही पुलिस विभाग ने इसे मुद्दा बनाया कि वे ‘दलित होकर मंदिर कैसे गए?’ उनकी पत्नी भी आईएएस हैं, जो मुख्यमंत्री कार्यालय में काम करती हैं। पूरन कुमार स्वयं एडीजीपी रैंक के अधिकारी थे। फिर भी, मंदिर जाना अपराध बना।
संजय सिंह ने कहा कि सुसाइड नोट में पूरन कुमार ने 15 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम लिखे। उन्होंने हरियाणा के डीजीपी और अन्य पर जातिसूचक गालियां देने, मंदिर जाने को मुद्दा बनाने और छुट्टियां होने के बाद भी पिता की बीमारी में छुट्टी न देने जैसे आरोप लगाए हैं। पूरन कुमार अपने बीमार पिता के अंतिम समय में आंध्र प्रदेश नहीं पहुंच सके और उनकी मृत्यु हो गई। क्या इससे ज्यादा प्रताड़ना किसी व्यक्ति को दी जा सकती है?
संजय सिंह ने बताया कि पूरन कुमार ने वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, उन्हें एडीजीपी पद से हटाकर ट्रेनिंग पोस्टिंग दी गई। रोहतक में उनके एक जूनियर ने एक शराब ठेकेदार की शिकायत पर झूठी एफआईआर दर्ज की, जिसमें उनके स्टाफ पर 2.5 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप था। यह साजिश थी। इसके बाद, 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में पूरन कुमार ने हताश होकर घर के बेसमेंट में 8 पेज का पत्र लिखा, पत्नी और दोस्तों को भेजा और सर्विस रिवॉल्वर से आत्महत्या कर ली। उनकी पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए चंडीगढ़ के एक थाने में अर्जी दी है, लेकिन पता नहीं क्या कार्रवाई होगी? क्योंकि यह मोदी जी का ‘नया भारत’ है।
संजय सिंह ने सवाल किया कि क्या यह है मोदी जी का ‘नया भारत’? जहां मुख्य न्यायाधीश को जूते, गालियां और धमकियां मिलती हैं, 25 साल की सेवा करने वाले आईपीएस को जातिगत अपमान मिलता है। दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, मुसलमानों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार होता है। अगर आजादी के 78 साल बाद भी यह हाल है, तो हम यह कैसा ‘नया भारत’ बना रहे हैं?
संजय सिंह ने देशवासियों से अपील की कि न्याय की आवाज उठाइए। एक वीडियो बनाइए, कुछ बोलिए और दिखाइए कि देशवासियों की चेतना जिंदा है कि इस देश में ऐसी घटनाओं पर दुख और गुस्सा बाकी है।






