बरेली में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़कने के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए। प्रशासन ने तुरंत बड़ा ऐक्शन लेते हुए आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके साथ ही जिले में इंटरनेट सेवाएं 48 घंटे के लिए पूरी तरह बंद कर दी गईं।
बीएसएनएल क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी पंकज पोरवाल ने इस आदेश की पुष्टि की। इससे पहले सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ था, जिसमें लिखा था कि शासन के निर्देश पर इंटरनेट बंद किया जाएगा। उस वक्त इसे अफवाह बताया गया, लेकिन सेवाएं ठप होने के बाद यह साबित हो गया कि आदेश असली था।
कैसे भड़की हिंसा? : सूत्रों के मुताबिक, कानपुर प्रकरण को लेकर शुक्रवार को बरेली में तनाव था। जुमे की नमाज के बाद कोतवाली क्षेत्र के खलील तिराहे से बवाल शुरू हुआ। देखते ही देखते भीड़ उग्र हो गई और अलग-अलग इलाकों में पुलिस पर पथराव व फायरिंग तक हुई। हालात बेकाबू न हों, इसके लिए पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई गई और इंटरनेट सेवाएं बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया।
मौलाना तौकीर का विवादों से रिश्ता : मौलाना तौकीर रजा का नाम पहले भी कई बार सुर्खियों में रह चुका है। 2010 में बरेली में हुए दंगों में उनका नाम आरोपियों की सूची में शामिल था। यह मामला अभी कोर्ट में लंबित है। इसके अलावा मौलाना ने ज्ञानवापी मसले पर जेल भरो आंदोलन की घोषणा की थी और वे कई बार अपने विवादित बयानों के कारण चर्चाओं में रहे हैं।
प्रशासन की सख्ती : शनिवार को जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने शहर का दौरा किया। उन्होंने व्यापारियों और आम लोगों से बातचीत कर भरोसा दिलाया कि कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है। मीडिया से बातचीत में डीएम ने शुक्रवार की घटना को “सुनियोजित साजिश” बताया। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश विकास की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है और बरेली की विकास दर राज्य की औसत से 12% अधिक है। इस प्रगति को बाधित करने के लिए हिंसा भड़काई गई और अब दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
मामले की पृष्ठभूमि : बरेली का इतिहास सांप्रदायिक तनाव से अछूता नहीं रहा। 2010 के दंगों ने शहर को बुरी तरह झकझोर दिया था, जिसके बाद महीनों तक तनाव बना रहा। हाल के वर्षों में यूपी के कई शहरों—कानपुर, प्रयागराज और बरेली—में जुमे की नमाज के बाद हिंसा की घटनाएं दर्ज हुई हैं। प्रशासन इन घटनाओं को सोशल मीडिया पर फैलाई गई अफवाहों और कट्टरपंथी बयानों से जोड़कर देखता है। यही वजह है कि इस बार एहतियातन इंटरनेट बंद करना ज़रूरी समझा गया।






